बेजुबानों की बने आवाज, जंगल में डाली जान
इस अफसर ने जल जंगल जमीन संवारे हैं तो वन्य प्राणियों को बचाने का जुनून सवार है। जागरूकता से मोनाल की कलगी पहननी बंद करवाई। इनकी प्रेरणा से चंबा के सेंक्चुरी क्षेत्र के समीपवर्ती क्षेत्रों के गांवों में लोगों ने अवैध शिकार नहीं करने की शपथ ली है।
By Neeraj Kumar AzadEdited By: Updated: Mon, 03 Jan 2022 11:55 PM (IST)
रमेश सिंगटा, शिमला। इस अफसर ने जल, जंगल, जमीन संवारे हैं तो वन्य प्राणियों को बचाने का जुनून सवार है। जागरूकता से मोनाल की कलगी पहननी बंद करवाई। इनकी प्रेरणा से चंबा के सेंक्चुरी क्षेत्र के समीपवर्ती क्षेत्रों के गांवों में लोगों ने अवैध शिकार नहीं करने की शपथ ली है। ईको सिस्टम से मिलने वाली सेवाओं के लाभ उन्हें समझा आ गए हैं। यह अफसर हैं चंबा के डीएफओ (वाइल्ड लाइफ) राजीव कुमार। पौधे रोपने की मुहिम तो हर साल विभाग भी चलाता है, पर उन्होंने वन्य प्राणी बचाने का बड़ा बीड़ा उठाया है।
बेजुबानों को बचाने आगे आएइनकी पहल से कुगती, टुंडाह, सेचु तियान, काली टाप खजियार जैसी पांच सेंक्चुरी में काला भालू, कस्तूरी मगृत, हिमालयन थार, आइबैक्स, मोनाल जैसे दुर्लभ वन्य प्राणियों को बचाया जा रहा है। पहले लोग टोपी पर मोनाल की कलगी लगाते थे। इसे बंद करवाया।
लोगों को आजीविका से जोड़ावन विभाग ने दुर्गम क्षेत्रों के लोगों को आजीविका, रोजगार से जोड़ा। पर्यावरण बचाने की एवज में इन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई। सोलर लाइट से सर्दी में अंधेरे में रहने वाले गांव में उजियारा पहुंचा। कुगती में तो स्ट्रीट के अलावा 130 परिवारों को घरों के अंदर भी सोलर लाइट दी गई।
मानव व वन प्राणी संघर्ष को टालालोगों को समझाया कि वन्य प्राणी खासकर भालू के गांवों की ओर रुख करने की हालत मेंं क्या करें। कैसे दोनों के बीच संघर्ष को कम करें। हाट स्पाट चिन्हित किए। वहां लोग केवल समूहों में जाएं, हाथ में डंडे ले जाएंगे, शोर मचाते हुए जाएं, रात को जंगलों में न जाएं। गांव में वन्य प्राणी आएं तो उसे घेरे नहीं, सुरक्षित रास्ता दें, ताकि वह वापस जंगल में चला जाए। बच्चों को गोद में ले जाएं, अकेले बच्चों को न जाने दें।
जारी रहेगी मुहिमवनों, वन्य प्राणियों को बचाने की मुहिम नए साल में जारी रहेगी। इनकी ही पहल पर खजियार झील से गाद निकालने का कार्य हो रहा है। इनके पास भरमौर के डीएफओ का भी अतिरिक्त कार्यभार है। 2019 में इन्हें पर्यावरण बचाने का सम्मान भी मिल चुका है। इनका कहना है कि सारा कार्य सीसीएफ वन्य प्राणी धर्मशाला उपासना पटियाल की देखरेख में हो रहा है।
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