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Himachal News: गोबिंद सागर झील में जलमग्न मंदिरों को फिर मिलेगी पहचान, पर्यटनस्थल के रूप में उभरेगा बिलासपुर

गोबिंद सागर झील में जलमग्न हुए मंदिरों के पुनर्स्थापित होने की उम्मीद बढ़ी है। इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए तीन चरण में कार्य होना प्रस्तावित है। इसके तहत पहले चरण की डीपीआर तैयार की गई है।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Tue, 07 Feb 2023 11:57 AM (IST)
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गोबिंद सागर झील में जलमग्न हुए मंदिरों के पुनर्स्थापित होने की उम्मीद बढ़ी है।

बिलासपुर, जागरण संवाददाता। गोबिंद सागर झील में जलमग्न हुए मंदिरों के पुनर्स्थापित होने की उम्मीद बढ़ी है। इन मंदिरों के पुनर्वास के लिए हिमाचल प्रदेश रोड इन्फास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीआरआइडीसीएल) ने 1400 करोड़ रुपये की एक योजना तैयार की थी। इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए तीन चरण में कार्य होना प्रस्तावित है। इसके तहत पहले चरण की डीपीआर तैयार की गई है तथा पैसे का प्रावधान करने के लिए पर्यटन विभाग के माध्यम से एशियन डेवलपमेंट बैंक को भेजा गया है।

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इस योजना के मूर्तरूप लेने के बाद बिलासपुर एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरकर सामने आएगा। इससे युवाओं को रोजगार के नए साधन भी मिलेंगे वहीं सरकार को भी हर साल करीब 50 करोड़ रुपये की आय होगी। इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए एलएंडटी कंपनी ने पिछले साल अगस्त में प्रस्तावित स्थलों की मिट्टी का परीक्षण किया था। परीक्षण में प्रस्तावित स्थल सही पाए गए हैं। इसके बाद एचपीआरआइडीसीएल ने 105 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार की है तथा पैसे के लिए इसे पर्यटन विभाग के माध्यम से एडीबी को भेजा गया है।

मंदिर मूल रूप में होंगे पुनर्स्थापित

पहले चरण में नाले के नौण के पास ऐतिहासिक कहलूर रियासत के मंदिरों को उनके मूल रूप में पुनर्स्थापित किया जाएगा। इसके लिए संबंधित स्थल की जमीन को गोबिंद सागर के जल स्तर से ऊपर उठाया जाएगा ताकि गोबिंद सागर का जल स्तर बढ़ने पर मंदिर इसमें न डूबे। मंदिरों के समीप की करीब तीन एकड़ भूमि को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां पहुंचने के लिए एक पैदल पुल का निर्माण भी किया जाएगा। इसके अतिरिक्त गोबिंद सागर के किनारे नाले के नौण, लुहणूघाट, ऋषिकेश घाट और मंडी भराड़ी घाट को विकसित किया जाना प्रस्तावित है।

पर्यटन मिलेगा बढ़ावा

वहीं दूसरे चरण में सांडू मैदान की करीब पांच एकड़ भूमि को पर्यटन के रूप में विकसित करना प्रस्तावित है। यहां की भूमि को भी जलस्तर से ऊपर उठाकर इसमें बिलासपुर का इतिहास, हस्तशिल्प की दुकानें, प्राचीन मूर्तियां, संग्रहालय व चुनिंदा विषयों पर लेजर शो आदि प्रदर्शित किया जाएगा। अंतिम तथा तीसरे चरण में मंडी भराड़ी में कृत्रिम झील बनाई जाएगी। इस झील का निर्माण करने के लिए सतलुज नदी पर छोटा बांध लगाया जाएगा। झील से आसपास के क्षेत्रों की जलापूर्ति भी होगी तथा इसमें नौकायान आदि की सुविधा मिलेगी।

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एचपीआरआईडीसीएल के मुख्य अभियंता पवन शर्मा ने बताया कि 1400 करोड़ रुपये की योजना के तहत पहले चरण के लिए 105 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई है। पैसे के प्रावधान के लिए पर्यटन विभाग के माध्यम से एडीबी को प्रस्ताव भेजा गया है। पैसा मंजूर होने के बाद निर्माण की आगामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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