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Himachal News: 'प्रदेश में खुल रहे निजी शिक्षण संस्थानों पर लगाम लगाए सरकार', अधीनस्थ चयन बोर्ड के सेवानिवृत सचिव ने दिया बयान

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के साथ ही अधीनस्थ चयन बोर्ड के सचिव रह चुके सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी डॉ केडी लखनपाल ने प्रदेश में धड़ाधड़ खुल रहे निजी शिक्षण संस्थानों पर अपना बयान दिया है। उन्होंने इन संस्थानों को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि लेकिन निजी संस्थानों ने अपने स्वार्थ पूरे करने के लिए इसे व्यवसायिक और व्यापारिक माध्यम बनाकर रख दिया है।

By Edited By: Mahendra MisraUpdated: Sat, 21 Oct 2023 04:15 PM (IST)
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अधीनस्थ चयन बोर्ड के सेवानिवृत सचिव ने प्रदेश में खुल रहे निजी शिक्षण संस्थानों पर दिया बयान
जागरण संवाद केंद्र, बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (Himachal Pradesh Board of School Education) के साथ ही अधीनस्थ चयन बोर्ड के सचिव रह चुके सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी डॉ केडी लखनपाल ने प्रदेश में धड़ाधड़ खुल रहे निजी शिक्षण संस्थानों को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।

उन्होंने कहा कि हालांकि शिक्षा ज्ञान वृद्धि और चरित्र निर्माण का साधन है, लेकिन निजी संस्थानों ने अपने स्वार्थ पूरे करने के लिए इसे व्यवसायिक और व्यापारिक माध्यम बनाकर रख दिया है।

ईमानदारी से मेहनत करने वाले युवाओं में पैदा हो रही निराशा

उन्होंने कहा कि इससे जहां शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है, वहीं पढ़ाई में ईमानदारी से मेहनत करने वाले युवाओं में हताशा और निराशा पैदा हो रही है। सरकार को इस मसले पर गंभीरतापूर्वक विचार करके कारगर कदम उठाने चाहिए।डा लखनपाल ने कहा कि हिमाचल में निजी शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। एक ही जिला में कई विश्वविद्यालय खोलने का कोई औचित्य नहीं है, लेकिन प्रदेश में ऐसा बड़े पैमाने पर हो रहा है।

शिक्षण संस्थान व्यापार का बने माध्यम

बच्चों का भविष्य संवारने के बजाए यह संस्थान व्यापार का माध्यम बन गए हैं। इनमें गोपनीयता का नामोनिशान तक नजर नहीं आता है। एक निजी विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 45 हजार फर्जी डिग्रियां बेचने का पर्दाफाश पहले ही हो चुका है, जिसकी जांच अभी चल रही है। इतने बड़े स्तर के इस फर्जीवाड़े में बोर्ड और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के साथ ही राजनेताओं की कथित मिलीभगत को भी नकारा नहीं जा सकता।

हिमाचल अधीनस्थ चयन बोर्ड को भी इसी वजह से भंग करना पड़ा, क्योंकि वह फर्जीवाड़े का अड्डा बन चुका था। राज्य नियामक आयोग ने भी सरकार से एक निजी विश्वविद्यालय को बंद करने की सिफारिश की है, जिससे इन संस्थानों की हकीकत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

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