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चुनावी वर्ष में छठे वेतन आयोग से बढ़ा 7000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ, बजट का 50 प्रतिशत इन जगहों पर खर्च कर रही सरकार

हिमाचल के धर्मशाला के तपोवन स्थित विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शनिवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की वित्तीय वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट से पता लगा कि वित्त वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार ने 13055 करोड़ रुपये कर्ज उठाया। इस राशि में अंतिम तिमाही में ली गई ऋण की राशि भी शामिल है।

By munish ghariya Edited By: Nidhi Vinodiya Updated: Sun, 24 Dec 2023 03:14 PM (IST)
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चुनावी वर्ष में छठे वेतन आयोग से बढ़ा 7000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला। पूर्व जयराम सरकार ने चुनावी वर्ष में प्रदेश के कर्मचारियों के लिए छठा वेतन आयोग लागू किया, जिससे सरकार पर 7,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। इसमें कर्मचारियों का वेतन और पेंशन दोनों शामिल है। वित्त वर्ष 2021-22 में वेतन पर 11,641 करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे, वहीं 2022-23 में वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद इसमें 4,000 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ कुल खर्च 15,641 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह पेंशन पर खर्च 6,000 करोड़ से बढ़कर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।

अंतिम तिमाही में ली गई ऋण की राशि भी शामिल

धर्मशाला के तपोवन स्थित विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शनिवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की वित्तीय वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट से पता लगा कि वित्त वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार ने 13,055 करोड़ रुपये कर्ज उठाया। इस राशि में अंतिम तिमाही में ली गई ऋण की राशि भी शामिल है। वित्त वर्ष 2021-22 में प्रदेश पर 73,534 करोड़ रुपये कर्ज था, वहीं 2022-23 में यह 86,589 करोड़ रुपये हो गया।

50 प्रतिशत से अधिक की राशि वेतन व पेंशन के भुगतान पर खर्च

रिपोर्ट के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष में प्रदेश का राजस्व घाटा 6,335 करोड़ रुपये रुपये था। यह वित्तीय वर्ष 2021-22 के 7,962 करोड़ रुपये से कुछ कम है, लेकिन, 2021-22 व 2022-23 में सरकार ने करीब 4,242 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद उपयोगिता प्रमाणपत्र विभिन्न एजेंसियों से नहीं लिए। रिपोर्ट में उपयोगिता प्रमाणपत्र न लिए जाने पर प्रश्न उठाते हुए सरकार से इस बारे में आवश्यक कदम उठाने की बात कही है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने बीते वित्त वर्ष में 50,539 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें से 50 प्रतिशत से अधिक की राशि कर्मचारियों के वेतन व पेंशन के भुगतान पर खर्च की गई।

पेंशन व वेतन के भुगतान पर काफी बोझ बढ़ा 

छठे पंजाब वेतन आयोग के सिफारिशों को लागू करने के बाद कोष पर पेंशन व वेतन के भुगतान पर काफी बोझ बढ़ा है। लगातार कर्ज लेने से सरकार को ब्याज पर भी 2021-22 के 4,472 करोड़ रुपये के मुकाबले 2022-23 के 4,828 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा। इसी तरह लोक लुभावन घोषणाओं को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा उपदान पर खर्च की जा रही राशि भी 2021-22 के 1240 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 1973 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

रिजर्व बैंक के पास 55 लाख राशि रखना जरूरी

भारतीय रिजर्व बैंक के साथ किए अनुबंध के अधीन राज्य सरकार को बैंक के पास 55 लाख रुपये न्यूनतम राशि अनिवार्य तौर पर रखनी पड़ती है। यदि किसी दिन यह राशि घट जाए तो ओवरड्राफ्ट की स्थिति उत्पन्न होती है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान 19 दिन के लिए ओवर ड्राफ्ट लेना पड़ा।

सरकार को दिए ऋण का उचित उपयोग नहीं किया

हिमाचल सरकार ने 31 मार्च, 2023 के अंत तक 15.58 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया था। यह भुगतान केंद्रीय योजना और प्रायोजित योजनाओं से संबंधित था। सरकार को दिए ऋण का उचित उपयोग नहीं किया गया। सरकार द्वारा मूलधन और ब्याज अधिक चुकाए जाने के मामले में वित्त मंत्रालय ने भविष्य में ऐसा न हो निर्देशित किया है। उक्त राशि में मूलधन 7.32 करोड़ और ब्याज 7.86 करोड़ रुपये शामिल था।

96.72 करोड़ रुपये के ऋणों की वसूली नहीं हुई

प्रदेश सरकार की छह संस्थाओं के 96.72 करोड़ रुपये के पुराने ऋणों की वसूली नहीं की गई। रिपोर्ट में सामने आया है कि सरकार द्वारा इन छह संस्थाओं के मूलधन की वसूली की जानी थी। यह वसूली वित्तीय वर्ष 1985-86 से लंबित ऋण में शामिल है। सरकार द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

सीआरआइएफ के लिए 169.5 करोड़ का अनुदान

वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार को सीआरआइएफ के लिए 169.5 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ था, लेकिन सरकार ने वित्त वर्ष के अंत तक सार्वजनिक खाते के तहत निधि में कोई राशि नहीं डाली। इस प्रकार राजस्व व्यय को कम बताया गया। सीआरआइएफ का उपयोग राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव, रेलवे परियोजनाओं, रेलवे सुधार, राज्य व ग्रामीण सड़कों का बुनियादी ढांचा विकसित करना था।

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