Move to Jagran APP

हिमाचल भी पहुंच रही कोयले से पैदा बिजली, संकट के बावजूद रोजाना सप्‍लाई, दिल्‍ली को दिए स्‍टाक की बैंकिंग शुरू

Coal Electricity Supply Himachal 800 मेगावाट की कोलडैम जलविद्युत परियोजना को लेकर हिमाचल सरकार और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) में हुए करार का परिणाम है कि कई राज्यों में कोयले के संकट के बावजूद प्रदेश को 170 मेगावाट बिजली रोजाना मिल रही है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Sat, 16 Oct 2021 08:13 AM (IST)
Hero Image
कई राज्यों में कोयले के संकट के बावजूद प्रदेश को 170 मेगावाट बिजली रोजाना मिल रही है।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। Coal Electricity Supply Himachal, 800 मेगावाट की कोलडैम जलविद्युत परियोजना को लेकर हिमाचल सरकार और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) में हुए करार का परिणाम है कि कई राज्यों में कोयले के संकट के बावजूद प्रदेश को 170 मेगावाट बिजली रोजाना मिल रही है। कोयले से तैयार हो रही यह बिजली हिमाचल राज्य विद्युत बोर्ड को प्राप्त हो रही है। ऐसे में फिलहाल राज्य में विद्युत संकट की कोई संभावना नहीं है। इसके अलावा राज्य को बैंकिंग प्रणाली से दिल्ली स्थित बीआरपीएल (बीएसईइस राजधानी पावर लिमिटेड) से रोजाना 19 लाख यूनिट बिजली प्राप्त हो रही है। यह बिजली हिमाचल ने इस बार केवल दिल्ली को ही दी थी, जो आठ अक्टूबर से वापस लेना शुरू कर दी है।

बीबीएमबी से करार

1954 में गठित भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के प्रोजेक्टों से हिमाचल को 166 मेगावाट बिजली मिलती है। वहीं प्रदेश सरकार करार के तहत 7.19 फीसद निश्शुल्क विद्युत की मांग करती है। हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान की सहमति से गठित बीबीएमबी से प्रदेश को 2.57 फीसद विद्युत देते थे। 1994 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में राज्य को मुफ्त विद्युत में हिस्सेदारी बढ़ाने की याचिका दायर की थी। इससे पहले 1969 में केंद्र सरकार ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी, जिसकी 1994 तक एक भी बैठक नहीं हुई। बीबीएमबी की तीनों परियोजनाएं भाखड़ा बांध, डैहर परियोजना और बस्सी भी प्रदेश की भूमि पर स्थापित हुई हैं।

बैंकिंग के तहत विद्युत

हिमाचल आम तौर पर पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा को हर वर्ष गर्मियों में विद्युत बैंकिंग आधार पर देता है। लेकिन इस बार दिल्ली को ही बैंकिंग में विद्युत आपूर्ति की गई थी। इस तरह की विद्युत आपूर्ति पर किसी प्रकार का मूल्य नहीं लिया जाता है। सर्दियों में जब हिमाचल में विद्युत उत्पादन गिरता है तो बैंकिंग आधार पर दी गई बिजली बिना शुल्क वापस ले जाती है। इसमें केवल छह पैसे प्रति यूनिट ट्रांसमिशन शुल्क चुकाना पड़ता है।

विभिन्न क्षेत्रों से विद्युत दोहन की स्थिति

  • क्षेत्र, विद्युत क्षमता
  • राज्य विद्युत बोर्ड, 2599 मेगावाट
  • राज्य ऊर्जा निदेशालय, 748 मेगावाट
  • राज्य ऊर्जा निगम, 245 मेगावाट
  • केंद्रीय व संयुक्त क्षेत्र, 7457 मेगावाट
  • कुल,11049 मेगावाट
कोयला संकट से प्रदेश में नहीं कोई दिक्‍कत : सचिव ऊर्जा

अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा आरडी धीमान का कहना है कोयला संकट से फिलहाल प्रदेश को कोई संकट नहीं है। सरकार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। राज्य की जरूरत के लिए विद्युत आपूर्ति की पूरी व्यवस्था है। प्रदेश में निजी क्षेत्र की विद्युत परियोजनाएं अपने स्तर पर विद्युत विक्रय करती हैं। यदि उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो सतलुज जल विद्युत निगम, एनएचपीसी और एनटीपीसी के विद्युत खरीददार लंबी अवधि के हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।