Exclusive Interview: अनुराग ठाकुर का सवाल, क्या कांग्रेस देश विरोधियों के साथ
Anurag Thakur Exclusive Interview जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव का दायित्व पाने वाले केंद्रीय वित्त एवं कंपनी मामले राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर पार्टी का युवा चेहरा हैं। लेह हिल काउंसिल चुनाव में दायित्व निभा चुके अनुराग ठाकुर ने बिहार चुनाव में भी अपनी भूमिका अदा की।
By Richa RanaEdited By: Updated: Wed, 18 Nov 2020 10:53 AM (IST)
कांगड़ा, नवनीत शर्मा। Anurag Thakur Exclusive Interview, जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव का दायित्व पाने वाले केंद्रीय वित्त एवं कंपनी मामले राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर पार्टी का युवा चेहरा हैं। लेह हिल काउंसिल चुनाव में दायित्व निभा चुके हिमाचल से लोकसभा सदस्य अनुराग ठाकुर ने बिहार चुनाव में भी अपनी भूमिका अदा की। हाल में उनके साथ जम्मू-कश्मीर विषयक संवाद का अवसर मिला। प्रस्तुत हैं, नवनीत शर्मा के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
जम्मू-कश्मीर जैसे रणनीतिक और हर लिहाज से संवेदनशील राज्य के लिए मिले दायित्व को किस प्रकार देख रहे हैं? क्या योजना है?
-(संयत और दृढ़ स्वर में) मैं हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी का आभारी हूं। आभारी इसलिए कि मुझे इस दायित्व के योग्य समझा, मुझमें विश्वास व्यक्त किया। इससे पूर्व भी मुझे लेह लद्दाख की हिल काउंसिल के चुनाव के लिए तैनात किया गया था। उसके बाद मुझे बिहार चुनाव में भेजा गया। अब जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकाय चुनाव के लिए विश्वास व्यक्त किया है। यह इसलिए सार्थक है क्योंकि सरकार के साथ-साथ संगठन में भी अवसर दिए जाते हैं। अब वहां की स्थानीय टीम के साथ मिल कर परिणाम देने हैं। अटल जी ने कश्मीर को स्पर्श देने की शुरुआत की थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे और आगे ले गए हैं। धारा 35 ए, अनुच्छेद 370 आदि के समापन के बाद अब जम्मू-कश्मीर नए युग में प्रवेश कर चुका है। वहां सब सामान्य हो रहा है। योजना यही है कि अब सरकार और संगठन राज्य को और आगे ले जाना चाहते हैं, जिसमें अपनी भूमिका निभाने का सौभाग्य मेरे हिस्से भी आया है। जम्मू-कश्मीर मुख्यधारा की राजनीति और विकास में नजीर बनेगा क्योंकि वहां नया सवेरा हुआ है।
आपके नेतृत्व में भारतीय जनता युवा मोर्चा की कोलकाता से कश्मीर तक तिरंगा यात्रा को लखनपुर में रोक दिया गया था...अब उस जम्मू-कश्मीर में जाते हुए कैसा लगता है?
-(लंबी...और राहत की सांस छोड़ते हुए...) वास्तव में उस समय और इस समय के बीच की तुलना करने पर धरती और आकाश जितना अंतर दिखता है। मेरी यात्रा तो एक पड़ाव था। उससे पहले जम्मू कश्मीर, हिमाचल और पर्वतीय राज्यों के लिए जो अटल जी ने किया, औद्योगिक पैकेज के रूप में...भाजपा की दृष्टि बेहद साफ रही है। बाद में रेलवे विस्तार हुआ, सुरंगें बनी...बाद में नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जिस तरह हमने चुनावी वादा पूरा किया, उससे विश्व को संदेश गया कि इस दल के लिए जम्मू-कश्मीर का अर्थ क्या है। कश्मीरी युवा मुख्यधारा में आ रहे हैं। मैंने कई लोगों के साथ बात की। वे बारूद की भाषा और राज्य एवं राज्य के संसाधनों पर कुछ परिवारों के एकाधिकार से तंग आ चुके थे।
...लेकिन महबूबा मुफ्ती, उमर और फारूक अब्दुल्ला जैसे लोग जिस प्रकार की भाषा बोल रहे हैं, गुपकार घोषणापत्र जारी करते हैं, उनके बारे में क्या कहेंगे?
