सोभा सिंह द्वारा बनाई गुरु तेग बहादुर की कलाकृति पर दावेदारी, ये है कॉपीराइट अधिनियम कानून
सोभा सिंह की बेटी बीबी गुरचरण कौर का कहना है कि कॉपीराइट अधिनियम का उल्लंघन किया गया। उनसे या सोभा सिंह आर्ट सोसाइटी से कोई अनुमति नहीं ली गई। इतना ही नहीं कैलेंडर में इस्तेमाल कलाकृति से सोभा सिंह के हस्ताक्षर भी उड़ा दिए गए हैं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 05 Jan 2021 09:33 AM (IST)
नवनीत शर्मा, धर्मशाला। पंजाब सरकार ने हाल में वर्ष 2021 का कैलेंडर जारी किया। हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर के 400 वें प्रकाशोत्सव का संदर्भ था, इसलिए नवें गुरु की कलाकृति का इस्तेमाल किया गया। यह कलाकृति सरदार सोभा सिंह की बनाई हुई है। कैलेंडर आने के बाद बवाल मचा हुआ है। कुछ समय पहले पंजाब के परिवार पर इंग्लैंड की एक मीडिया कंपनी ने दस्तावेजी फिल्म बनाई। शूटिंग के दौरान परिवार के ड्राइंग रूम की दीवार पर दो कलाकृतियां कैमरे में आ रही थीं।
ये कलाकृतियां सरदार सोभा सिंह की थीं। कंपनी ने एक पत्र सरदार सोभा सिंह के स्वजनों को लिखा, हमने शूटिंग के दौरान पाया है कि सरदार सोभा सिंह की दो कलाकृतियां दिखाई दे रही हैं। हमने पूरी कोशिश की वे दिखाई न दें लेकिन अंतत: यह असंभव दिख रहा है। क्या आप हमें उन कलाकृतियों को दिखाने की अनुमति दे देंगे?’ पूरे संवाद के बाद कंपनी के भारत स्थित कार्यालय ने पांच प्रतिशत जीएसटी काट कर 95000 रुपये सोभा सिंह के परिवार को भेज दिए।
इसके विपरीत ताजा उदाहरण यह है कि सरदार सोभा सिंह की बनाई गुरु तेग बहादुर की कलाकृति को पंजाब सरकार ने इस्तेमाल किया लेकिन पूर्वानुमति नहीं ली। सवाल केवल पूर्वानुमति का नहीं है, पंजाब सरकार में किसी स्तर पर यह निर्णय भी ले लिया गया कि सोभा सिंह के हस्ताक्षरों को भी काट दिया जाए। संत कलाकार सोभा सिंह की बेटी बीबी गुरचरण कौर ने पंजाब के मुख्यमंत्री को लिखी शिकायत में यह आशंका भी व्यक्त की है कि या तो यह लापरवाही है या फिर शरारत। दोनों ही स्थितियां कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के लिए ठीक नहीं हैं। उसकी वजह गुरचरण बताती हैं, कैप्टन अमरिंदर सिंह तो कलाप्रेमी हैं ही, उनके पिता राजा यादविंदर सिंह भी कलाप्रेमी थे। उनके पत्र दारजी (सोभा सिंह) को आते थे।
एक बार लिखा था कि गुरु गोबिंद सिंह का कलाचित्र अवश्य संभाल कर रख लें, उन्हें चाहिए।’ गुरु तेग बहादुर का यह चित्र सोभा सिंह ने वर्ष 1972 में बनाया था, जिसका पंजीकरण यानी कॉपीराइट उन्हें वर्ष 1984 में मिला था। सोभा सिंह की मृत्यु के बाद कॉपीराइट उनकी पुत्री गुरचरण कौर के नाम है, जिनसे कई संस्थाएं सोभा सिंह के कलाचित्रों को प्रयोग करने की अनुमति लेती हैं। वे बताती हैं, हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव जी पर केंद्रित एक पुस्तक का लोकार्पण किया है। इस पुस्तक में सोभा सिंह जी की तीन कलाकृतियां हैं।
ये है कॉपीराइट कानून
जब कोई भी व्यक्ति किसी काम को मूल रूप से तैयार करता है। उसे भौतिक और वैज्ञानिक तरीके से संग्रहित रखता है तो संबधित व्यक्ति को कॉपीराइट मिल जाता है। यह अधिनियम प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957 कहा जाता है।कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और पेटेंट के बीच अंतर : कॉपीराइट बस बौद्धिक संपदा का एक रूप है। यह ट्रेडमार्क जैसा नहीं होता है, जो ब्रांड के नाम, मोटो, लोगो और अन्य स्नोत पहचानकर्ताओं की उद्देश्यों से उपयोग किए जाने से रक्षा करता है। यह आविष्कारों की रक्षा करने वाले पेटेंट कानून से भी अलग है।
कॉपीराइट और निजता के बीच अंतर : केवल किसी वीडियो, चित्र या ऑडियो रिकॉìडग में आपके होने से आपके पास उसका कॉपीराइट नहीं होता है। जैसे, किसी ने कोई तस्वीर खीची, तो इसका यह आशय नहीं है कि उस चित्र पर कॉपीराइट हासिल हो गया। बगैर अनुमति के तस्वीर अपलोड करना निजता का उल्लंघन है।सोभा सिंह का अंद्रेटा : कांगड़ा जिले के पालमपुर उपमंडल में अंद्गेटा गांव सोभा सिंह की दृष्टि से कलाग्राम था। सोभा सिंह की प्रसिद्ध कलाकृतियों में गुरु गोबिंद सिंह, शहीद भगत सिंह, सोहनी-महिवाल, कांगड़ा ब्राइड और गद्दन आदि हैं। गुरदासपुर से यहां आकर बसे सोभा सिंह ने पृथ्वी राज कपूर, आयरलैंड की नाटक लेखिका नोराह रिचर्डस आदि को भी यहां बसने के लिए प्रेरित किया। पॉटरी के लिए जाने जाते गुरशरण सिंह और ललित कला अकादमी से जुड़े रहे बीसी सान्याल भी उनके बुलावे पर अंद्रेटा आए। हालांकि पृथ्वी राज कपूर यहां नहीं बस सके।
इन पर लागू होता है कॉपीराइट : ऑडियो विज़अल : टीवी शो, फिल्में और ऑनलाइन वीडियो, संगीत रचनाएंलेखन: व्याख्यान, लेख, पुस्तकें, संगीत रचनाएंविजुअल: चित्रकला, पोस्टर, विज्ञापनसूचना एवं लोक संपर्क विभाग के सचिव गुरकीरत कृपाल सिंह ने बताया कि गुरचरण कौर को पत्र लिख कर कहा है कि सोभा सिंह महान आर्टिस्ट थे। उनकी पेंटिंग पूरे मानव समाज के लिए हैं। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की तस्वीर इंटरनेट पर उपलब्ध है। सूचना एवं लोक संपर्क विभाग ने भी वहीं से फोटो को डाउनलोड किया है। गुरु और गुरु पर्व किसी कापी राइट के तहत बाध्य नहीं है।
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