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जंगली जानवरों में कोरोना संक्रमण तो पालतू पशुओं को भी हो सकता है खतरा

Former Veterinary Secretary Tarun Shridhar हैदराबाद के चिडिय़ाघर में एशियाई शेर कोविड पॉजिटिव पाए गए। मीडिया में यह विशेष उल्लेख था कि भारत में यह पहला उदाहरण है। चिडिय़ाघर के अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि जिन शेरों में लक्षण दिखे थे

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Wed, 26 May 2021 01:58 PM (IST)
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मात्स्यिकी, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय के पूर्व सचिव तरुण श्रीधर

धर्मशाला, तरुण श्रीधर। हैदराबाद के चिडिय़ाघर में एशियाई शेर कोविड पॉजिटिव पाए गए। मीडिया में यह विशेष उल्लेख था कि भारत में यह पहला उदाहरण है। चिडिय़ाघर के अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि जिन शेरों में लक्षण दिखे थे, उनकी हालत स्थिर है। ऐसा माना गया कि यह बीमारी मनुष्यों से ही शेरों में फैली। मात्स्यिकी, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय के पूर्व सचिव तरुण श्रीधर ने कहा सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के निदेशक राकेश मिश्रा ने पुष्टि की, 'यह स्पष्ट है कि जानवरों में वायरस का संक्रमण मनुष्यों से हुआ है...कोई अन्य संभावित स्रोत नहीं है...संभवत: ये स्रोत चिडिय़ाघर के वे कर्मचारी हैं जो शेरों की देखभाल कर रहे थे।Ó भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जानवरों से मनुष्यों के संक्रमित होने की आशंका से इन्कार किया है।

इस घटना से न कोई खलबली मची, न ही कोई बहस या चर्चा। जब पूरा देश मानव जीवन को खतरे में डालने वाले कोरोना वायरस के अनियंत्रित प्रसार से जूझ रहा है, तो आधा दर्जन चिडिय़ाघर के जानवरों के संक्रमण पर चिंता करना समझदारी नहीं लगती। पर इसका दूसरा पहलू है; क्या यह पशुधन एवं पशुपालन क्षेत्र के लिए चिंताजनक नहीं होना चाहिए? यदि कैद में रहने वाले जंगली जानवर संक्रमित हो सकते हैं, तो क्या लगभग 130 करोड़ पालतू पशु और पोल्ट्री संक्रमण के खतरे से सुरक्षित हैं? केंद्रीय मंत्रालय ने भले ही आश्वस्त किया हो कि जानवरों से मनुष्यों में संचरण की कोई आशंका नहीं है, लेकिन क्या इस दावे के समर्थन में पर्याप्त सबूत हैं। और यदि इस दावे को सही भी माना जाए, तो मानव तो सुरक्षित रहेगा, पर घरेलू पशुओं में इस तरह के संक्रमण का प्रसार पशुधन क्षेत्र और उद्योग के लिए घातक हो सकता है। एक ऐसा उद्योग जिस पर करोड़ों परिवारों की आजीविका निर्भर है और जो कृषि सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 फीसद योगदान देता है।

वायरस ने मनुष्यों तक पहुंचने के लिए जिस मार्ग का उपयोग किया, उसके बारे में अनिश्चितता है, लेकिन इस पर एकमत हैं कि कोविड-19 जंगली जानवर से ही आया था। शायद चमगादड़ और मनुष्यों में फैल गया। विडंबना यह है कि अब हम मनुष्यों से जानवरों में इस वायरस के संचरण की स्थिति देख रहे हैं। ऊदबिलाव (मिंक) में वायरस के कई अलग-अलग प्रकार पाए गए हैं और डेनमार्क में 200 से अधिक लोग इससे संक्रमित हुए हैं। वैज्ञानियों को चिंता है कि ऊदबिलाव में पाए जाने वाले कोरोना वायरस का एक बदला हुआ रूप संभावित रूप से भविष्य के टीके की प्रभावशीलता में बाधा उत्पन्न कर सकता है। डेनमार्क ने प्रसार को रोकने के लिए ऊदबिलाव की सामूहिक हत्या की कवायद शुरू की है।

