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शीशम की पत्तियां, जोड़ेंगी हड्डियां

यंू तो 'शीशम' से ज्यादातर लोग परिचित होंगे, लेकिन बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि इमारती लकड़ी के लिए मशहूर शीशम अब टूटी हुई हड्डी को सबसे तेज जोडऩे वाला पौधा भी बन गया है। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने शीशम में हड्डी को जोडऩे

By Babita kashyapEdited By: Updated: Fri, 17 Apr 2015 11:06 AM (IST)
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रूमा सिन्हा, लखनऊ। यंू तो 'शीशम' से ज्यादातर लोग परिचित होंगे, लेकिन बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि इमारती लकड़ी के लिए मशहूर शीशम अब टूटी हुई हड्डी को सबसे तेज जोडऩे वाला पौधा भी बन गया है। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने शीशम में हड्डी को जोडऩे वाले महत्वपूर्ण गुण की तलाश की है। संस्थान ने इसका लाइसेंस गुजरात की एक कंपनी की सौंप दिया है और उम्मीद जताई जा रही है कि अगले पांच-छह महीने में यह औषधि बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।

इंडोक्राइन विभाग की डॉ.रितु त्रिवेदी बताती हैं कि खास बात यह है कि जिस फ्रेक्शन को 'रैपिड फ्रैक्चर हीलिंग एजेंट' के रूप में प्रयोग किया गया है उसे शीशम की पत्तियों से प्राप्त किया गया है। चूंकि पत्तियां ऐसा स्रोत हैं, जो सीमित नहीं है इसलिए इसके निर्माण के लिए जरूरी कच्चे माल की कोई कमी नहीं होगी। डॉ. त्रिवेदी के मुताबिक मेडिसिनल केमिस्ट्री के डॉ.राकेश मौर्या के सहयोग से इस पर शोध किया गया। शोध में विक्रम खेदगीकर, प्रियंका कुशवाहा, प्रीती दीक्षित व पदम कुमार भी शामिल थे।

आधे समय में जुड़ती है हड्डी

अमूमन फ्रैक्चर होने पर हड्डी जुडऩे में तीन सप्ताह का समय लगता है, लेकिन इस औषधि के इस्तेमाल से आधे समय में हड्डी जुड़ जाती हैं। डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि यह एजेंट रजोनिवृत्ति के उपरांत महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाले फ्रैक्चर में भी लाभकारी होगी।

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