हिमाचल के प्रसिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर में चढ़ने वाले 'रोट' प्रसाद के सैंपल फेल, श्रद्धालुओं की सेहत के साथ खिलवाड़
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के दियोटसिद्ध में बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट की दुकान पर प्रसाद के रूप में बेचे जाने वाले रोट के नमूने खाने लायक नहीं पाए गए हैं। रिपोर्ट में सामने आया कि प्रसाद के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे रोट बासी थे और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग ने दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करने की बात कही है।
पीटीआई, हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के दियोटसिद्ध में बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट की दुकान पर 'प्रसाद' के रूप में बेचे जाने वाले 'रोट' के नमूने खाने लायक नहीं पाए गए हैं।
रोट गेहूं, चीनी और 'देसी घी' या वनस्पति तेल से बने होते हैं और भक्तों द्वारा बाबा बालक नाथ को पारंपरिक प्रथा के रूप में चढ़ाए जाते हैं। हर साल लगभग 50-75 लाख लोग बाबा बालक नाथ के प्राचीन और प्रसिद्ध धार्मिक मंदिर में आते हैं। वे बाबाजी को अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और बाबा बालक नाथ को रोट, मिठाई और अन्य सामान चढ़ाते हैं।
'सैंपल खाने लायक नहीं पाए गए'
अधिकारियों ने कहा कि दियोटसिद्ध मंदिर में चढ़ाए जाने वाले रोटों की गुणवत्ता के बारे में शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने मंदिर से रोटियों के सैंपल उठाकर जांच के लिए सोलन जिले की कंडाघाट लैब में भेज दिए हैं। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि सैंपल खाने लायक नहीं पाए गए हैं।रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि प्रसाद के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे रोट बासी थे और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। सहायक आयुक्त खाद्य एवं सुरक्षा अनिल शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार रोटियों के सैंपल फेल हो गए हैं और विभाग दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करेगा।
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लोग प्रसाद के रूप में करते हैं सेवन
होशियारपुर के एक श्रद्धालु मोहन सिंह ने बताया कि लाखों लोग रोटियों को प्रसाद के रूप में खा रहे हैं, लेकिन उन्हें इसकी गुणवत्ता के बारे में पता नहीं है। इसके अलावा, लोग अक्सर रोटियों को कई महीनों तक अपने घर में रखते हैं और प्रसाद के रूप में इसका सेवन करते रहते हैं।
इस बीच, हमीरपुर के उपायुक्त (डीसी) अमरजीत सिंह ने खाद्य एवं सुरक्षा विभाग और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सभी होटलों, रेस्तरां, ढाबों, मिठाई की दुकानों, अन्य सभी खाद्य दुकानों, छात्रावासों और विभिन्न संस्थानों की कैंटीनों और मिड-डे मील में सभी खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता मानकों के अनुसार सुनिश्चित करें।
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