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हिमाचल के चंबा में बढ़ने की बजाय घट रहा बच्चों का वजन, सर्वे में हुआ हैरान करने वाला खुलासा

चंबा जिले में हुए एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सर्वेक्षण के अनुसार जिले में 5 वर्ष से कम आयु के 2088 बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। इनमें से 319 बच्चे अल्प कुपोषित और 71 बच्चे अति कुपोषित पाए गए हैं। कुपोषण से निपटने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग मासिक सर्वेक्षण करवा रहा है।

By Suresh Thakur Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 17 Sep 2024 04:40 PM (IST)
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चंबा में 2 हजार से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार। (फाइल फोटो)

सुरेश ठाकुर, चंबा। चंबा के आंगनबाड़ी केंद्रों के सर्वेक्षण में शून्य से पांच साल तक के बच्चों पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सर्वेक्षण में पाया गया है कि इस आयु के 1698 बच्चों का भार आवश्यकता से कम पाया गया है। आधिकारिक आंकड़ों में यह भी दावा किया गया है कि सर्वेक्षण में अल्प कुपोषित 319 व अति कुपोषित 71 बच्चे पाए गए हैं।

जिले में पांच वर्ष से कम आयु के 2,088 बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। स्वास्थ्य विभाग कुपोषित बच्चों की विशेष निगरानी कर इन्हें दोगुना खुराक दे रहा है। इसमें अंडे, दलिया समेत अन्य खाद्य वस्तुएं शामिल हैं।

जिले में कुपोषित बच्चों का पता जुलाई में हुए विभाग के मासिक सर्वेक्षण में हुआ है। कुपोषण से निपटने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग मासिक सर्वेक्षण करवा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग ने चंबा के दूरदराज के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी स्वास्थ्य कर्मचारियों, आशा वर्करों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कुपोषित बच्चों की पहचान कर इनका उपचार करवाने के निर्देश दिए हैं।

क्या है कुपोषण?

शरीर को लंबे समय तक संतुलित आहार न मिलना कुपोषण है। इससे बच्चों व महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। मांसपेशियां ढीली होना या सिकुड़ना, कार्य करने पर थकान होना, चिड़चिड़ापन, घबराहट, चेहरा नीरस, आंखों के चारों ओर काले घेरे बनना, भार कम होना, कमजोरी, नींद कम आना, पाचन क्रिया बिगड़ना, हाथ-पांव पतले होना, पेट बढ़ना, शरीर में सूजन कुपोषण के मुख्य कारण हैं।

कुपोषित बच्चों को दी जाती है दोगुना खुराक

अति कुपोषित व कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र से हर माह मिलने वाली डाइट पहले के बजाय दोगुना दी जाती है। माताओं को भी समय-समय पर संतुलित आहार देने की सलाह दी जाती है, ताकि बच्चों को कुपोषित होने से बचाया जा सके। यदि किसी बच्चे का विकास कम होता है तो माताओं को चिकित्सक से चेकअप करवाने की सलाह दी जाती है।

जिले में 2,088 बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए गए हैं। विभाग अति कुपोषित बच्चों को दोगुना खुराक दे रहा है। कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाली डाइट दोगुना कर दी जाती है, ताकि कुपोषण को दूर किया जा सके। हर माह जिले में कुपोषित बच्चों का ग्राफ कम हो रहा है। विभाग की ओर से हर माह सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों का सर्वेक्षण करवाया जा रहा है, ताकि जिला को कुपोषणमुक्त किया जा सके।

-राकेश कुमार चौधरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग चंबा।

अति कुपोषित पाए जाने वाले जिन बच्चों को महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से स्वास्थ्य विभाग के पास भेजा जाता है, उन्हें चिकित्सीय जांच के बाद दवाएं दी जाती हैं। सेहत को देखते हुए ऐसे बच्चों को एनआरसी सेंटर भी भेजा जाता है।

-डा. विपन ठाकुर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी चंबा।

कुपोषण के मुख्य कारण

  • गर्भावस्था के दौरान मां का उचित आहार न लेना।
  • माता-पिता को बच्चों की सही खुराक का पता न होना।
  • बच्चों में फास्ट फूड की आदत।
  • बच्चों का न खेलना, योग व व्यायाम न करना।
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