भूकंप से पहले मिट्टी बताएगी जमीन में कहां हलचल, IIT मंडी के सहयोग से पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित होगी
Warning Before Eartquake भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन में आने वाले हिमाचल के जिला कांगड़ा की मिट्टी बताएगी कि जमीन में कहां हलचल हो रही है। इस दिशा में जिला प्रशासन जिले के दस स्थानों में आइआइटी मंडी के साथ मिलकर पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करेगा।
By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Wed, 02 Feb 2022 08:15 AM (IST)
धर्मशाला, राजेंद्र डोगरा। Warning Before Eartquake, भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन में आने वाले हिमाचल के जिला कांगड़ा की मिट्टी बताएगी कि जमीन में कहां हलचल हो रही है। इस दिशा में जिला प्रशासन जिले के दस स्थानों में आइआइटी मंडी के साथ मिलकर पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करेगा। इस प्रणाली को विकसित करने के लिए एक वर्ष का समय लिया जाएगा। जिसे चरणबद्ध तरीके से अमलीजामा पहनाया जाएगा। इस दिशा में आइआइटी मंडी के साथ कांगड़ा जिला प्रशासन का एमओयू साइन हो गया है। अब इस दिशा में स्थानों को चिंहित किया जाना है। जिसके बाद कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
कांगड़ा जिला में सिंथेटिक एपर्चर रडार आधारित प्रोफाइल भी विकसित होगा। यहां बता दें कि कांगड़ा जिला भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन में आता है इसके साथ ही भूस्खलन के कारण भी हर वर्षों लाखों का नुकसान झेलना पड़ता है। भूस्खलन तथा भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित होने से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कमांद जिला मंडी के वैज्ञानिकों के साथ उपरोक्त एमओयू साइन किया गया है।
ये भी होगा योजना में शामिल
एमओयू के तहत सिंथेटिक एपर्चर रडार के माध्यम से भूकंप, भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों तथा कुछ जटिल प्रक्रियाओं को मापा जा सकता है। इसी तकनीक को कांगड़ा जिला के लिए भी विकसित करने बारे एमओयू साइन किया गया। इसके साथ ही कांगड़ा जिला के दस विभिन्न जगहों पर आधुनिक तकनीक से लैस पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने पर भी सहमति बनी है। विभिन्न जगहों में चेतावनी के लिए हूटर तथा ब्लींकर्स भी स्थापित किए जाएंगे।
वर्चुअल माध्यम से हुआ एमओयू
कांगड़ा जिला प्रशासन व आइआइटी कमांद प्रशासन के बीच वर्चुअली माध्यम से एमओयू हुआ। इस दौरान एडीएम कांगड़ा रोहित राठौर भी मौजूद रहे। क्या कहते हैं उपायुक्त उपायुक्त कांगड़ा डा. निपुण जिंदल ने कहा पूर्व चेतावनी के टेक्स्ट मैसेज की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है, ताकि समय रहते लोगों तक सूचना पहुंच सके। आइआइटी मंडी के वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट के तहत भूस्खलन एवं प्राकृतिक आपदाओं के डाटा का अनुसंधान के लिए भी उपयोग कर सकते हैं, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से आम जनमानस के बचाव के लिए भविष्य में बेहतर कार्य किया जा सके। इस प्रोजेक्ट की फंडिंग आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के माध्यम से की जाएगी। इस दिशा में चिंहित स्थानों में बकायदा मिट्टी की भी टेस्टिंग होती रहेगी। जिससे ये भी पता चलता रहेगा कि कहां जमीन में हलचल हो रही है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।