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Chamba News: लोगों को अपने जाल में जकड़ रही पथरी की बीमारी, हर रोज 60 लोग झेल रहे है किडनी स्टोन का दंश

हिमाचल प्रदेश के चंबा में इन दिनों गुर्दे की पथरी की बीमारी तेजी से फैल रही है। मरीजों को चंबा से टांडा रेफर किया जा रहा है क्योंकि चंबा मेडिकल कॉलेज में पिछले पांच साल से यूरोलॉजी विभाग शुरू नहीं हो पाया है। डॉक्टर ने बताया ज्यादा मात्रा में मांस खाने या अधिक प्रोटीन वाली खाद्य वस्तुएं खाने की वजह से ये बीमारी फैल रही है।

By Suresh Thakur Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sat, 17 Aug 2024 04:53 PM (IST)
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चंबा में रोजाना 60 मरीज किडनी स्टोन से हो रहे हैं ग्रसित (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सुरेश ठाकुर, चंबा। जिले के लोगों को किडनी स्टोन (गुर्दे की पथरी) की बीमारी तेजी से अपने जाल में जकड़ रही है। मेडिकल कॉलेज चंबा के सर्जरी विभाग में जांच करवाने आने वाले रोजाना सौ में 60 मरीज किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी की बीमारी से ग्रसित पाए जा रहे हैं। लोगों में इस बीमारी का होना उनका खराब रहन-सहन माना जा रहा है क्योंकि, लोग उचित खानपान नहीं करते है।

ज्यादा मांस खाने से हो रही है बीमारी

ज्यादा मात्रा में मांस खाने या अधिक प्रोटीन वाली खाद्य वस्तुएं खाने की वजह से भी लोगों को गुर्दे की पत्थरी की बीमारी हो रही है। जबकि सैकड़ों लोग बीमारी की चपेट में हैं। किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली, रीनल कॅल्क्युली, नेफरोलिथियासिस) गुर्दे एवं मूत्र नलिका की बीमारी है।

इसमें, वृक्क (गुर्दे) के अंदर छोटे-छोटे या बड़े पत्थर का निर्माण होता है। गुर्दे में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्य रूप से पथरियां अगर छोटी हो तो दवाइयों से बिना किसी तकलीफ मूत्र मार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं।

अगर ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं (2-3 मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। नतीजतन, ऑपरेशन कर ही बड़ी पथरी को निकालना पड़ता है।

30 से 60 वर्ष के लोगों में पाई जाती है ये बीमारी

यह बीमारी आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि व्यस्कों में अधिकतर गुर्दों और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है।

यह हैं गुर्दे की पथरी के लक्षण

-समुद्री बीमारी और उल्टी।

-खूनी पेशाब।

-पेशाब करते समय दर्द होना।

-पेशाब करने में असमर्थता।

-बहुत अधिक पेशाब करने की इच्छा होना।

-बुखार या ठंड लगना।

-बादल जैसा या बदबूदार पेशाब।

-गुर्दे की पथरी के प्रकार

कैल्शियम-ऑक्सालेट और कैल्शियम फॉस्फेट पत्थर ।

यूरिक एसिड की पथरी ।

स्ट्रुवाइट पथरी ।

सिस्टीन पथरी ।

गुर्दे की पथरी का क्या कारण है?

-पेशाब में बार-बार संक्रमण होना

-खाने में प्रोटीन की ज्यादा मात्रा

-नमक जरूरत से ज्यादा खाना

-पैरा थायराइड की कमी हो जाना

-आमाशय के बड़े ऑपरेशन के बाद

-पेशाब में रूकावट पैदा होना

बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

- पानी खूब पिएं।

- नमक व मीठे का कम सेवन करें।

-प्रोटीन वाली डायट कम लें।

-बड़े दाने वाली दालें न लें।

-रेड मीट न खाएं।

पांच साल में शुरू नहीं हो पाया यूरोलॉजी विभाग

पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा में पांच साल बाद भी यूरोलॉजी विभाग शुरू नहीं हो पाया है। इसके चलते किडनी रोग के मरीजों को अपना इलाज करवाने के लिए जिले के बाहर जाना पड़ रहा है। यूरोलॉजी विभाग में जो यूरोलॉजिस्ट तैनात होते हैं। किडनी रोग के मरीजों का इलाज करते हैं।

खासतौर पर किडनी की पत्थरी का इलाज यूरोलॉजिस्ट करते हैं, लेकिन चंबा में पांच सालों में कोई भी सरकार यूरोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं कर पाई है। इसका खामियाजा जिले की जनता को भुगतना पड़ रहा है।

किडनी रोग से संबंधित मरीज टांडा और शिमला में जाकर अपना इलाज करवाने को मजबूर हैं। इसके लिए उन्हें हजारों रुपये आने-जाने के किराये पर ही खर्च करने पड़ रहे हैं।

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खराब खान पान से लोगों को हो रही गुर्दे की पत्थरी- डॉ. अश्वनी

चंबा मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी ने बताया कि चंबा के लोगों में गुर्दे की पथरी की बीमारी ज्यादा पाई जा रही है। रोजाना ओपीडी में 60 से 70 मरीज जांच को आते हैं।

इस बीमारी के होने के पीछे लोगों का खराब खानपान है। इससे लोगों को बचना चाहिए। चंबा में यूरोलॉजिस्ट ना होने के कारण महीने में करीब 20 से तीस मरीजों को टांडा रेफर करना पड़ रहा है। जिनको आपरेशन की जरूरत होती है।

चंबा मेडिकल कॉलेज में यूरोलॉजी विभाग खोलने व यूरोलॉजिस्ट की तैनाती के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा है। चंबा में मरीजों को बेहतर उपचार देने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

-एसएस डोगरा,प्रचार्य मेडिकल कालेज चंबा

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