हिमाचल: चलती बस में ड्राइवर की हृदयाघात मौत, मरने से पहले इस तरह बचाई 28 यात्रियों की जान
Bus Driver Heart Attack सिरमौर जिले के तहत पांवटा साहिब-शिलाई राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर चलती बस में ड्राइवर की हृदयाघात से मौत हो गई। शुक्रवार को हुई इस घटना के समय बस में 28 यात्री सवार थे। बेहोश होने से पहले हालांकि ड्राइवर ने बस रोकने का प्रयास किया।
By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Sat, 03 Apr 2021 11:13 AM (IST)
नाहन, जागरण संवाददाता। सिरमौर जिले के तहत पांवटा साहिब-शिलाई राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर चलती बस में ड्राइवर की हृदयाघात से मौत हो गई। शुक्रवार को हुई इस घटना के समय बस में 28 यात्री सवार थे। बेहोश होने से पहले हालांकि ड्राइवर ने बस रोकने का प्रयास किया। बस सड़क से बाहर निकलकर झाडिय़ों में रुक गई। सभी सवारियों सुरक्षित हैं। निजी बस का ड्राइवर 47 वर्षीय अशोक थापा श्रीरेणुकाजी के चांदनी गांव का रहने वाला था। अशोक को राजबन के समीप सीने में दर्द उठा। उसने ब्रेक लगाते हुए बस को झाडिय़ों की तरफ मोड़ दिया। बस सड़क के किनारे टेलीफोन के खंभे को तोड़ती हुई झाडिय़ों में रुक गई। इसके बाद कुछ सवारियों ने ही ड्राइवर को सिविल अस्पताल पांवटा साहिब पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई।
राजबन पंचायत के प्रधान सुनील ने बताया कि ड्राइवर को बेहोशी की हालत में अस्पताल पहुंचाया गया था। पांवटा अस्पताल के डा. अंकुर ने बताया कि बस ड्राइवर की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो चुकी थी। मौत का कारण हार्टअटैक हो सकता है।
पहले भी हो चुके हैं हादसे
- इस साल फरवरी में सरकाघाट से अवाहदेवी रूट पर जाने वाली सरकारी बस लेकर जा रहे श्याम लाल को सधोट गांव के पास सीने में तेज दर्द हुआ। कुछ समय के लिए बस हिचकोले खाने लगी और यात्रियों की सांसें अटक गईं। श्याम लाल ने हिम्मत नहीं हारी और बस को नियंत्रित करके सभी सवारियों को उतरने को कहा। श्याम लाल अपनी सीट पर बेहोश हो गए। उन्हें सरकाघाट अस्पताल ले जाया गया। हालत गंभीर होने पर मेडिकल कॉलेज हमीरपुर रेफर किया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। उस समय बस में 35 लोग सवार थे।
- फरवरी, 2020 में धर्मशाला से कांगड़ा जा रही बस के चालक को पुराना मटौर के पास दिल का दौरा पड़ा। बस रोककर चालक बेसुध होकर सीट पर लुढ़क गया। पिछली सीट पर बैठी फोॢटस अस्पताल कांगड़ा की स्टाफ नर्स काजल ने जांच की और छाती को जोर-जोर से दबाया। करीब 15 मिनट बाद मरीज को कृत्रिम सांस दी। थोड़ी देर बाद चालक सामान्य हो गया। फिर उसे अस्पताल ले जाया गया।
दैनिक जागरण ने उठाया था मामला
दैनिक जागरण ने सरकारी व निजी बसों के चालकों की फिटनेस को लेकर मामला उठाया था। इसमें सामने आया था कि सरकारी स्तर पर चालकों की फिटनेस को लेकर गंभीरता नहीं बरती जाती। 50 साल पूरे होने के बाद सिर्फ आंखों की जांच की जाती है। निजी बसों के चालकों के स्वास्थ्य की जांच के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं है।
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