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सीएसआइआर कांगड़ा के ग्रामीण क्षेत्राें में दे रहा फूलों की खेती और मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण

सीएसआइआर- हिमालय जैवसंपदा प्राैद्याेगिकी संस्थान पालमपुर की ओर से कांगड़ा जिला के मरयाड़ी सलोह घोरब और गुरकड़ी पंचायतों में फूलों का प्रबंधन मधुमक्खियों के कीट एवं रोग प्रबंधन और शहद के उत्पादन के लिए अमृत से भरपूर पौधों की खेती पर प्रशिक्षित किया गया।

By Richa RanaEdited By: Updated: Wed, 16 Feb 2022 02:00 PM (IST)
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सीएसआइआर ने शहद के उत्पादन के लिए अमृत से भरपूर पौधों की खेती पर प्रशिक्षित किया।

पालमपुर, संवाद सहयाेगी। सीएसआइआर- हिमालय जैवसंपदा प्राैद्याेगिकी संस्थान पालमपुर की ओर से कांगड़ा जिला के मरयाड़ी, सलोह, घोरब और गुरकड़ी पंचायतों में फूलों का प्रबंधन, मधुमक्खियों के कीट एवं रोग प्रबंधन और शहद के उत्पादन के लिए अमृत से भरपूर पौधों की खेती पर प्रशिक्षित किया गया। सीएसआइआर-आइएचबीटी और सीएसआइआर-सीएसआइओ की ओर से स्वदेशी रूप से विकसित बेहतर फ्लो हाइव का प्रदर्शन भी किया गया। इसमें मधुमक्खियों की मृत्यु के बिना शहद का स्वच्छ निष्कर्षण किया जाता है।

यह दिया डा. संजय कुमार ने संदेश

सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर के निदेशक डाॅ. संजय कुमार ने परागण, उच्च उत्पादकता और उत्पादन के लिए फूलों की खेती और सुगंधित फसलों के साथ मधुमक्खी पालन को एकीकृत करने के लिए किसानों को अपना संदेश दिया। साथ ही किसानों को उनकी आजीविका और रोजगार के लिए शहद और उसके उत्पादों को बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त करने की भी सलाह दी गई।

डा. एसजीई रेड्डी ने दिया विस्तृत व्याख्यान

प्रशिक्षण कार्यक्रमों में डॉ. एसजीई रेड्डी कार्यक्रम के तहत कार्य कर रहे शोधकर्ताओं ने फूलों की खेती और सुगंध मिशन में मधुमक्खी पालन, बेहतर मधुमक्खी के छत्ते, मधुमक्खी कैलेंडर, मधुमक्खी पालन समूहों पर विस्तृत व्याख्यान दिए और एनजीओ किसान संघों, मधुमक्खी पालक संघों आदि को 250 से 500 कारीगरों के साथ मधुमक्खी पालन समूहों में भाग लेने की भी सलाह दी ताकि एमएसएमई मंत्रालय के माध्यम से केवीआईसी-स्फूर्ति योजना के तहत ढाई करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की जा सके।

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