Himachal Election 2022: कर्मचारियों की बजाय महिला वोटर पर केंद्रित हुई हिमाचल की राजनीति, पढ़ें नए समीकरण
Himachal Election 2022 हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव में इस बार सबसे नया यह लग रहा है कि कर्मचारियों की बजाय दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों का ज्यादा ध्यान महिलाओं पर दिया है। ऐसा नहीं है कि हिमाचल में पहली बार महिला वोटर कर्मचारियों से ज्यादा हुए हैं।
शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Election 2022, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव में इस बार सबसे नया यह लग रहा है कि कर्मचारियों की बजाय दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों का ज्यादा ध्यान महिलाओं पर है। ऐसा नहीं है कि हिमाचल में पहली बार महिला वोटर कर्मचारियों से ज्यादा हुए हैं। हर बार ये कुल वोटर्स का 50 फीसद के करीब रहता है, एक या दो फीसद ऊपर नीचे रहता है। हिमाचल में इस बार भी इतना ही है। लेकिन इस बार कर्मचारियों की बजाय आधी आबादी पर राजनीतिक दलों का ज्यादा फोकस है।
27 लाख से ज्यादा महिला वोटर
प्रदेश में वोटरों की संख्या पर गौर करें तो 55, 92, 869 कुल वोटर है। हिमाचल में इस बार विधानसभा चुनाव में अपना वोट डाल सकते हैं। इनमें से 27,37,845 महिलाएं हैं। इन्हें साधने के लिए सबसे पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 1500 रुपये मासिक 18 साल से ऊपर महिला को देने का फैसला लिया है। पार्टी का दावा है कि सत्ता में आने के बाद इसे लागू करेगी। भाजपा ने इस पर पहले तो कांग्रेस को घेरा कि सालाना बजट जितनी राशि की व्यवस्था करनी होगी। कांग्रेस की घोषणा हिमाचल की वित्तीय चादर से बाहर हैं।
भाजपा ने महिलाओं पर खेला मास्टर स्ट्रोक
अब भाजपा ने जब अपना मेनिफेस्टो लाया तो पूरी तरह से महिला वोटरों को आकर्षित करने के लिए एक नया रिवाज हिमाचल में शुरू कर दिया। इस रिवाज के मुताबिक महिलाओं के लिए पहली बार अलग से 11 सूत्रीय घोषणापत्र लाया गया है। इसमें महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण सरकारी नौकरी और शिक्षा में देने का एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक भाजपा ने खेला है।
आने वाला समय ही बताएगा किसे मिलेगी सफलता
इसमें दोनों ही राजनीतिक दलों में से किसको सफलता मिलती है ये तो आने वाला समय ही तय करेगा। लेकिन राजनीतिक चर्चाओं ने इस घोषणापत्र के आने के बाद पूरी तरह से नया रूप ले लिया है। हिमाचल में यह माना जाता है कि कर्मचारी ही सरकार किसकी होगी यह तय करते हैं।
यह है कर्मचारियों व पेंशनरों की स्थिति
प्रदेश में नियमित कर्मचारियों की संख्या करीब दो लाख है। अस्थायी तौर पर सरकारी क्षेत्र में सेवारत कर्मचारियों की संख्या एक लाख के करीब होगी। पेंशनरों की संख्या 1 लाख 25 हजार के करीब है। संगठित होने के कारण हर सरकार चुनावों के समय कर्मचारी केंद्रित ज्यादा फैसले लेती रही है। इस बार महिला केंद्रित घोषणाओं ने सबको चौंका कर रख दिया है। इससे अब आने वाले समय में जो भी सरकार आए, वे कर्मचारी नहीं महिला केंद्रित ज्यादा फैसले लेती दिखाई दे सकती है।