Move to Jagran APP

शिमला के बाद अब मैक्लोडगंज में मचेगी तबाही? इन जगहों पर है भूस्खलन का खतरा, रिसर्च में हुए चौंकाने वाले खुलासे

भूस्खलन की दृष्टि से मैक्लोडगंज संवेदनशील है। नड्डी से गमरु तक 25 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा है। दलाई लामा मंदिर के पास जोगीबाड़ा सड़क पर हर साल भूस्खलन होता है। वर्ष 2012 में टीहरा लाइन में भूस्खलन हुआ था। इससे कई परिवार बेघर हो गए थे। केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के भूगर्भ विज्ञानी डा. अंबरीश महाजन ने मैक्लोडगंज क्षेत्र की भूमि पर शोध किया है।

By Rajat MouryaEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sat, 19 Aug 2023 09:35 PM (IST)
Hero Image
शिमला के बाद अब मैक्लोडगंज में मचेगी तबाही? इन जगहों पर है भूस्खलन का खतरा
धर्मशाला, मुनीष गारिया। बेतरतीब ढंग से भवनों का निर्माण नहीं रुका और भूस्खलन हुआ तो मैक्लोडगंज में स्थिति अधिक खराब हो सकती है। पूरा मैक्लोडगंज क्षेत्र सरक कर कोतवाली बाजार में पहुंच जाएगा। यह दावा भूगर्भ विज्ञानियों की ओर से किए गए शोध में किया गया है। भूस्खलन की दृष्टि से मैक्लोडगंज संवेदनशील है। नड्डी से गमरु तक 25 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा है। दलाई लामा मंदिर के पास जोगीबाड़ा मार्ग पर हर साल भूस्खलन होता है।

वर्ष 2012 में टीहरा लाइन में भूस्खलन हुआ था। इससे कई परिवार बेघर हो गए थे। ड्रेनेज सिस्टम के अभाव में खतरा बढ़ा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के भूगर्भ विज्ञानी डॉ. अंबरीश महाजन ने मैक्लोडगंज क्षेत्र की भूमि पर शोध किया है। इसके बाद भी शोध हुए। इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी थी। इसमें ड्रेनेज सिस्टम ठीक करने का सुझाव दिया था, लेकिन इस पर अभी तक काम नहीं हुआ है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं भूगर्भ विज्ञानी डॉ. अंबरीश महाजन ने 1998 में पहली बार मैक्लोडगंज क्षेत्र की भूमि का शोध किया था। इसके बाद भी यहां शोध होते रहे हैं। डॉ. अंबरीश ने शोध की रिपोर्ट जिला प्रशासन व तत्कालीन उपायुक्त को सौंपी थी। इसमें उन्होंने नड्डी से गमरु तक 25 स्थान चिह्नित कर कहा था कि ये क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं। अगर समय रहते यहां ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम नहीं बनाया तो बड़ा नुकसान हो सकता है। डॉ. अंबरीश महाजन ने जिला प्रशासन की अनुमति पर अपने स्तर पर मैक्लोडगंज क्षेत्र में शोध किया था।

टीहरा लाइन हादसे के बाद सेना ने लिया संज्ञान, अब सुरक्षित

वर्ष 2012 में मैक्लोडगंज के अंतर्गत टीहरा लाइन में भूस्खलन हुआ था। इससे कई परिवार बेघर हो गए थे। टीहरा लाइन सैन्य क्षेत्र में आती है। हादसे के बाद सेना ने प्रो. अंबरीश महाजन से टीहरा लाइन क्षेत्र का शोध करवाया, जिसमें उन्होंने वर्षा का पानी आवश्यकता से अधिक जमीन में न जाए, इसके लिए ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम बनाने का सुझाव दिया। इसके अलावा, वैज्ञानिक तरीके से ही निर्माण करने को कहा।

2021-22 में उन्होंने सेना को रिपोर्ट दी, जिस पर सेना ने वैज्ञानिक तरीके से काम करवाया है। अब टीहरा लाइन में भूस्खलन बंद हो गया है।

दलाई लामा मंदिर के आसपास का क्षेत्र भी नहीं सुरक्षित

शोध में यह बात सामने आई थी कि मैक्लोडगंज मुख्य बाजार से नीचे दलाई लामा मंदिर (मुख्य बौद्ध मंदिर) का क्षेत्र भी भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील है। मंदिर के नजदीक जोगीबाड़ा मार्ग पर हर साल भूस्खलन होता है। भूस्खलन की दृष्टि से मुख्य संवेदनशील क्षेत्र गुणा माता मंदिर मार्ग, नड्डी चौक, डल झील से ऊपर का क्षेत्र, टेंगल बोर्ड, ठंडी सड़क, सेंट जोन चर्च के पास का क्षेत्र, बस स्टैंड, मुख्य बौद्ध मंदिर मार्ग, धर्मकोट, जोगीबाड़ा, कैंट रोड कोतवाली बाजार, गमरु आदि।

क्यों संवेदनशील हैं ये क्षेत्र

भूगर्भ विज्ञानी की ओर से चिह्नित किए गए स्थान शोध के आधार पर संवेदनशील माने गए हैं। इन क्षेत्रों के नीचे ढीली मिट्टी है यानी वहां अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं है। यदि ढीली मिट्टी में पानी जाता है तो दलदल होता है। इस कारण भूस्खलन होता है। डल झील के ऊपर क्षेत्र में बरसात में ही नहीं, बल्कि अन्य मौसम में भी भूमि में दलदल महसूस होता है।

मैक्लोडगंज क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। यहां पर अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण कार्य चल रहा है, जो सही नहीं है। यदि स्थिति नहीं बदली या ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम नहीं बनाया तो मैक्लोडगंज क्षेत्र में भारी भूस्खलन हो सकता है। शोध की रिपोर्ट जिला प्रशासन को दी थी, लेकिन अभी तक उचित काम होता नजर नहीं आया। सेना को दी शोध रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने काम किया है। गत दिनों मुझे सेना की ओर से फीडबैक आया था कि टीहरा लाइन में अब भूस्खलन नहीं हो रहा है। - डॉ. अंबरीश महाजन, भूगर्भ विज्ञानी

मैंने धर्मशाला क्षेत्र का अध्ययन किया है। मैक्लोडगंज सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है। यहां कंक्रीट कार्य बंद नहीं किए गए तो अगला बड़ा भूस्खलन मैक्लोडगंज में होगा, जिससे सब कुछ समाप्त हो जाएगा। - डॉ. सुनील धर, भूगर्भ विज्ञानी।

मैक्लोडगंज क्षेत्र की भूमि पर हुए शोध की जानकारी नहीं है, क्योंकि यह बहुत पहले हुआ था। इस पर जिला प्रशासन की ओर से आज तक कोई सूचना व आदेश नहीं दिए हैं। उपायुक्त कार्यालय से इस संबंध में आदेश आते हैं तो इस पर प्राथमिकता से काम करवाया जाएगा। - धर्मेश रामोत्रा, एसडीएम, धर्मशाला

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।