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शक्तिपीठ नैना देवी के दरबार में उमड़े श्रद्धालु, यहीं गिरे थे माता सती के नेत्र, चांदी की आंखें दान करने के पीछे क्या है मान्यता

मां श्री नैना देवी के दरबार में नवरात्रि की धूम शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं ने सुख-समृद्धि की कामना की। पंजाब हिमाचल हरियाणा दिल्ली उत्तर प्रदेश बिहार सहित कई राज्यों से श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों लाइटों और लड़ियों से सजाया गया है। मां के दरबार में आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।

By Rajneesh Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 04 Oct 2024 08:29 AM (IST)
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नयना देवी के दरबार में नवरात्रि की धूम, श्रद्धालुओं ने की सुख-समृद्धि की कामना।
संवाद सहयोगी, श्री नैना देवी। विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में माता के शारदीय नवरात्र सुबह की आरती के साथ धूमधाम से शुरू हो गए। श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ माता जी का मंदिर सुबह चार बजे खोल दिया गया था। इसके बाद लगातार प्रदेश व अन्य राज्यों के श्रद्धालु कतारों में खड़े होकर माताजी के दर्शन करते रहे। नवरात्र के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं ने हवन यज्ञ कर अपने घर परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की।

माता श्री नैना देवी का दरबार हरियाणा की समाजसेवी संस्था की ओर से विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों, लाइटों और लड़ियों से सजाया गया है। पहले नवरात्र को 40 हजार श्रद्धालु मंदिर पहुंचे, इनमें करीब 80 प्रतिशत पंजाब के श्रद्धालु थे।

श्री नैना देवी के दरबार में पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों से काफी संख्या में श्रद्धालु नवरात्र पूजन के लिए पहुंचना शुरू हो गए हैं, पूरे नवरात्र के दौरान यह सिलसिला चलता रहेगा। मंदिर न्यास की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।

यहां गिरे थे माता के नयन

पुरानी कथाओं के मुताबिक कहा जाता है कि माता सती के नेत्र यहां पर गिरे थे। नेत्रों को नयन भी कहा जाता है, इसलिए इस मंदिर का नाम श्री नैना देवी पड़ा। जब दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें माता सती और भगवान शिव शंकर जी को यज्ञ में नहीं बुलाया। माता सती हठ करके अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में चली गईं।

वहां पर भगवान भोले शंकर जी का अपमान देखकर क्रोधित होकर यज्ञशाला में कूद गईं और माता सती के अर्द्धजले शरीर को भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल पर उठाकर ब्रह्मांड का भ्रमण शुरू किया फिर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के अंगों को अलग कर दिया और जहां-जहां भी माता सती के अंग गिरे, वहां वहां पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई है।

एक अन्य मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि माता श्री नैना देवी महिषासुर राक्षस का वध किया है और देवताओं ने उसमें खुश होकर जय नैना उद्घोष किया, जिससे इस शक्तिपीठ का नाम श्री नैना देवी पड़ा और जो भी श्रद्धालु माता के दरबार में आते हैं, माता रानी उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

नेत्र रोग होने पर श्रद्धालु चढ़ाते हैं चांदी के नेत्र

श्री नैना देवी में श्रद्धालु अपनी मन्नत मांगते हैं। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है तो वह अपनी श्रद्धा के अनुसार चढ़ावा चढ़ाता है। कहा जाता है कि नेत्र रोग होने पर श्रद्धालु चांदी के नेत्र चढ़ाते हैं और नेत्र रोग दूर हो जाते हैं। पंजाब के एक श्रद्धालु की माता को नेत्र दृष्टि का रोग था उन्होंने नेत्र ठीक होने की मन्नत मांगी। इसके बाद उन्होंने दरबार पहुंच कर चांदी के नेत्र दान किए थे।

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हम अपने परिवार व साथियों के साथ आज मां दुर्गा के प्रथम नवरात्रि पर माता जी के दर्शनों के लिए यहां पहुंचे हैं और बड़े ही प्यार के साथ और आराम से माता जी के दर्शन किए। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी माता जी के मंदिर को बड़े ही सुंदर रूप में सजाया गया है, जिसकी सुंदरता देखते ही बन रही है।

- ओमकार जिंदल, निवासी लुधियाना।

हम नई दिल्ली से आज नवरात्र के पहले दिन माता श्री नैना देवी जी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं और मंदिर में बहुत ज्यादा भीड़ है, फिर भी हमें बड़े आराम से माता जी के दर्शन करवाए गए। माता जी का मंदिर बहुत ही भव्य और सुंदर सजाया गया है।

-अनूप जिंदल, निवासी दिल्ली।

हम पूरा परिवार नवरात्रि पर माताजी के दर्शनों के लिए यहां आए हैं और हमें माताजी के दर्शन कर बहुत ही अच्छा अनुभव हुआ है। माताजी के मंदिर को बहुत ही अच्छा सजाया गया है। हम यही प्रार्थना करते हैं कि माता रानी सब पर अपनी मेहर करे और दया दृष्टि बनाए रखे।

-रीना देवी, निवासी, संगरूर।

शिकारी माता मंदिर आने के लिए नहीं देना होगा टैक्स

इस बार शारदीय नवरात्र में शिकारी माता मंदिर आने वाले भक्तों को टोल टैक्स नहीं चुकाना होगा। प्रशासन ने संबंधित ठेकेदार की टेंडर अधिक समाप्त होने के बाद यहां से बैरियर हटाने के लिए कहा है। इससे पहले 50 से 100 रुपये टोल टैक्स चुकाना पड़ता था। शारदीय नवरात्र में माता शिकारी देवी के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस बार मंदिर को खूब सजाया गया है।

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