- (स्वर में तल्खी लाते हुए)...उनकी बात भी करेंगे लेकिन सबसे पहले कांग्रेस के लिए मेरे पास कुछ प्रश्न हैं। क्या कांग्रेस के नेता और उनकी पार्टी उमर के पाकिस्तान समर्थक बयानों से सहमत हैं? क्या वह महबूबा मुफ्ती के तिरंगा विषयक बयान से सहमत हैं? क्या फारूक अब्दुल्ला की चीन की गोद में बैठने की जो इच्छा है, उसमें कांग्रेस की सहमति है? सोनिया गांधी और राहुल गांधी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर उनकी इन तत्वों के प्रति क्या सोच है? क्या कांग्रेस पार्टी टुकड़े-टुकड़े गैंग की समर्थक है? ये दोनों यह भी साफ करें कि सत्ता में आने की स्थिति में क्या ये धारा-35 ए और अनुच्छेद 370 को वापस लाएंगे? जहां तक महबूबा और अब्दुल्ला परिवारों की बात है, ये अप्रासंगिक हो रहे हैं और सच कहें तो उनकी यह निंदनीय बयानबाजी लगातार अप्रासंगिक होते जाने की पीड़ा है।
इसका अर्थ यह हुआ कि ये लोग अप्रासंगिक हैं और असल जड़ कांग्रेस है?
-जी बिलकुल, इतिहास साक्षी है। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर को समस्या बनाया। जो समस्याएं आसानी के साथ हल की जा सकती थी, उन्हें लटकाया। इन्हीं लोगों के कारण कश्मीर ने क्रंदन किया, घाटी को घाव मिले और जनता आतंक के साये में रही। क्या आम कश्मीरी को देश और विश्व के साथ चलने का हक नहीं था? समस्या यह हुई कि कुछ ही परिवार सारे लाभ पर कब्जा जमाए हुए रहे। आरक्षण का लाभ किसी को नहीं मिला। बेटियां और अपने अधिकारों से वंचित रहीं। हमारी सरकार ने ये सारे रास्ते खोले। जम्मू-कश्मीर पर आंसू नहीं बहाए, व्यावहारिक काम किया। पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों पर सबको पता है, और अब जम्मू-कश्मीर जिस विकास की इबारत लिख रहा है, उसे सब पढ़ रहे हैं।
अटल सुरंग के लोकार्पण अवसर पर जब प्रधानमंत्री ने हर जनसभा में आपको 'हिमाचल नूं छोकरो कहा... तो उस समय क्या भाव आए थे?
-(कुछ देर मुस्करा कर संजीदा होते हुए)...देखिए...सच यह है कि ऐसे में भावुक ही होता है आदमी। उनका मेरे प्रति स्नेह सबसे पहले तो यह है कि मैं उनकी मंत्रिपरिषद में हूं। दूसरी बात यह है कि जिस शब्द को हमारी कमजोरी के रूप में प्रचारित कर विरोधियों ने उछाला था, वह हमारी ताकत बन गया। यह सम्मान वास्तव में हिमाचल प्रदेश के प्रति प्रधानमंत्री जी के उद्गार थे। वह हिमाचल को अपना दूसरा घर यूं ही नहीं कहते। कुल मिलाकर मेरा उत्साह बढ़ा।
जम्मू-कश्मीर जैसे रणनीतिक और हर लिहाज से संवेदनशील राज्य के लिए मिले दायित्व को किस प्रकार देख रहे हैं? क्या योजना है?
-(संयत और दृढ़ स्वर में) मैं हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी का आभारी हूं। आभारी इसलिए कि मुझे इस दायित्व के योग्य समझा, मुझमें विश्वास व्यक्त किया। इससे पूर्व भी मुझे लेह लद्दाख की हिल काउंसिल के चुनाव के लिए तैनात किया गया था। उसके बाद मुझे बिहार चुनाव में भेजा गया। अब जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकाय चुनाव के लिए विश्वास व्यक्त किया है। यह इसलिए सार्थक है क्योंकि सरकार के साथ-साथ संगठन में भी अवसर दिए जाते हैं। अब वहां की स्थानीय टीम के साथ मिल कर परिणाम देने हैं। अटल जी ने कश्मीर को स्पर्श देने की शुरुआत की थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे और आगे ले गए हैं। धारा 35 ए, अनुच्छेद 370 आदि के समापन के बाद अब जम्मू-कश्मीर नए युग में प्रवेश कर चुका है। वहां सब सामान्य हो रहा है। योजना यही है कि अब सरकार और संगठन राज्य को और आगे ले जाना चाहते हैं, जिसमें अपनी भूमिका निभाने का सौभाग्य मेरे हिस्से भी आया है। जम्मू-कश्मीर मुख्यधारा की राजनीति और विकास में नजीर बनेगा क्योंकि वहां नया सवेरा हुआ है।
आपके नेतृत्व में भारतीय जनता युवा मोर्चा की कोलकाता से कश्मीर तक तिरंगा यात्रा को लखनपुर में रोक दिया गया था...अब उस जम्मू-कश्मीर में जाते हुए कैसा लगता है?
