किलाड़ से कुल्लू जाने वाले यात्रियों को दो बार बस बदलनी पड़ती है और तीन बार टिकट लेनी पड़ती है। केलंग में बसें बदलने से यात्रियों को परेशानी होती है। पांगी के लोगों ने सरकार से किलाड़ से कुल्लू के लिए सीधी बस सेवा देने की मांग की है। भरमौर के विधायक डॉ जनक राज का कहना है कि इस बारे में परिवहन मंत्री से भी बात की जाएगी।
कृष्ण चंद राणा, पांगी। बस रूट किलाड़ से कुल्लू, रूट के बीच पड़ते स्टेशन केलंग, मनाली, बोर्ड भी किलाड़ से कुल्लू का.....। रूट का बोर्ड देख लोग सीधे बस में सीटें संभाल लेते हैं, लंबा सफर है, इसलिए यह जरूरी है....। बस रफ्तार पकड़ती है। सवारियां एक-दूसरे से कुछ देर बातें करती हैं....। कुछ अपने दुखड़े सुनाते हैं, कुछ उनके सुनते हैं, इस बीच नींद की झपकी भी आने लगती है, मगर केलंग पहुंचते ही बस के पहिये थम जाते हैं। सवारियों को नीचे उतार दिया जाता है। कहा जाता है आगे की मंजिल के लिए दूसरी बस पकड़ लो। हमारा सफर यहीं तक था।
जानें क्या है मामला
इस परेशानी से पांगी के लोग हर रोज जूझते हैं। घाटी के लोगों को कुल्लू जाने के लिए दो बसें बदलनी पड़ती हैं। लोग पथ परिवहन निगम से एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि जब किलाड़ से चलने वाली बस केलंग तक ही जाएगी, तो फिर बस पर किलाड़-कुल्लू रूट का बोर्ड क्यों लगाया जाता है।किलाड़ सब डिपो की बस किलाड़ से कुल्लू रूट पर बस सुबह नौ बजे चलती है। बस केलंग में शाम लगभग 5.15 बजे बजे पहुंचती है। यहीं पर इसका सफर खत्म हो जाता है। केलंग से लोगों को केलंग-शिमला बस या किसी दूसरी बस में बैठना पड़ता है। सीट मिली तो ठीक नहीं तो कई किलोमीटर का सफर खड़े-खड़े करना पड़ता है।
यदि सीट मिल भी जाए तो मनाली में ऑनलाइन सीट बुकिंग करवाने वाली कोई सवारी आ जाए तो सीट छोड़नी पड़ती है। किलाड़ से कुल्लू के लिए जाने वाले बुजुर्ग, बच्चे व महिलाएं सभी केलंग बस अड्डे में बस बदलने के चक्कर में यहां-वहां भटकते रहते हैं।
यह है रूट और इतना समय लगता है
किलाड़ से केलंग की दूरी 140 किलोमीटर है, किराया 156 रुपये और किलाड़ से केलंग पहुंचने में लगभग आठ घंटे लगते हैं। केलंग से मनाली की दूरी 69 किलोमीटर है, किराया 90 रुपये और केलंग से मनाली पहुंचने में लगभग तीन घंटे लगते हैं। मनाली से कुल्लू की दूरी 40 किलोमीटर है, किराया लगभग 32 रुपये और मनाली से कुल्लू पहुंचने में लगभग डेढ़ घंटा का समय लगता है।
...जरा इन लोगों की सुनो
स्थानीय लोगों रामचरण, दिनेश कुमार, विमला कुमारी, अनीता कुमारी, कर्म लाल, दिपेश कुमार, मान चंद, पूर्ण चंद, सारदेई, रजनी कुमारी, हीरा लाल, शेर चंद, जानकी देवी, रजदेई, अमर देई, विशाखा, बेली राम, हिरदेई, रमेश कुमार, प्रीतम सिंह तथा प्रह्लाद सिंह ने कहा कि पांगी के लोगों का हाल इसलिए ऐसा हो रहा है, क्योंकि प्रदेश सरकार में उनका अपना प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं है, सरकार तक उनकी आवाज नहीं पहुंच रही है।
यदि किसी माध्यम से पहुंचती भी है तो उस पर गौर नहीं किया जाता है। सरकार ने पांगी में सब डिपो तो खोल दिया है लेकिन उसकी देखरेख की जिम्मेदारी दूसरे जिले के पास है। कहने को तो पांगी में एकल प्रशासन प्रणाली है, फिर भी लोगों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। सबडिपो किलाड़ अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए था। दूसरा पांगी सबडिपो जितनी भी बसें भेजी गई हैं, वे सभी खटारा हैं।
इस विषय को मैंने परियोजना सलाहकार समिति की बैठक में भी उठाया था। समिति अध्यक्ष जनजातीय विकास मंत्री ने विभाग के उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए थे। बस बदले जाने की स्थिति में पांगी के लोगों के लिए बस में सीटें आरक्षित रखनी चाहिए। इस बारे में परिवहन मंत्री से भी बात की जाएगी।
-डॉ. जनक राज, विधायक भरमौर।
यह भी पढ़ें- बादल फटने से पहले सचेत होगा हिमाचल, प्रदेश में स्थापित होंगे 48 मौसम केंद्र; फ्रांस की एजेंसी से बनी सहमति
परेशानी यही खत्म नहीं होती
किलाड़ से कुल्लू तक बसें ही, नहीं टिकट भी बार-बार बनानी पड़ती है। किलाड़ से पहली टिकट केलंग की बनानी पड़ती है। केलंग से मनाली की अलग से टिकट लेनी पड़ती है। फिर मनाली से कुल्लू के लिए अलग टिकट लेनी पड़ती है।
मामला मेरे ध्यान में लाया गया है। इस बारे में एमडी हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम से बात कर मामले का हल निकाला जाएगा ताकि लोगों को दिक्कतें पेश न आएं।
-सुरजीत भरमौरी, निदेशक हिमाचल पथ परिवहन निगम।
यह भी पढ़ें- Himachal Jobs: हिमाचल प्रदेश में वन-स्टॉप सेंटरों में 156 पदों पर भर्ती की अधिसूचना जारी, 16,695 रुपए मिलेगा वेतन
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।