आधे समय में हड्डी जोड़ेगी शीशम से बनी दवा
फ्रेक्चर के मरीजों के लिए राहत की खबर। अब उन्हेंं महीनों प्लास्टर बांध कर टूटी हड्डी के जुडऩे का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। शीशम की करामाती पत्तियों से तैयार हर्बल औषधि महज आधे समय में ही हड्डी को जोड़ देगी। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) द्वारा तैयार फ्रेक्चर जोडऩे वाली
रूमा सिन्हा, लखनऊ। फ्रेक्चर के मरीजों के लिए राहत की खबर। अब उन्हेंं महीनों प्लास्टर बांध कर टूटी हड्डी के जुडऩे का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। शीशम की करामाती पत्तियों से तैयार हर्बल औषधि महज आधे समय में ही हड्डी को जोड़ देगी। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) द्वारा तैयार फ्रेक्चर जोडऩे वाली पहली हर्बल औषधि अब जल्द बाजार में आने को तैयार है।
यूं तो कई पौधों में हड्डी जोडऩे में मददगार फ्लेवेनॉयड होता है, लेकिन इमारती लकड़ी के लिए लोकप्रिय 'शीशम' (डलबर्जिया सिस्सू) की पत्तियों में फ्लेवेनॉयड केमिकल कंपाउंड बहुत अधिक मात्रा में होता है। यही वजह है कि वैज्ञानिकों ने हड्डी जोडऩे वाली हर्बल औषधि के लिए शीशम को चुना। सीडीआरआइ की इंडोक्राइन विभाग की डॉ. रितु त्रिवेदी ने बताया कि अ'छी बात यह है कि औषधि तैयार करने के लिए जिस रेपिड एक्शन हीलिंग फ्रेक्शन का प्रयोग किया गया है उसे पत्तियों से प्राप्त किया जाता है। इससे न तो पेड़ को कोई नुकसान पहुंचेगा और न ही औषधि निर्माण के लिए क'चे माल की ही कोई कमी आड़े आएगी।
डॉ. त्रिवेदी बताती हैं कि इस केमिकल में हड्डी जोडऩे की अद्भुत क्षमता होती है। अभी तक हड्डी जोडऩे के लिए कोई हर्बल औषधि उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में इस औषधि से बड़ी उम्मीदें हैं। इसका लाइसेंस गुजरात की एक कंपनी को सौंपा जा चुका है और अब कंपनी इसे तैयार कर बाजार में उतारने की तैयारी में है। सीडीआरआइ के स्थापना दिवस के मौके पर आगामी 17 फरवरी को इसे जारी किया जाएगा।
ऑस्टियोपोरेसिस में भी प्रभावी
डॉ.रितु त्रिवेदी बताती हैं कि इस औषधि के प्रभाव को ऑस्टियोपोरेसिस पर भी परखा जाएगा। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद इस्ट्रोजेन हार्मोन बनना बंद हो जाता है जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हड्डियों में क्षरण होने से महिलाएं ऑस्टियोपोरेसिस का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में यह औषधि हड्डियों को मजबूती देने में मददगार होगी। डॉ.त्रिवेदी ने बताया कि क्लीनिकल ट्रायल के लिए महिलाओं पर शोध किया जाएगा। इसमें कुछ ऐसी महिलाओं को जिनके मेनोपॉज हो चुका है और कुछ ऐसी महिलाएं जिन्हें मेनोपॉज होने वाला है, पर अध्ययन किया जाएगा। डॉ.त्रिवेदी कहती हैं कि अब तक के अध्ययनों से इस बात की उम्मीद बंधी है कि ऑस्टियोपोरेसिस में भी यह दवा काफी कारगर साबित होगी।