-(लंबी...और राहत की सांस छोड़ते हुए...) वास्तव में उस समय और इस समय के बीच की तुलना करने पर धरती और आकाश जितना अंतर दिखता है। मेरी यात्रा तो एक पड़ाव था। उससे पहले जम्मू कश्मीर, हिमाचल और पर्वतीय राज्यों के लिए जो अटल जी ने किया, औद्योगिक पैकेज के रूप में...भाजपा की दृष्टि बेहद साफ रही है। बाद में रेलवे विस्तार हुआ, सुरंगें बनी...बाद में नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जिस तरह हमने चुनावी वादा पूरा किया, उससे विश्व को संदेश गया कि इस दल के लिए जम्मू-कश्मीर का अर्थ क्या है। कश्मीरी युवा मुख्यधारा में आ रहे हैं। मैंने कई लोगों के साथ बात की। वे बारूद की भाषा और राज्य एवं राज्य के संसाधनों पर कुछ परिवारों के एकाधिकार से तंग आ चुके थे।
...लेकिन महबूबा मुफ्ती, उमर और फारूक अब्दुल्ला जैसे लोग जिस प्रकार की भाषा बोल रहे हैं, गुपकार घोषणापत्र जारी करते हैं, उनके बारे में क्या कहेंगे?
- (स्वर में तल्खी लाते हुए)...उनकी बात भी करेंगे लेकिन सबसे पहले कांग्रेस के लिए मेरे पास कुछ प्रश्न हैं। क्या कांग्रेस के नेता और उनकी पार्टी उमर के पाकिस्तान समर्थक बयानों से सहमत हैं? क्या वह महबूबा मुफ्ती के तिरंगा विषयक बयान से सहमत हैं? क्या फारूक अब्दुल्ला की चीन की गोद में बैठने की जो इच्छा है, उसमें कांग्रेस की सहमति है? सोनिया गांधी और राहुल गांधी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर उनकी इन तत्वों के प्रति क्या सोच है? क्या कांग्रेस पार्टी टुकड़े-टुकड़े गैंग की समर्थक है? ये दोनों यह भी साफ करें कि सत्ता में आने की स्थिति में क्या ये धारा-35 ए और अनुच्छेद 370 को वापस लाएंगे? जहां तक महबूबा और अब्दुल्ला परिवारों की बात है, ये अप्रासंगिक हो रहे हैं और सच कहें तो उनकी यह निंदनीय बयानबाजी लगातार अप्रासंगिक होते जाने की पीड़ा है।
इसका अर्थ यह हुआ कि ये लोग अप्रासंगिक हैं और असल जड़ कांग्रेस है?
-जी बिलकुल, इतिहास साक्षी है। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर को समस्या बनाया। जो समस्याएं आसानी के साथ हल की जा सकती थी, उन्हें लटकाया। इन्हीं लोगों के कारण कश्मीर ने क्रंदन किया, घाटी को घाव मिले और जनता आतंक के साये में रही। क्या आम कश्मीरी को देश और विश्व के साथ चलने का हक नहीं था? समस्या यह हुई कि कुछ ही परिवार सारे लाभ पर कब्जा जमाए हुए रहे। आरक्षण का लाभ किसी को नहीं मिला। बेटियां और अपने अधिकारों से वंचित रहीं। हमारी सरकार ने ये सारे रास्ते खोले। जम्मू-कश्मीर पर आंसू नहीं बहाए, व्यावहारिक काम किया। पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थियों पर सबको पता है, और अब जम्मू-कश्मीर जिस विकास की इबारत लिख रहा है, उसे सब पढ़ रहे हैं।
अटल सुरंग के लोकार्पण अवसर पर जब प्रधानमंत्री ने हर जनसभा में आपको 'हिमाचल नूं छोकरो कहा... तो उस समय क्या भाव आए थे?
-(कुछ देर मुस्करा कर संजीदा होते हुए)...देखिए...सच यह है कि ऐसे में भावुक ही होता है आदमी। उनका मेरे प्रति स्नेह सबसे पहले तो यह है कि मैं उनकी मंत्रिपरिषद में हूं। दूसरी बात यह है कि जिस शब्द को हमारी कमजोरी के रूप में प्रचारित कर विरोधियों ने उछाला था, वह हमारी ताकत बन गया। यह सम्मान वास्तव में हिमाचल प्रदेश के प्रति प्रधानमंत्री जी के उद्गार थे। वह हिमाचल को अपना दूसरा घर यूं ही नहीं कहते। कुल मिलाकर मेरा उत्साह बढ़ा।
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