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    सड़कें भी बह गईं... कैसे बचें? हिमाचल में आपदा के बीच पांच हजार लोग पैदल ही निकले, 13000 यात्री अभी भी फंसे

    Updated: Sat, 30 Aug 2025 05:30 AM (IST)

    चंबा जिले में भारी बारिश ने तबाही मचाई है जिससे मणिमहेश यात्रा में फंसे हजारों यात्री बेहाल हैं। इंटरनेट सेवाएं ठप होने से संपर्क टूट गया है और रास्ते बंद होने से यात्री फंसे हुए हैं। जान्घी क्षेत्र के लोगों ने यात्रियों को भोजन और आश्रय प्रदान किया जिससे उन्हें बड़ी राहत मिली। प्रशासन बचाव कार्य में जुटा है

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    मणिमहेश में फंसे हजारों मणिमहेश यात्रियों को रेस्क्यू करने का अभियान जारी (जागरण फोटो)

    संवाद सहयोगी, डलहौजी। जिला चंबा में आफत की बरसात ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। कहीं पूरे के पूरे गांव भूस्खलन की जद में कार जमींदोज हो गए हैं तो कही भूस्खलन की चपेट में आने से घरों के क्षतिग्रस्त होने से लोगों को बरसात के बीच रातें तिरपालों के नीचे अथवा रिश्तेदारों के घर गुजारने का संकट आन खड़ा हुआ है।

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    इस आपदा में मणिमहेश यात्रा पर कुछ लोग हमेशा के लिए अपनों से बिछड़ चुके हैं। वहीं की लोग लापता हैं और स्वजन उनके सुरक्षित होने की मन्नतें मांग रहे हैं। जिला में इंटरनेट सेवाएं चरमरा जाने से मणिमहेश यात्रा में फंसे हजारों लोगों का अपनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है।

    कई मणिमहेश यात्री एक सप्ताह से भी अधिक समय से अपनों के संपर्क में नहीं हैं। जिससे कि मणिमहेश, हडसर, भरमौर से लेकर चंबा तक फंसे मणिमहेश यात्रियों के स्वजन काफी चिंतित हैं।

    स्वजन हो रहे परेशान

    पंजाब से कई लोग दैनिक जागरण से भी संपर्क कर मणिमहेश यात्रा दौरान संपर्क से कट चुके अपने स्वजनों की कुशलता की जानकारी जुटा रहे हैं और दैनिक जागरण भी ऐसे लोगों की सूचनाएं पहुंचनें में हर संभव मदद कर रहा है। ज्ञात हो कि मणिमहेश से चंबा तक एनएच के विभिन्न स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो जाने से हजारों शिव भक्त मणिमहेश से लेकर चंबा तक फंसे हुए हैं।

    यात्रा दौरान ऑक्सीजन की कमी अथवा अन्य कारणों से काल का ग्रास बन चुके कुछ लोगों के शवों का इंतजार करते हुए स्वजन की आँखें पथरा गई हैं। वहीं जिन लोगों के शव प्रशासन द्वारा सौंपे जा चुके हैं उनके स्वजन का रो रोकर बुरा हाल हो गया है। प्रशासन मणिमहेश से भरमौर तक व अन्य स्थानों पर फंसे मणिमहेश यात्रियों को रेस्क्यू करने में जुटा हुआ है।

    चंबा के लिए रवाना किए गए यात्री

    शुक्रवार को भी भरमौर से हजारों मणिमहेश यात्रियों को चंबा के लिए रवाना किया गया। इन मणिमहेश यात्रियों में महिलाएं, पुरुष, बच्चे व बुजुर्ग शामिल हैं। जिन्हें कि भरमौर से चंबा तक कहीं वाहनों में सफर कर तो कई किलोमीटर पैदल चलकर चंबा पहुंचना पड़ रहा है।

    कई मणिमहेश यात्रियों के पास पैसों की किल्लत हो चुकी है और कई मणिमहेश यात्रियों को अपने वाहनों को भरमौर व हडसर में ही छोड़कर वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ गया है।

    सड़कों का नामो निशान मिट जाने के कारण दरकी पहाड़ियों के मलबे के उपर से व रावी नदी के किनारे लगे मलबे के ढेरों से होकर अपनी जान जोखिम में डालकर सैंकड़ों हजारों मणिमहेश यात्री सुरक्षित स्थानों की ओर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं।

    उधर सरकार के प्रतिनिधि भी शुक्रवार को जिला के प्रवास पर पहुंचे और काबिना मंत्रियों ने लोगों व प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर जिला में हुए नुकसान व मणिमहेश यात्रियों को रेस्क्यू किए जाने की समीक्षा की। साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों को सभी मणिमहेश यात्रियों को जल्द से जल्द रेस्क्यू करने सहित यात्रियों के खाने पीने की व्यवस्था सहित ठहरने की व्यवस्थाओं को लेकर भी आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

    मनिमहेश यात्रा दौरान हजारों की संख्या में मणिमहेश यात्री जान्घी क्षेत्र में फंस गए थे। यात्रियों के अनुसार इस दौरान उनके पास प्रसह्स्निक मदद तो नहीं पहुंची।

    हजारों लोगों के लिए देवदूत बने स्थानीय लोग

    मगर जान्घी क्षेत्र के निवासियों से अपने घरों के दरवाजे हर एक मणिमहेश यात्री व आपदा में फंसे लोगों के लिए खोल दिए। यात्रियों के अनुसार जान्घी क्षेत्र के लोगों ने हजारों लोगों को अपने घरों में सुरक्षित शरण देने के साथ भोजन इत्यादि की भी व्यवस्था करवाई।

    पंजाब के गुरदासपुर के मणिमहेश यात्रियों ने कहा कि जान्घी क्षेत्र के लोग उनके लिए किसी फ़रिश्ते के समान हैं जो कि संकट मदन उनके काम आए। पंजाब के श्रधालुओं ने कहा कि जान्घी क्षेत्र के लोगों सहित हिमाचल के लोग बहुत अच्छे हैं और संकट के समय हिमाचली लोगों से मिली मदद को वे जीवन भर नहीं भूल पाएंगे।

    प्रशासन द्वारा विशेष बसों के माध्यम से भी वीरवार व शुक्रवार को सैंकड़ों मणिमहेश यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्यों की ओर रवाना किया गया। वहीं चंबा से लेकर बनीखेत तक विभिन्न स्थानों पर भंडारे लगाकर लोगों ने मणिमहेश यात्रियों हेतु भोजन की व्यवस्था की।

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