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Himachal Pradesh: रावी दिखा चुकी है विकराल रूप, लोग खेल रहे मौत का खेल; किनारे हो रही बसावट- प्रशासन ने चेताया

Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में लोग नदी नालों व खड्डों के किनारे निर्माण कार्य कर जान के जोखिम को न्योता दे रहे हैं। सन् 1995 में भारी बारिश के चलते रावी नदी का जलस्तर बढ गया था जिससे बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। बावजूद इसके लोग मानने को तैयार नहीं है। वहीं प्रशासन ने इन निर्माण कार्यों को खतरनाक बताया है।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 18 Jul 2023 05:17 AM (IST)
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Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में लोग नदी, नालों व खड्डों के किनारे निर्माण कार्य
संवाद सहयोगी, चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में लोग नदी, नालों व खड्डों के किनारे निर्माण कार्य कर जान के जोखिम को न्योता दे रहे हैं।

जिले के भरमौर व होली क्षेत्र से लेकर चंबा तक विभिन्न स्थानों पर लोगों ने रावी नदी किनारे निर्माण कार्य किया हुआ है, जिनमें कई जगह तो मकान और दुकान बने हुए हैं।

चंबा शहर के बालू में भी कई मकान व दुकानें ऐसी हैं, जो कि रावी नदी के किनारे पर बनी हुई हैं। इनमें पुराने बालू पुल के आसपास का निर्माण कई वर्ष पूर्व हुआ है तो वहीं, नए बालू पुल के आसपास का निर्माण तीन से पांच वर्ष पहले हुआ है।

यह निर्माण नदी के बिल्कुल किनारे पर किया गया है। यही कारण है कि बीते एक सप्ताह पूर्व जब रावी नदी में बाढ़ आई तो नदी का पानी यहां निर्मित दुकानों व घरों तक पहुंच गया था। गनीमत रही कि इस दौरान कोई भी मकान या दुकान रावी नदी के तेज बहाव में नहीं बहे।

यदि 1 या 2 दिन भारी वर्षा का दौर लगातार जारी रहता तो ये दुकानें व मकान बह सकते थे। इसी तरह चंबा शहर के हरदासपुर, भद्रम, जुलाहकड़ी, ओबड़ी, सुल्तानपुर सहित अन्य स्थानों पर भी लोगों की ओर से नालों के साथ मकानों व दुकानों का निर्माण किया गया है।

ऐसे में जब भी भारी वर्षा होती है तो नालों का पानी सीधे मकानों में घुस जाता है। इसके अलावा तमाम जिलाभर में विभिन्न स्थानों पर भी नदी व नालों के किनारे पर मकान बनाए गए हैं।

रावी नदी दिखा चुकी है अपनी विकराल रूप

सन् 1995 में भारी बारिश के चलते रावी नदी का जलस्तर बढ गया था, जिससे बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। बारिश होने पर रावी नदी का जलस्तर एकदम से बढ़ जाता है। वहीं, यदि भारी वर्षा का दौर लगातार 3 दिन से अधिक हो जाए तो यह खतरे की घंटी होती है। 

नदी में आई बाढ़ की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पानी का तेज बहाव पुराने शीतला पुल के ऊपर से बहने लगा था। जिससे शीतला पुल को भी क्षति पहुंची थी। इस तरह रावी नदी भारी वर्षा होने पर भयानक रूप धारण कर लेती है और बारिश के मौसम में तो बाढ़ की आशंका और बढ़ जाती है।

यदि चमेरा जल विद्युत परियोजनाओं के बांध का अधिक पानी छोड़ना पड़ जाए या फिर कहीं बादल फट जाए तब रावी किनारे तबाही मच सकती है।

करवाए थे 250 मकान खाली

करीब 4 वर्ष पूर्व हुई भारी वर्षा के कारण रावी नदी उफान पर थी। ऐसे में प्रशासन को रावी किनारे करीब 250 से 300 मकानों को खाली करवाया गया था। बरसात के दिनों में अकसर ऐसे हालात बन जाते हैं।

क्या कहते हैं बुद्धिजीवी

जिला परिषद सदस्य मनोज कुमार कहते हैं कि बुद्धिजीवी नदी व नालों के किनारों पर हो रहे निर्माण कार्यों को बिल्कुल भी उचित नहीं समझते। क्योंकि, जब भी भारी वर्षा होती है या फिर बादल फटता है तो तबाही मच जाती है।

प्रशासन व सरकार को इस बारे में सोचने की जरूरत है कि नदियों व नालों के किनारे पर निर्माण न हो सके। क्योंकि, यह बहुत खतरनाक है।

-नीलम कुमारी, जिला परिषद अध्यक्ष।

नदी व नालों के किनारे निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। लोगों को यह समझना ही होगा कि यदि कोई नाला सूख चुका है तो वह भी कभी न कभी तबाही मचा सकता है।

-पद्मश्री विजय शर्मा, चंबा।

प्रदेश सरकार की ओर से नदी व नालों के किनारे निर्माण को लेकर जो भी नियम बनाए जाएंगे, उनका कड़ाई से पालन किया जाएगा। लोगों से अपील है कि नदी व नालों से निश्चित दूरी पर ही निर्माण करें।

-अपूर्व देवगन, उपायुक्त चंबा।

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