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घोड़ा चला इस मां ने पेश की मिसाल, बेटे को बनाया फौजी

एक महिला का घोड़ा चलाना जिस समाज को चुभ रहा था आज उसी की बदौलत उसने बच्चों को मंजिल तक पहुंचाया है।

By BabitaEdited By: Updated: Sat, 30 Jun 2018 04:07 PM (IST)
घोड़ा चला इस मां ने पेश की मिसाल, बेटे को बनाया फौजी
चुराह, सुनैना राजपूत। कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो जरा तबीयत से उछालो यारो...। ये पंक्तियां चुराह कि उस संघर्षशील मां पर सटीक बैठती हैं जिसने घोड़ा चलाकर बेटे को भारतीय सेना का सपूत (फौजी) बना दिया।  चंबा जिला के चुराह घाटी की पंचायत बघेईगढ़ के गांव कुंणगा की बहादुर महिला खूब देई की ने बेटों की परवरिश के लिए न तो पांव के छाले देखे न कभी जमाने की परवाह करते हुए हौसले को टूटने दिया।

बात करीब 12 साल पहले की है। खूब देई के दो बेटे थे। एक बेटा 12 साल का व दूसरा नौ साल का। उस समय खूब देई के पति को किसी मामले में जेल हो गई। अब पूरे परिवार का बोझ उसके कंधों पर आ गया।गांव में न कोई स्कूल था न कमाई का साधन था। खूब देई ने तय कर लिया कि जिस गरीबी को उसने देखा उसके बच्चे वो न देखें। बच्चों को दूर के स्कूल में दाखिल करवा दिया। न कोई नौकरी न कोई मजदूरी का साधन। खूब देई ने निश्चय किया कि वह घोड़ा चलाकर (घोड़े पर सामान ढोकर) बच्चों को पढ़ाएगी। घोड़ा चलाना न सिर्फ उसके लिए शारीरिक रूप से कष्टदायक था अपितु समाज के ताने भी सुनने पड़े क्योंकि यहां घोड़ा सिर्फ पुरुष चलाते थे। 

खूब देई को घर पहुंचने के लिए रोजाना सीधी चढ़ाई में 15 से 20 किलोमीटर का सफर करना पड़ता। उसने बेटों को न सिर्फ बारहवीं तक पढ़ाया, बल्कि चंबा कॉलेज में दाखिला भी दिलवाया। बीते दिनों पालमपुर में सेना की भर्ती हुई तो उसका बेटा रवि भारतीय सेना में सिलेक्ट हो गया। बेटे के फौज में भर्ती होने पर खूब देई ने पूरे गांव में मिठाई बांटी। इस दौरान उसका पति फागणु भी जेल से छूट गया। दूसरा बेटा बंटी शर्मा कराटे में ब्लैक बेल्ट है और सोलन में प्रशिक्षण ले रहा है। खूब देई के संघर्ष की आज पूरे समाज में चर्चा है। जिस महिला को कुछ साल पहले जो समाज ताने देता था वहीं आज इसके संघर्ष को सलाम करता है।

संघर्ष से लेनी चाहिए सीख

पंचायत प्रधान महबूब खान व पूर्व जिला परिषद सदस्य तेज सिंह तेज सिंह का कहना है कि खूब देई ने उनके सामने संघर्ष किया है। सबको उससे सीख लेनी चाहिए। समाजसेवी विपिन राजपूत कहते हैं कि खूब देई जैसी मां समाज की शोभा हैं। उन्होंने विषम परिस्थितियों से लड़कर मंजिल पाई है। प्रशासन व सरकार को उन्हें सम्मानित करना चाहिए। एक महिला का घोड़ा चलाना जिस समाज को चुभ रहा था आज उसी की बदौलत उसने बच्चों को मंजिल तक पहुंचाया है।

ऐसी महिलाएं समाज के लिए आदर्श हैं। समाज को ऐसी महिलाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए।

-हंसराज, विधायक, चुराह विस क्षेत्र।

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