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एक द्रेक लाभ अनेक

औद्योनिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के वैज्ञानिक शोध में जुटे - फोरेस्ट संस्थान देहरादून स

By JagranEdited By: Updated: Fri, 24 Jul 2020 05:24 PM (IST)
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एक द्रेक लाभ अनेक

औद्योनिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के वैज्ञानिक शोध में जुटे

- फोरेस्ट संस्थान देहरादून से लाई गई हैं दरेक की 17 किस्में जागरण संवाददाता, हमीरपुर : दरेक एक फायदे अनेक। जी हां दरेक का पौधा किसानों की आर्थिकी में बड़ा सहारा बन सकता है। दो साल में 20 फीट तक की ऊंचाई हासिल करके दरेक का पेड़ किसानों का खजाना भरने के लिए तैयार है। औद्योनिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी में दरेक की नई किस्म की प्रजाति पर सफल शोध हुआ है। प्रदेश के निचले क्षेत्रों में इस किस्म की प्रजाति की दरेक की काफी डिमांड शोध संस्थान के पास पहुंची हैं। बता दें कि फोरेस्ट संस्थान देहरादून से 17 किस्में शोध संस्थान नेरी में लाई गई हैं, जिन पर शोध चल रहा हैं इनमें से दरेक 241, दरेक 231, दरेक 238, दरेक 267, दरेक 622 व दरेक 624 किस्मों का बहुत ही अच्छा परिणाम वैज्ञानिकों को मिला हैं। जानकारी मिली है कि बंदरों की बढ़ रही संख्या व जलवायु परिवर्तन होने से किसान अपनी जमीन पर कृषि करना छोड़ रहे हैं। कृषि में लेबर की ज्यादा जरूरत पड़ती है इसलिए ऐसी किस्म व पौधों की खोज करनी चाहिए, जिन पर जंगली जानवरों, बेसहारा पशुओं व जलवायु का कम प्रभाव हो और साथ ही उनकी कास्ट करने में ज्यादा लेबर की जरूरत न पड़े। प्रदेश के निचले क्षेत्रों में बहुत सी भूमि खाली पड़ी हैं जिस पर इस तरह के पौधे उगाकर किसान अच्छी आमदन प्राप्त कर सकते हैं। दरेक की लकड़ी से बनती है प्लाईबोर्ड-दीया सिलाई

दरेक की लकड़ी प्लाई बोर्ड, दीया सिलाई और कागज बनाने में बहुत उपयुक्त है और बाजार में इसकी बड़ी मांग है और किसानों को बाजार इसकी अच्छी कीमत मिलती हैं। इसका पेड़ छह व सात वर्षों में काटने योग्य हो जाता हैं। किसानों को लंबे समय तक इंतजार भी नहीं करना पड़ता है। यह पाया गया शोध में

प्रारंभिक शोध में पाया गया है कि यह पौधा प्रदेश के निचले क्षेत्र में बहुत तेजी से बढ़ता है और दो साल में 20 फुट तक की उंचाई अर्जित कर लेता हैं। इस तरह की बढ़ोतरी को देखते हुए किसान दरेक के पौधे को लगाने के लिए काफी उत्साहित हैं।

दरेक का प्रारंभिक शोध सफल रहा हैं, जो पौधा कई वर्ष तक उंचाई अर्जित करने में देरी करता था उसमें नई किस्म की प्रजाति में दो वर्ष में काफी उंचाई अर्जित कर रहा हैं। 17 किस्मों में से छह किस्में निचले क्षेत्रों में अधिक उपयुक्त साबित हुई हैं।

डॉ. विश्व कुमार शर्मा, शोधकर्ता । औद्योनिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के वैज्ञानिक बिशन कुमार शर्मा शोध में जुटे हैं और उन्हें प्रारंभिक सफलता हाथ लगी हैं । नर्सरी में दस हजार नई किस्म की दरेक तैयार हो रही हैं । किसानों की हजारों के हिसाब से डिमांड शोध संस्थान में पहुंची हैं। दरेक से किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। बंदरों व बेसहारा पशुओं के चलते खाली भूमि पर इस पौधे के अच्छे परिणाम किसान ले सकते हैं।

- वैज्ञानिक एवं डीन डॉ. कमल शर्मा, औद्योनिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी

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