अमेरिका के सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने स्पष्ट रूप से कहा है, 'हम अभी भी इस वायरस के बारे में सीख रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि यह कुछ स्थितियों में लोगों से जानवरों में फैल सकता है, खासकर निकट संपर्क के दौरान।Ó इसमें आगे कहा गया है, 'हम जानते हैं कि घरेलू जानवर जैसे बिल्लियां और कुत्ते, चिडिय़ाघरों या अभयारण्यों में बड़ी बिल्लियां, गोरिल्ला, खेतों में ऊदबिलाव और कुछ अन्य स्तनधारी पशु सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित हो सकते हैं। दुनियाभर में जानवरों के  संक्रमित होने की खबरें आई हैं। इनमें से अधिकांश जानवर कोविड-19 वाले लोगों के संपर्क में आने के बाद संक्रमित हो गए।Ó हालांकि घबराहट का कोई कारण नहीं है, पर निश्चित रूप से सतर्कता और समझदारी की जरूरत है; विज्ञान और सबूतों पर आधारित एक मजबूत रणनीति की जो संक्रमित मनुष्यों के निकट संपर्क में आने वाले जानवरों का अध्ययन कर उपाय सुझाए। 'यदि आपके पास पालतू जानवर हैं, तो उनके साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा कि आप अन्य परिवार के सदस्यों को संभावित कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए करेंगे। क्योंकि जोखिम तो है कि कोविड-19 संक्रमित लोग जानवरों में वायरस फैला सकते हैं, पालतू जानवरों के मालिकों को अपने जानवरों का घर के बाहर के लोगों के साथ मेलजोल सीमित कर देना चाहिए।Ó

 मनुष्यों में कोरोना वायरस का वुहान स्ट्रेन अपेक्षाकृत नई चुनौती है, लेकिन कोरोना वायरस के अन्य स्ट्रेन का प्रचलन पशुओं में रहा है जो बछड़ों में दस्त और वयस्क मवेशियों में सांस की बीमारी का कारण हैं। तो क्या मवेशी वर्तमान महामारी के खतरे से पूरी तरह सुरक्षित हैं? जर्मनी में सरकारी वैज्ञानिकों के एक नए अध्ययन के अनुसार, मवेशियों में कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना है और इससे महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में नया खतरा पैदा हो सकता है। जर्मन फेडरल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एनिमल हेल्थ में शोधकर्ताओं ने छह गायों को सार्स-सीओवी-2, यानी कोरोना वायरस जो कोविड-19 का जनक है, का टीका लगाया। एक बछड़े सहित दो जानवरों परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए।  विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन इस बात की पुष्टि करता है कि जानवरों की कई प्रजातियों में कोरोना वायरस के संक्रमण से कोविड-19 की आशंका है और कई अवसरों पर प्रायोगिक संक्रमण द्वारा यह प्रमाणित भी हो गया है। इस बात के भी प्रमाण हैं कि संक्रमण प्राकृतिक वातावरण में भी हो सकता है और संक्रमित जानवर वायरस अन्य जानवरों तक पहुंचा सकते हैं। हालांकि, यह बात अवश्य आश्वस्त करेगी कि वर्तमान में पोल्ट्री, गाय और भैंसों की इस वायरस के प्रति संवेदनशीलता के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। दुनिया भर में जानवरों के बीच संक्रमण की घटनाएं अब तक ऊदबिलाव, कुत्ते, बिल्ली और शेरों आदि तक ही सीमित रही हैं। पशुधन प्रजातियों में संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। हालांकि विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन इस आशंका से इन्कार भी नहीं करता है। एक अध्ययन में मवेशियों और सूअरों को बेहद कम जोखिम वाली श्रेणी के रूप में रखा गया है, और कुक्कुट को शून्य जोखिम की श्रेणी में। खरगोश एकमात्र घरेलू जानवर है जिसे कोविड-19 संक्रमण के लिए अत्यधिक संवेदनशील माना गया है।  

निश्चित रूप से नीति निर्धारक, पशु चिकित्सक और अन्य सभी हितधारक स्थिति के प्रति सतर्क रहेंगे और उचित उपायों व विकल्पों पर काम भी कर रहे होंगे। हालांकि, सार्वजनिक संवाद में ऐसी कोई प्रतिक्रिया दिखाई नहीं दे रही है। पशु चिकित्सकों, महामारी विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों के निरीक्षण में कड़ी व निरंतर निगरानी के लिए एक सख्त और प्रभावी तंत्र बनाने की आवश्यकता है। इसमें अनुसंधान संस्थानों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। सामान्यता एक साधारण लेकिन महत्वपूर्ण व प्रमाणित हस्तक्षेप ही पशुओं में कोरोना वायरस के संचरण को रोकने में प्रभावशाली हो सकता है: सशक्त जैव सुरक्षा (बायोसिक्योरिटी) व्यवस्था और स्वच्छता। (लेखक भारत सरकार के मात्स्यिकी, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय के पूर्व सचिव हैं)

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