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    39 बसें और 25 टैक्सियां, भरमौर में फंसे 5 हजार श्रद्धालु पहुंचे कलसुईं; 1995 त्रासदी की यादें ताजा

    Updated: Sat, 30 Aug 2025 08:04 AM (IST)

    चंबा में मणिमहेश यात्रा के दौरान भारी बारिश और भूस्खलन से फंसे श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं। लगभग पांच हजार श्रद्धालु भरमौर से पैदल चलकर कलसुईं पहुंचे जहाँ उनके लिए भोजन और ठहरने की व्यवस्था की गई है। चंबा में एक हजार श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था है और कलसुईं धरवाला और डखोग में लंगर चल रहे हैं।

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    भरमौर में फंसे 5 हजार श्रद्धालु पहुंचे कलसुईं। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, चंबा। मणिमहेश यात्रा के दौरान भारी बारिश और भूस्खलनों से मार्ग अवरुद्ध होने के बीच प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षित वापसी के लिए बड़े पैमाने पर इंतज़ाम किए हैं। प्रशासन की देखरेख और सेक्टर अधिकारियों की अगुवाई में करीब पांच हजार श्रद्धालु भरमौर से पैदल चलकर देर रात चंबा से 15 किलोमीटर दूर कलसुईं सुरक्षित पहूंच गए।

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    इन श्रद्धालुओं के कलसुईं तक पहूंचते ही प्रशासन ने उनकी सुरक्षित वापसी और मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था को लेकर युद्धस्तर पर कदम उठाए। कलसुईं पहूंचे श्रद्धालुओं को चंबा और नूरपुर ले जाने के लिए प्रशासन ने 39 बसें और 25 टैक्सियां मौके पर तैनात की हैं। इसके अलावा अतिरिक्त दबाव को देखते हुए डीसी कांगड़ा से 40 और बसों की मांग की गई है।

    वहीं चंबा मुख्यालय में एक हजार श्रद्धालुओं के ठहरने और भोजन की विशेष व्यवस्था भी की गई है, ताकि फंसे श्रद्धालुओं को किसी तरह की कठिनाई न हो। कलसुईं से राख तक की सड़क को मलबा हटाकर साफ कर दिया गया है, लेकिन यह मार्ग अभी बसों की आवाजाही के लिए पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।

    प्रशासन ने यहां सात टीमें तैनात की हैं, जिनमें आपदा मित्र, होमगार्ड जवान, एनसीसी कैडेट, स्थानीय स्वयंसेवक, पुलिस कर्मी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। ये टीमें लगातार श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालने और राहत कार्यों में जुटी हुई हैं।

    श्रद्धालुओं के लिए कलसुईं, धरवाला और ढकोग में तीन निःशुल्क लंगर चलाए जा रहे हैं, जहां भोजन, चाय और अन्य आवश्यक वस्तुए उपलब्ध कराई जा रही हैं। बड़ी संख्या में पहुँचे श्रद्धालुओं को तुरंत राहत देने में ये लंगर अहम भूमिका निभा रहे हैं।

    मंडलायुक्त कांगड़ा ने मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश सरकार को भेजी स्थिति रिपोर्ट में बताया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षित वापसी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। प्रशासन लगातार हालात पर नज़र रखे हुए है और जरूरत पड़ने पर हवाई मार्ग से भी राहत पहूंचाने की तैयारी कर ली गई है।

    फिलहाल भारी बारिश का कारण चंबा पठानकोट मार्ग पर भूस्खलन होने से यातायात देर रात से बंद है जिसे 8 बजे तक बहाल करने का लक्ष्य रखा है। मार्ग बहाल होने के बाद श्रद्धालुओं को चंबा से पठानकोट ओर अन्य जिलों के लिए रवाना किया जाएगा।

    बहरहाल मणिमहेश यात्रा का यह संकट स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। राहत और बचाव कार्यों ने जहां श्रद्धालुओं को उम्मीद दी है, वहीं इस त्रासदी ने लोगों को एक बार फिर 1995 की भयावह आपदा की याद दिला दी है, जब रावी नदी के प्रलयकारी स्वरूप ने हजारों जिंदगियों को हिला दिया था।

    प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षित वापसी और राहत व्यवस्था को लेकर पूरी तरह मुस्तैद है। शुक्रवार को भरमौर से सेक्टर अधिकारियों की देखरेख में श्रद्धालु पैदल यात्रा कर देर रात कलसुईं में सुरक्षित पहूंचे हैं।

    उनकी सुविधा के लिए 39 बसें और 25 टैक्सियां तैनात की गई हैं, साथ ही 40 अतिरिक्त बसों की मांग भी की गई है। चंबा में एक हजार श्रद्धालुओं के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है, जबकि कलसुईं, धरवाला और डखोग में निशुल्क लंगर चल रहे हैं। प्रशासन हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

    - अमित मेहरा, अतिरिक्त उपायुक्त चंबा

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