30 हजार रुपये किलो बिक रही है ये सब्जी, PM मोदी ने भी मानी इसके गुणों की खासियत
औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी स्वाद में भी बेजोड़ होती है ये हिमाचल के जंगलों में पायी जाती है और 30 हजार प्रतिकिलो की दर से बिकती है। प्रधानमंत्री मोदी भी इसके गुणों के कायल है।
By Babita kashyapEdited By: Updated: Thu, 12 Sep 2019 12:50 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। गुच्छी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसका औषधीय नाम मार्कुला एस्क्यूपलेटा है।यह स्पंज मशरूम के नाम से देश भर में मशहूर है। यह गुच्छी स्वाद में बेजोड़ और कई औषधियों गुणों से भरपूर हैं। स्थानीय भाषा में इसे छतरी, टटमोर या डुंघरू कहा जाता है। गुच्छी चंबा, कुल्लू, शिमला, मनाली सहित प्रदेश के कई जिलों के जंगलों में पाई जाती है। आज के दौर में अधिकतर लोग गुच्छी के गुणों से अनजान हैं। इसलिए इसका पूरा फायदा नहीं उठाया जा रहा है। गुच्छी ऊंचे पहाड़ी इलाके के घने जंगलों में कुदरती रूप से पाई जाती है। जंगलों के अंधाधुंध कटान के कारण यह अब काफी कम मात्रा में मिलती है। यह सबसे महंगी सब्जी है। इसका सेवन सब्जी के रूप में किया जाता है। हिमाचल से बड़े होटलों में ही इसकी सप्लाई होती है।
प्रधानमंत्री मोदी की सेहत का राज है गुच्छीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने एक बार कुछ पत्रकारों को बताया था कि उनकी सेहत का राज हिमाचल प्रदेश का मशरूम है। प्रधानमंत्री इसे बहुत पसंद करते हैं। दरअसल पीएम मोदी ने कई साल तक एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में हिमाचल में रह चुके हैं, वहां उनके कई मित्र हैं। मोदी जी को ये खास मशरूम इसलिये भी पसंद है, क्योंकि पहाड़ों पर शाकाहारी लोगों को काफी प्रोटीन और गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों की जरूरत होती है। वैसे तो पीएम इसे रोज इसका सेवन नहीं करते, लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि गुच्छी उन्हें काफी पसंद है। इसमें बी कॉम्प्लेक्स विटामिन, विटामिन डी और कुछ जरूरी एमीनो एसिड पाए जाते हैं। इसे लगातार खाने से दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएं बहुत ही कम हो जाती हैं। इसकी मांग सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में भी है।
30,000 रुपये किलो बिकती है गुच्छी
30,000 रुपये प्रति किलो बिकने वाली गुच्छी को स्पंज मशरूम भी कहा जाता है। यह सब्जी हिमाचल, कश्मीर और हिमालय के ऊंचे पर्वतीय इलाकों में ही होती है। यह गुच्छी बर्फ पिघलने के कुछ दिन बाद ही उगती है। इस सब्जी का उत्पादन पहाड़ों पर बिजली की गड़गड़ाहट और चमक से निकलने वाली बर्फ से होता है। प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी शिमला जिले के लगभग सभी जंगलों में फरवरी से लेकर अप्रैल माह के बीच तक ही मिलती है।
गुच्छी की तलाश में हिमाचल के ग्रामीण इन जंगलों में आ जाते हैं। झाड़ियों और घनी घास में पैदा होने वाली इस गुच्छी को ढूंढने के लिए पैनी नजर के साथ ही कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। ऐसे में अधिक मात्रा में गुच्छी हासिल करने के लिए ग्रामीण सबसे पहले इन जंगलों में आते हैं और सुबह से ही गुच्छी को ढूंढने के में जुट जाते हैं। आलम यह है कि गुच्छी से मिलने वाले अधिक मुनाफे के लिए कई ग्रामीण इस सीजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
जानें क्यों हाथोंहाथ बिक जाती हैं गुच्छीइस महंगी दुर्लभ और फायदेमंद सब्जी को बड़ी-बड़ी कंपनियां और होटल हाथोंहाथ खरीद लेते हैं। इन लोगों से गुच्छी बड़ी कंपनियां 10 से 15 हजार रुपये प्रति किलो में खरीद लेते हैं, जबकि बाजार में इस गुच्छी की कीमत 25 से 30 हजार रुपये प्रति किलो तक है। यह सब्जी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में भी गुच्छी की भारी मांग है। ऐसा माना जाता है कि यह सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर है और इसको नियमित सेवन से दिल की बीमारियां नहीं होती हैं। यहां तक कि हृदय रोगियों को भी इसके उपयोग से लाभ मिलता है। गुच्छी में विटामिन बी और डी के अलावा सी और के प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इस गुच्छी को बनाने की विधि में सूखे मेवा और घी का इस्तेमाल किया जाता है। गुच्छी की सब्जी बेहद लजीज पकवानों में गिनी जाती है।
गुच्छी के लाभ
- औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी के नियमित सेवन से हृदयरोग नहीं होता है। हृदयरोगियों को भी गुच्छी के सेवन से लाभ होता है।
- गुच्छी के सेवन से कई घातक बीमारियां दूर होती हैं।
- विटामिन बी, सी, डी व के की प्रचुर मात्रा
- मोटापा, सर्दी, जुकाम से लडऩे की क्षमता बढ़ाने में सहायक
- प्रोस्टेट व स्तन कैंसर की आशंका को कम करना
- ट्यूमर बनने से रोकना
- कीमोथेरेपी से आने वाली कमजारी दूर करने में सहायक
- सूजन दूर करने में लाभदायक