पहाड़ी कवि व लेखक जयदेव किरण का देहांत, शिमला में ली अंतिम सांस, पढि़ए पूरी खबर
Jagran Special लेखक जयदेव किरण किसी पहचान के महोताज नहीं थे। कई पुरस्कार व उपाधियों से सम्मानित जयदेव किरण ने शुक्रवार को शिमला के टूटीकंडी स्थित अपने निवासस्थान पर अंतिम सांस ली। कवि व लेखक जयदेव किरण को उनके लेखन व कविताओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
शिमला, जागरण संवाददाता। कवि व लेखक जयदेव किरण किसी पहचान के महोताज नहीं थे। कई पुरस्कार व उपाधियों से सम्मानित जयदेव किरण ने शुक्रवार को शिमला के टूटीकंडी स्थित अपने निवासस्थान पर अंतिम सांस ली। कवि व लेखक जयदेव किरण को उनके लेखन व कविताओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा। साहित्य के क्षेत्र में बेहतर काम के लिए शिमला युवा से लेकर नामी कवियों के लिए वे हमेशा ही प्रेरणा रहेंगे। जयदेव किरण पहले पहाड़ी कवि हैं, जिन्हें प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डा वाइएस परमार ने भी पहाड़ी संस्कृति के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उनकी शादी पहाड़ी कोकिला के नाम से प्रख्यात शांति बिष्ट से हुई थी। दोनों ही पति पत्नी ने अपनी नौकरी के साथ साहित्य व कला के क्षेत्र में अपने योगदान को जारी रखा। उनकी पत्नी शांति कांगड़ा जिला के धर्मशाला की रहने वाली थी। इन्हें अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया था। इनका जन्म 12 जनवरी 1937 में सोलन जिला के चौलाना गांव में हुआ। इन्होंने पाकिस्तान सीमा पर पंजाब सीमा बतौर वायरलैस आपरेटर सेवाएं दी। 20 साल तक इन्हें जिलाधीश कार्यालय में लिपिक के तौर पर सेवाएं दी। इन्होंने हिंदी पहाड़ी नेपाली व उर्दू में कई रचनाएं लिखी। इनकी पहाड़ी पात्थरो रे मांडू और आजाद दिशा के पंछी कई रचनाएं यादगार बन गई। पति पत्नी नहीं बल्कि उनके बेटे भी संगीत के क्षेत्र में नामी हस्ती रहे हैं।
ज्योति बिष्ट ने उस समय शिमला के लोगों को आरकेस्ट्रा के बारे में बताया, जब ये महज महानगरों में जाना जाता था, समय के साथ डीजे ने आरकेस्ट्रा का स्थान ले लिया. लेकिन बिष्ट परिवार के योगदान को आज भी याद रखा जाएगा। उनके देहांत के बाद शिमला के कनलोग में इनका दाहसंस्कार किया जाना है।