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मणिमहेश डल झील क्षेत्र में लंगर और व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक, जानें क्यों लिया गया ये फैसला?

मणिमहेश यात्रा (Mani Mahesh Yatra) के दौरान डल झील (Dal Lake) की पवित्रता और पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बड़ा फैसला लिया है। ट्रिब्यूनल ने डल झील क्षेत्र में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि और लंगर लगाने पर रोक लगा दी है। इस फैसले से पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा।

By Suresh Thakur Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 29 Oct 2024 08:50 AM (IST)
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मणिमहेश डल झील क्षेत्र में लंगर पर लगी रोक (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, चंबा। अगले वर्ष मणिमहेश यात्रा (Mani Mahesh Yatra) के दौरान डल झील पर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सभी प्रकार की व्यापारिक गतिविधियों व लंगर लगाने पर रोक लगा दी है। पानी की गुणवत्ता और स्थान की पवित्रता को बनाए रखने के लिए डल झील के क्षेत्र में किसी भी व्यावसायिक या लंगर गतिविधि की अनुमति नहीं होगी। ये आदेश ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ डॉ.अफरोज अहमद ने दिए हैं।

इस कमेटी ने दायर की थी याचिका

भटियात की शिव नुआला कमेटी की ओर से पिछले साल मणिमहेश यात्रा के दौरान वैकल्पिक तौर पर शौचालय की उचित व्यवस्था व सफाई का प्रबंध न होने पर याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि मणिमहेश यात्रा के दौरान वैकल्पिक तौर पर शौचालय की व्यवस्था और इनकी सफाई का प्रबंध नहीं होता है जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।

इस पर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक कमेटी का गठन करने के आदेश जारी किए थे। कमेटी में उपायुक्त चंबा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वन मंडल अधिकारी शामिल किए थे। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दो महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा था। पानी की गुणवत्ता और स्थान की पवित्रता को बनाए रखने के लिए मणिमहेश डल के एरिया में किसी भी व्यावसायिक या लंगर गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी।

यात्रा पर जाने से पहले लेनी होगी अनुमति

गैर यात्रा अवधि के दौरान ट्रैक पर ट्रैकर्स और पर्यटकों के प्रवेश के प्रबंधन के लिए वन विभाग जिम्मेदार होगा। वन, पुलिस और प्रशासन का संयुक्त सहयोग मणिमहेश के विभिन्न ट्रैक मार्गों पर तीर्थ यात्रियों के प्रवेश का प्रबंधन करेगा।

कोई भी व्यक्ति या संस्था अनुमति के बिना यात्रा मार्ग पर सरकारी भूमि पर व्यावसायिक गतिविधियां नहीं करेंगे। ट्रैकर्स, पर्यटकों व यात्रियों की सेवा के लिए अस्थायी खाद्य स्टाल, दुकानें स्थापित करने के लिए विशिष्ट स्थान निर्धारित किए जाएंगे। अस्थायी दुकानों को सहारा देने के लिए कंक्रीट व पत्थर के चबूतरों को छोड़कर किसी भी स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं होगी।

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सिंगल यूज प्लास्टिक बंद

यात्रा के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक में खाद्य उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित होगी। पैकेजिंग कचरे को कम करने के लिए गर्म पका हुआ भोजन पेश करने वाले विक्रेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। गैर यात्रा अवधि के दौरान हड़सर में एक हेल्प डेस्क स्थापित किया जाएगा जहां वन विभाग द्वारा ट्रैकर और यात्रियों का पंजीकरण किया जाएगा।

आगे स्थानीय लोगों और वन विभाग की साझेदारी में हड़सर में ईको विकास समिति बनाई जाएगी। यात्रियों और ट्रैकर्स से ईको सेस के रूप में नाममात्र शुल्क लिया जाएगा और इस फंड का उपयोग गैर यात्रा अवधि के दौरान मार्ग की सफाई और रखरखाव, मार्ग पर ट्रेकर्स, पर्यटकों और यात्रियों के लिए अस्थायी सुविधाओं के निर्माण और रखरखाव के लिए किया जाएगा।

सिफारिशों का पालन करने का दिया भरोसा

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की सुनवाई में हिमाचल की ओर से अधिवक्ता दिव्यांशु श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य संयुक्त समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों का पालन करने के लिए हम तैयार हैं और रिपोर्ट पर कोई आपत्ति नहीं है।

संयुक्त समिति द्वारा सुनवाई के दौरान विभिन्न सिफारिशें की गईं ताकि अगले वर्ष यात्रा को वैसी समस्याओं का सामना न करना पड़े जैसी पहले देखी गई थीं। मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार जनरल को 31 जनवरी 2025 तक एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

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