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‘पर्ल एस बक अवार्ड’ से सम्मानित होंगी दलाई लामा की छोटी बहन जेत्सुन पेमा, अप्रैल 2024 में दिया जाएगा पुरुस्कार

तिब्बती लोगों के शिक्षा की अलख जगाए रखने वाली धर्मगुरु दलाई लामा की छोटी बहन जेत्सुन पेमा को रैंडोल्फ कालेज अमेरिका की ओर से 18 अप्रैल को एक कार्यक्रम आयोजित कर पर्ल एस बक अवार्ड से नवाजा जाएगा। उन्हें यह अवार्ड अप्रैल 2024 को दिया जाएगा। अमेरिका की स्थानीय निवासी बन चुकी जेत्सुन यह अवार्ड हासिल करने वाली अमेरिका के दूसरी महिला है।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Tue, 17 Oct 2023 04:44 PM (IST)
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‘पर्ल एस बक अवार्ड’ से सम्मानित होंगी दलाई लामा की छोटी बहन जेत्सुन पेमा
जागरण संवाददाता, धर्मशाला। निर्वासन में रह रहे तिब्बती बच्चों को शिक्षित करने वाली एवं तिब्बती लोगों के शिक्षा की अलख जगाए रखने वाली धर्मगुरु दलाई लामा की छोटी बहन जेत्सुन पेमा (Dalai Lama's Younger Sister Jetsun Pema) को रैंडोल्फ कालेज अमेरिका (Randolph College America) की ओर से 18 अप्रैल को एक कार्यक्रम आयोजित कर पर्ल एस बक अवार्ड से नवाजा जाएगा। उन्हें यह अवार्ड अप्रैल 2024 को दिया जाएगा। अमेरिका की स्थानीय निवासी बन चुकी जेत्सुन यह अवार्ड हासिल करने वाली अमेरिका के दूसरी महिला है।

तिबत्ती बच्चो के लिए जीवन किया समार्पित 

पेमा ने अपना जीवन निर्वासित तिब्बती बच्चों को शिक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया है।

1964 से बच्चों के लिए काम कर रही हैं

जेत्सुन पेमा ने 1964 से 2006 तक तिब्बतियन चिल्ड्रन विलेज के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने अनाथ, निराश्रित और शरणार्थी बच्चों की देखभाल की। इसके चलते निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा उन्हें "तिब्बत की मां" के रूप में मान्यता दी गई है। अवार्ड कार्यक्रम में रैंडोल्फ कॉलेज में कार्यक्रम के दौरान अपने जीवन के बारे में एक नई वृत्तचित्र साझा करने की भी योजना बनाई है।

कलिंपोंग से की पढ़ाई की शुरुआत 

दलाई लामा की छोटी बहन जेत्सुन पेमा का जन्म 1940 में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में हुआ था। उन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा 9 साल की उम्र में कलिंपोंग के सेंट जोसेफ कान्वेंट में शुरू की। 1960 में दार्जिलिंग के लोरेटो कान्वेंट में सीनियर कैम्ब्रिज की पढ़ाई पूरी करने के बाद, पेमा ने स्विट्जरलैंड और इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई जारी रखी।

दलाई लामा ने दी ये जिम्मेदारी

1964 में अपनी सबसे बड़ी बहन की आकस्मिक मृत्यु के बाद वह भारत लौट आईं। यहां मैक्लोडगंज पहुंचने पर दलाई लामा ने उन्हें तिब्बती चिल्ड्रन विलेज (टीसीवी) चलाने की जिम्मेदारी दी। जेत्सुन पेमा इससे पूर्व कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं।

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