यमुनानगर में बाढ़ ने मचाई भयंकर तबाही, 24 हजार हेक्टेयर फसल बर्बाद; किसान बोले- पहली बार देखी ऐसी बर्बादी
किसानों के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल में हुआ है। एक एकड़ पर अब तक 20-25 हजार रुपये खर्च आ चुका है। ऐसे खेत भी कम नहीं है जिनसे एक भी दाने की उम्मीद किसानों को नहीं है। किसानों की मांग है कि प्रति एकड़ कम से कम 60 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए। क्योंकि एक एकड़ से करीब 30 क्विंटल धान का नुकसान है।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। बारिश व बाढ़ ने जिले में भयंकर तबाही मचाई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के मुताबिक 24 हजार हेक्टेयर फसल को नुकसान है। संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है। जिन किसानों के खेतों में पानी जमा है, उनकी परेशानी बढ़ गई है। फसल पर प्रति एकड़ हजारों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद किसानों के हाथ खाली हैं।
पीड़ित किसानों की निगाह अब मुआवजे पर टिकी है। सबसे अधिक नुकसान धान की फसल में हुआ है। 19 हजार 578 हेक्टेयर में खड़ी धान की फसल खराब हो चुकी है। इसके अलावा गन्ना, मक्का व अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है। किसान संगठनों ने 60 हजार एकड़ के हिसाब से मुआवजे की मांग की है।
धान पर प्रति एकड़ हो चुका 20-25 हजार का खर्च
किसानों के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल में हुआ है। एक एकड़ पर अब तक 20-25 हजार रुपये खर्च आ चुका है। ऐसे खेत भी कम नहीं है जिनसे एक भी दाने की उम्मीद किसानों को नहीं है। किसानों की मांग है कि प्रति एकड़ कम से कम 60 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए। क्योंकि एक एकड़ से करीब 30 क्विंटल धान का नुकसान है। मांग है कि सरकार जल्द प्रभावित क्षेत्रों की गिरदावरी करवा कर पीड़ित किसानों का मुआवजा दिया जाए।
बर्बादी की कहानी... किसानों की जुबानी
पूर्णगढ़ के किसान मांगे राम ने बताया कि उनकी पांच एकड़ धान की फसल बिल्कुल खत्म हो चुकी है। खेतों में पानी जमा है। बारिश व बाढ़ के पानी ने फसलों को तबाह करके रख दिया। खेत की ओर देखकर मायूसी हाथ लग रही है। अगली फसल की बिजाई समय पर हो पाएगी इसकी भी संभावना नहीं है।
खेतों में बस पानी ही पानी
पूर्णगढ़ के किसान नवनीत ने बताया कि जिन खेतों में हरी भरी फसलें लहलहा रही थी, आज उनमें पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। करीब एक सप्ताह से पानी जमा है। निकासी की भी व्यवस्था नहीं हो पा रही है। करीब तीन एकड़ फसल खराब हो चुकी है। किसानों को मुआवजा देकर सरकार आर्थिक मदद करे।
प्रति एकड़ हजारों खर्च, हाथ फिर भी खाली
किसान विनोद कुमार का कहना है कि फसल की उम्मीद पर किसान भविष्य की प्लानिंग तय करता है। यदि फसल ही खराब हो गई तो किसान के पास कुछ भी नहीं रहता है। अब तक प्रति एकड़ धान पर हजारों रुपये खर्च हो चुके हैं। बावजूद इसके हाथ खाली हैं। किसानों का बजट पूरी तरह बिगड़ चुका है। सरकार को आर्थिक मदद के लिए आगे आना चाहिए।
पहली बार देखी ऐसी बर्बादी
किसान चूहड़ सिंह कहते हैं फसलों की ऐसी बर्बादी आज तक नहीं देखी। हालांकि बाढ़ पहले भी आती रही हैं, लेकिन इतना नुकसान कभी नहीं हुआ। इस बार तो हद हो गई। उनकी करीब 12 एकड़ फसल बर्बादी के कगार पर है। लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है। बजट पूरी तरह बिगड़ च़ुका है। खेतों की ओर देखकर कलेजा मुह का आता है।
कृषि उपमंडल अधिकारी डॉ. राकेश पोरिया ने कहा कि बाढ़ व बारिश के कारण जिले के प्रत्येक खंड में नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल में है। हमने रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेज दी गई। किसानों से लगातार संपर्क साधा जा रहा है। विभाग की टीम फील्ड मे लगातार नुकसान का जायजा ले रही है। प्रभावित फसलों का मुआवजा तय करना सरकार के कार्यक्षेत्र में है।