चीन के अत्याचारों को दुनिया के सामने लाएगी नामकी, भारत में बोली- मानवाधिकारों खुलेआम उल्लंघन कर रहा ड्रैगन, तिब्बतियों का जीवन कठिन
एक वर्ष पहले तिब्बत के चारो गांव को छोड़ चाची सेरिंग की के साथ लगातार 10 दिन और रात तक चलकर नेपाल में प्रवेश करने के बाद भारत पहुंची 24 वर्षीय नामकी याद करती है कि कैसे 15 साल की उम्र में चीनी अधिकारियों ने उसे एक साल के लिए कैद कर लिया था। नामकी ने बताया कि चीन में मानवाधिकारों खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला। एक वर्ष पहले तिब्बत के चारो गांव को छोड़ चाची सेरिंग की के साथ लगातार 10 दिन और रात तक चलकर नेपाल में प्रवेश करने के बाद भारत पहुंची 24 वर्षीय नामकी याद करती है कि कैसे 15 साल की उम्र में चीनी अधिकारियों ने उसे एक साल के लिए कैद कर लिया था। उसने और उसकी बहन ने बौद्ध धर्म का पालन करने की अनुमति न देने का विरोध किया था।
नामकी ने कहा है कि वह चीन में तिब्बती समुदाय के लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों के बारे में दुनिया को बताएगी। तिब्बत के लोगों का चीन में जीना मुश्किल है। भय और अत्याचार के माहौल में तिब्बती जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
नामकी ने धर्मशाला में बताया कि पिछले साल वह भारत पहुंची थी और धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार के शैक्षणिक संस्थान में पढ़ाई कर रही है। अक्टूबर 2015 में उसे व उसकी बहन को चीनी अधिकारियों ने बंदी बना लिया था और तीन साल के लिए कारावास में डाल दिया था।
चीन में मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन
चीन में मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया जाता है और तिब्बतियों को हमेशा संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। जेल में वर्दीधारी लोग मारते थे, बचा हुआ खाना दिया जाता था, और पतले कंबलों के साथ ठंड में सोते थे। वहां कोई भी नहीं था, जो बचाने के लिए आ सके। नामकी को उसकी बहन के साथ ताशी ग्याल्कलिंग काउंटी में हिरासत में लिया गया था। उन पर देश के खिलाफ अलगाववादी कृत्य और दलाई गुट का समर्थन करने के आरोप लगाए गए।
उनको चीनी संविधान के बारे में सिखाया गया
नामकी बताती है कि जेल में रहते हुए उन्हें सैन्य प्रशिक्षण दिया गया और चीनी संविधान के बारे में सिखाया गया। श्रमिक शिविर में तांबे के तार, सिगरेट के डिब्बे और घड़ियां बनाने का भी काम किया। जेल की सजा पूरी करने के बाद पेमा के पुलिस स्टेशन में रखा गया। उसके परिवार को काली सूची में रखा गया है।धर्मगुरु दलाई लामा से भेंट हुई
धर्मशाला पहुंचने के कुछ सप्ताह बाद उनकी धर्मगुरु दलाई लामा से भेंट हुई। उसका कहना है कि इससे उसे ठीक होने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि दलाई लामा ने संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का संदेश दिया। नामकी कहती है कि वह दुनिया भर में यात्रा कर चीन में हो रहे घोर मानवाधिकार उल्लंघनों के बारे में जागरूक करेगी। उम्मीद है कि किसी दिन न्याय मिलेगा।
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