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Himachal: चंबा में राजाओं के समय के 159 वर्ष पुराने स्‍कूल में खुला विज्ञान संग्रहालय, शाेध सहित पर्यटन बढ़ेगा

Science Museum In Chamba School हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा स्कूल जो कि रियासत काल में खुला था तथा वर्तमान में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यह स्कूल जिला मुख्यालय चंबा में स्थित है जो राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के नाम से चल रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar SharmaUpdated: Sat, 08 Oct 2022 02:26 PM (IST)
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चंबा के ऐतिहासिक स्‍कूल में स्‍थ‍ापित विज्ञान संग्रहालय व शुभारंभ करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह व सीएम जयराम ठाकुर।
चंबा, जागरण टीम। Science Museum In Chamba School, हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा स्कूल, जो कि रियासत काल में खुला था तथा वर्तमान में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यह स्कूल जिला मुख्यालय चंबा में स्थित है, जो राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के नाम से चल रहा है। स्कूल को खुले 159 वर्षों का समय बीत चुका है। इस विद्यालय के साथ एक और अध्‍याय जुड़ गया है। स्‍कूल परिसर में विज्ञान संग्रहालय शुरू किया गया है। मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसका आगाज किया। इस विद्यालय का इतिहास काफी रोचक है। यह विद्यालय चंबा के राजा गोपाल सिंह के शासनकाल में वर्ष 1863 में खुला था। तब यह प्राथमिक स्कूल था। इसके आठ वर्ष बाद ही 1871 में स्कूल को माध्यमिक का दर्जा मिल गया। 1883 में उच्च पाठशाला का दर्जा मिला तो 1959 में हायर सेकेंडरी का दर्जा मिला। 27 वर्षों के बाद 1986 में यह स्कूल वरिष्ठ माध्यमिक बना।

स्‍कूल में खुला प्रदेश का पहला विज्ञान संग्रहालय

हिमाचल प्रदेश के पहले विधानसभा अध्यक्ष एवं 26 वर्ष तक बाल विद्यालय चंबा के मुखिया रहे पंडित जयवंत राम उपमन्यु के नाम पर विद्यालय में प्रदेश के पहले विज्ञान संग्रहालय का शुभारंभ हो गया। इसका शुभारंभ केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डा. जितेंद्र व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने किया।

पंडित जयवंत राम उपमन्‍यु थे पहले हेडमास्‍टर

स्कूल के शुरुआत में इसमें पांच ब्रिटिश नागरिकों ने बतौर हेडमास्टर सेवाएं प्रदान की। इसके बाद वर्ष 1923 में पहली बार किसी भारतीय ने बतौर हेडमास्टर का कार्यभार संभाला। ये और कोई नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पहले अध्यक्ष रहे पं. जयवंत राम उपमन्यु थे। उन्होंने वर्ष 1923 में हेडमास्टर का कार्यभार संभाला तथा वर्ष 1949 करीब 26 वर्षों तक सेवाएं देते रहे। उन्होंने स्कूल में शिक्षा को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई। अपनी सेवानिवृति के बाद वह हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पहले अध्यक्ष बने। स्कूल में वर्ष 1908 से दाखिला रजिस्टर मेंटेन है। अब स्कूल प्रबंधन की ओर से इसे संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रकृति प्रेमि‍यों को लाभ, पर्यटन विकास भी होगा

संग्रहालय में विलुप्त हो चुके व विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके जीव-जंतुओं, पक्षियों, विलुप्त प्राय पेड़-पौधों का संग्रह संभव हो सकेगा। प्रकृति प्रेमियों को तो लाभ मिलेगा ही पर्यटन विकास को भी नई उड़ान मिलेगी। इससे न सिर्फ मनोरंजक ज्ञान की राह आसान होगी, बल्कि चंबा मे पर्यटन को पंख भी लगेंगे। विज्ञान संग्रहालय के निर्माण से नई पीढ़ी को प्राकृतिक संपदा एवं इतिहास को जानने का अवसर मिलेगा। वहीं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। यहां पयर्टक सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा।

विद्यार्थी कर सकेंगे शोध

कालेज व स्कूल के विद्यार्थी यहां आकर अपना न्यू इन्नोवेशन कर सकेंगे और प्रोजेक्ट वर्क तैयार कर यहां स्थित एग्जीबिशन में रख सकेंगे। जहां विज्ञान से जुड़ी बातों को आम जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। विज्ञान संग्रहालय की चाहरदीवारी में कई ऐसी प्रदर्शनी हैं जो बच्चों के लिए आश्चर्य का विषय हैं और विज्ञान को समझने में मदद करेंगे। इस संग्रहालय में 12 वर्किंग माडल स्थापित कर दिए गए हैं। साथ ही एक समय में 40 लोगों को बैठने की सुविधा दी गई है, ताकि बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया जा सके।

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