Himachal Pradesh News: बिलासपुर के सबसे पुराने पुल का होगा पुनर्निमाण, आचार संहिता लगने के कारण अटका था काम
सतलुज नदी पर बनने वाले भजवाणी पुल के पुनर्निर्माण की संभावना है। चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लग जाने के बाद इस पुल के मरम्मत का काम रुक गया था। इस पुल के बनने के बाद जहां घुमारवीं से बिलासपुर मुख्यालय की दूरी करीब सात किलोमीटर कम होगी वहीं तीन विधानसभा क्षेत्रों की करीब 35 पंचायतों के लोगों को लाभ मिलेगा।
बंशीधर शर्मा,बिलासपुर। सता परिवर्तन के बाद ठंडे बस्ते में चले गए भजवाणी पुल निर्माण की प्रक्रिया आदर्श चुनाव आचार संहिता के हटने के बाद शुरू होने की संभावना है। इस पुल निर्माण के दोनों छोर पर बनने वाली सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए चीफ इंजीनियर कार्यालय से 2 करोड़ 60 लाख 60 हजार रुपये की राशि मंजूर कर दी है।
जबकि इस पुल निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय अधो संरचना निधि से 103 करोड़ 31 लाख रुपये की राशि 10 अगस्त, 2022 को मंजूर की थी जबकि इसकी स्वीकृति लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव ने 30 अगस्त, 2022 को दी थी। इसके बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग गई और प्रदेश में सता परिवर्तन के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
लोगों और भजवाणी पुल पुनर्निर्माण समिति के विरोध के बाद प्रदेश सरकार ने इस पुल के दोनों छोर पर बनने वाली सड़क के लिए जमीन चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू की और दोनों ओर बनने वाली संपर्क सड़क के निर्माण के लिए लोगों से मोलभाव कर जमीन के रेट तय किए। 11 बीघा जमीन चयनित कर सरकार से इसके लिए दो करोड़ 60 लाख 60 हजार रुपये का बजट मुआवजे के लिए मांगा था।
आदर्श आचार संहिता लगने के कारण टेंडर हुए थे रद्द
सतलुज नदी पर बनने वाले इस पुल के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग ने मार्च में आन लाइन टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी। संबंधित टेंडर आठ अप्रैल को खुलने थे लेकिन इस बीच लगी आचार संहिता लगने के कारण टेंडर रद्द हो गए।
आचार संहिता हटने के बाद दोबारा से विभाग इसके आन लाइन टेंडर प्रक्रिया शुरू करेगा तथा प्रभावित जमीन मालिकों को मुआवजा राशि का आवंटन किया जाएगा। इसके बाद इस पुल के साकार होने की उम्मीद लोगों में बंधी है।
साल 1889 में राजा अमीचंद ने बनवाया था पुल
दो विधानसभा क्षेत्रों सदर और घुमारवीं को जोड़ने वाले इस पुल निर्माण से झंडूता विधानसभा क्षेत्र को भी लाभ मिलेगा। इस पुल के बनने के बाद जहां घुमारवीं से बिलासपुर मुख्यालय की दूरी करीब सात किलोमीटर कम होगी वहीं तीन विधानसभा क्षेत्रों की करीब 35 पंचायतों के लोगों को लाभ मिलेगा।
इस पुल के बनने से सतलुज नदी पर ही कंदरौर में बने पुल से यातायात भार भी कम होगा। सतलुज नदी पर 301 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए 43 मीटर के सात स्पैन डाले जाएंगे। सतलुज नदी पर राजा अमीचंद ने 1889 में पुल बनाया था।उस समय इस पुल से बसें भी चलती थीं। इस पुल का अस्तित्व 60 के दशक में भाखड़ा बांध की वजह से बनी गोबिंद सागर झील बनने के बाद समाप्त होने लगा था तथा वर्ष 1984 तक इस पुल के अवशेष देखे जा सकते थे।
इस पुल को बनाने की क्षेत्र के लोग काफी लंबे समय से मांग कर रहे थे तथा इसकी लड़ाई लड़ने के लिए भजवाणी पुल पुन र्निर्माण समिति का गठन भी किया था।यह भी पढ़ें- मायानगरी की क्वीन से आखिर कैसे हारा हिमाचल का प्रिंस, कंगना की जीत और विक्रमादित्य की हार के ये हैं बड़े कारण
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