लेप्रोस्कोपी सर्जरी से पित्त की थैली से पथरी निकाला जाता रहा है। अब मरीज का पेट चीरे बगैर दूरबीन से पिल की थैली के कैंसर की सर्जरी भी संभव है। इसे साबित कर दिखाया है जीबी पंत अस्पताल ने। जहां हाल ही में मणिपुर के एक बुजुर्ग व्यक्ति की दूरबीन की सहायता से सर्जरी की गई, जो सफल रही है।
By Edited By: Updated: Thu, 07 Nov 2013 12:31 PM (IST)
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। लेप्रोस्कोपी सर्जरी से पित्त की थैली से पथरी निकाला जाता रहा है। अब मरीज का पेट चीरे बगैर दूरबीन से पित्त की थैली के कैंसर की सर्जरी भी संभव है। इसे साबित कर दिखाया है जीबी पंत अस्पताल ने। जहां हाल ही में मणिपुर के एक बुजुर्ग व्यक्ति की दूरबीन की सहायता से सर्जरी की गई, जो सफल रही है। यह अस्पताल में इस तरह की पहली सर्जरी नहीं है, बल्कि जीबी पंत अस्पताल लेप्रोस्कोपी से ऐसे करीब 30 मरीजों की सर्जरी कर देश में कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। जो पित्तशय के कैंसर के दूसरे मरीजों के लिए भी उम्मीद की किरण साबित हो सकती है।
पित्तशय कैंसर के इलाज के लिए ज्यादातर ओपन सर्जरी होती है। खास बात यह कि दूरबीन की सहायता से सर्जरी में मरीज को ज्यादा परेशानी नहीं होती। सर्जरी के पांच से छह दिनों में अपताल से छुट्टी मिल जाती है। जीबी पंत को छोड़ देश के अन्य किसी भी अस्पताल में लेपोस्कोपी से पित्तशय के कैंसर की इतनी सर्जरी नहीं हुई। कोयम्बटूर व पुणे की एक प्राइवेट अस्पताल में कुछ सर्जरी हुई है। पर इतनी संख्या में नहीं। यहां तक कि देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में भी इस तकनीक से कैंसर मरीज की सर्जरी नहीं होती।
जीबी पंत अस्पताल के गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल अग्रवाल ने बताया कि पित्तश्य का कैंसर के इलाज के लिए ज्यादातर ओपन सर्जरी होती है। अभी देश में दूरबीन से पित्तशय के कैंसर की सर्जरी प्रचलित नहीं है। इस लिहाज से 30 मरीजों की दूरबीन से सर्जरी से साफ हो गया है कि लेप्रोस्कोपी से पित्तशय के कैंसर का इलाज भी संभव है। इसके परिणाम भी अच्छे मिल रहे हैं। एडवांस स्थिति में लेप्रोस्कोपी संभव नहीं
यदि कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच गया हो और वह लिवर के अलावा आंत को भी प्रभावित करता है। ऐसे मरीजों की लेप्रोस्कोपी से सर्जरी नहीं हो सकती। शुरूआती स्टेज में ही लेप्रोस्कोपी संभव है। लिवर पर मौजूद ट्यूमर (कैंसर) को भी दूरबीन से निकालने का किया कारनामा
शरीर में पित्तशय लिवर के पास होता है। इसलिए पित्तशय के कैंसर में कई बार लिवर का हिस्सा भी प्रभावित होता है। जीबी पंत अस्पताल में डॉक्टरों ने कैंसर प्रभावित लिवर के हिस्से को भी दूरवीन की मदद से काटकर निकालने में कामयाबी हासिल की है। डॉ. अनिल अग्रवाल ने बताया कि मणिपुर निवासी नाइते के लिवर के बायें हिस्से पर ट्यूमर (कैंसर) था। 22 अक्टूबर को दूरबीन की मदद से सर्जरी कर उस ट्यूमर को निकाल दिया गया। सर्जरी छह दिन बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उलरी भारत, दिल्ली-एनसीआर व गंगा क्षेत्रों में अधिक हैं मरीज गंगा के तराई क्षेत्रों बिहार, उलर प्रदेश सहित उलरी भारत व दिल्ली-एनसीआर में पित्तशय के कैंसर के मरीज अधिक हैं। दिल्ली एनसीआर में महिलाओं में होने वाले स्तन व सर्वाइकल कैंसर के बाद सबसे ज्यादा पित्तशय के कैंसर के मरीज हैं। पित्तशय कैंसर के मरीजों के लिए विशेष क्लीनिक जीबी पंत अस्पताल में हर साल पित्तशय के कैंसर के करीब 150 मरीज पहुंचते हैं। इसलिए हर बुधवार को विशेष क्लीनिक चलता है। अमेरिकी दावों को चुनौती, पीलिया होने पर भी सर्जरी संभव 'अमेरिका के मेडिकल जर्नल में शोध प्रकाशित कर दावा किया जा चुका है कि पित्तशय के कैंसर के साथ यदि पीलिया हो तो सर्जरी नहीं की जा सकती है। हमने पीलिया से पीड़ित पित्तशय के कैंसर मरीज की सर्जरी कर अमेरिकी जर्नल के दावों गलत साबित कर दिया है। पीलिया होने पर कैंसर की सर्जरी संभव है।' डॉ. अनील अग्रवाल, प्रमुख, गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल सर्जरी विभाग, जीबी पंत
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