Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Himachal News: भाग सकते नहीं, आपदा के साथ ही रहना सीखना होगा; जनता तक नहीं पहुंच रहे शोध के सुझाव

प्राकृतिक आपदाओं से बचाव व नुकसान कम करने के लिए लंबे समय से शोध हो रहे हैं लेकिन ये जनता तक नहीं पहुंच रहे हैं। इस समस्या के निराकरण के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यशाला स्कूल आफ अर्थ एंड एन्वायरनमेंटल साइंसेज केंद्रीय विश्वविद्यालय व जियोलाजिकल सोसायटी आफ इंडिया की ओर से आयोजित की गई है। विशेषज्ञों ने कहा कि आपदा के साथ ही रहना सीखना होगा।

By Edited By: Jeet KumarUpdated: Tue, 07 Nov 2023 04:00 AM (IST)
Hero Image
केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू

जागरण संवाददाता, धर्मशाला। प्राकृतिक आपदाओं से बचाव व नुकसान कम करने के लिए लंबे समय से शोध हो रहे हैं लेकिन ये जनता तक नहीं पहुंच रहे हैं। इस समस्या के निराकरण के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। यह बात जियोलोजिकल सोसायटी आफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. एचके गुप्ता ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में हिमालय व आपदा प्रबंधन में भूगतिकी विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में कही।

उन्होंने कहा कि शोध में प्रस्तुत होने वाले अच्छे सुझावों को जनता तक पहुंचाना चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं से बचाव की बात सभी करते हैं, लेकिन यह बात सबको स्वीकार करनी चाहिए कि यदि आपदा की भविष्यवाणी भी हो जाए तो स्थान छोड़कर भाग नहीं सकते।

लोगों को दी जाए जानकारी

इसका उपाय यही है कि आपदा से नुकसान कम हो, इसके बारे में सभी लोगों तक जानकारी पहुंचनी चाहिए। केंद्रीय विश्वविद्यालय में शुरू हुई राष्ट्रीय कार्यशाला के लिए जब रुपरेखा बन रही थी तभी मैंने तय कर लिया था कि इसमें जो अच्छे सुझाव आएंगे उन्हें केंद्र सरकार को भेजा जाए ताकि भविष्य में आपदा प्रबंधन के लिए जब भी नीति बने तो सुझावों को शामिल किया जाए।

चिंता की बात है कि 21वीं सदी के 22 साल में जितनी जानें प्राकृतिक आपदा से गई हैं, उतनी 20वीं सदी में नहीं गई हैं। इसका उदाहरण तीन दिन पहले नेपाल में भूकंप से आई आपदा है। उन्होंने भारत को ‘गैलेक्सी आफ साइंटिस्ट’ की संज्ञा दी।

हर वर्ष भूकंप दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा

साथ ही हर वर्ष भूकंप दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। कार्यशाला स्कूल आफ अर्थ एंड एन्वायरनमेंटल साइंसेज, केंद्रीय विश्वविद्यालय व जियोलाजिकल सोसायटी आफ इंडिया की ओर से आयोजित की गई है। इसका शुभारंभ केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने किया। इस दौरान जियोलाजिकल सोसायटी आफ अमेरिका के अध्यक्ष प्रो. क्रिस्टोफर ‘चेक’ बेली की ओर से भेजा गया संदेश भी प्रस्तुत किया गया।

यह भी पढ़ें- नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप पर दलाईलामा ने जताया दुख, PM दहल को पत्र लिखकर प्रकट की सहानुभूति

भूस्खलन व बाढ़ को केदारनाथ त्रासदी के बाद पहली बार घटित आपदा बताया

कार्यशाला में हिमाचल में भूगतिकी के महत्वपूर्ण मुद्दों व आपदा प्रबंधन पर विचार-विमर्श करने के लिए दुनियाभर के विशेषज्ञ, विज्ञानी व शोधकर्ता उपस्थित रहे। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक प्रो. डीसी राणा ने हिमाचल में हाल ही में हुए भूस्खलन व बाढ़ को केदारनाथ त्रासदी के बाद पहली बार घटित आपदा बताया। साथ ही जलवायु परिवर्तन के अशांत पैटर्न के बारे में बताया और हिमाचल में भूस्खलन व भूकंप पर स्थिरता के लिए मानचित्र तैयार करने की बात कही।