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जानिए कैसे हिमाचल का किसान लहसुन उगाकर बना लखपति, एक सीजन में दस लाख रुपये की फसल कर ली तैयार

Farmer Became Millionaire किसान परंपरागत खेती की नगदी फसलों को तरजीह देने लगे हैं। जिला सिरमौर के पच्छाद उपमंडल की बजगा पंचायत के बनाहां निवासी भूपेंद्र ठाकुर नकदी फसलों की खेती कर आज अच्‍छी कमाई कर रहे हैं। आज उन्‍हें जिला के प्रगतिशील किसानों में गिना जाता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Thu, 01 Jul 2021 03:11 PM (IST)
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जिला सिरमौर की बजगा पंचायत के बनाहां निवासी प्रगतिशील किसान भूपेंद्र ठाकुर।
नाहन, राजन पुंडीर। Farmer Became Millionaire, जिला सिरमौर के 75 प्रतिशत लोग खेतीबाड़ी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। दिन रात मेहनत करने के बाद अब जिला के किसान आर्थिक रूप से भी संपन्न होने लगे हैं। इसका कारण यह है कि किसान परंपरागत खेती की नगदी फसलों को तरजीह देने लगे हैं। जिला सिरमौर के पच्छाद उपमंडल की बजगा पंचायत के बनाहां निवासी भूपेंद्र ठाकुर नगदी फसलों की खेती कर आज अच्‍छी कमाई कर रहे हैं। उन्‍हें जिला के प्रगतिशील किसानों में गिना जाता है।

उन्‍होंने 45 बीघा जमीन पर लहसुन उगाकर लाखों रुपये की कमाई की है। उन्‍होंने इस भूमि पर 10 क्विंटल लहसुन का बीज लगाया था, जो फसल के रूप तैयार होकर 10 गुना हो गया। भूपेंद्र ठाकुर ने 100 क्विंटल लहसुन की पैदावार की है। अब यदि वह अपना लहसुन 100 रुपये प्रति किलो भी बेचते हैं तो यह फसल करीब 10 लाख रुपये की बिकेगी।

जिला सिरमौर के प्रगतिशील किसान भूपेंद्र ठाकुर ने बताया कि उनके साथ खेतीबाड़ी में पत्नी प्रेमलता ठाकुर, बेटा शिवम ठाकुर तथा उनकी माता हीरा देवी भी हाथ बंटाते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने खेतीबाड़ी में अन्य चार लोगों को भी रोजगार दिया है, जो हर फसल में उनका साथ देते हैं। इन चार लोगों काे वह मासिक मेहनताना देते हैं।

भूपेंद्र ठाकुर ने बताया वह अपनी 45 बीघा जमीन की समर्सिबल पंप लगाकर सिंचाई करते हैं। उनकी कुछ जमीन नदी के किनारे भी है तथा वहां से टुल्लू पंप के माध्यम से पानी उठाकर खेतों तक पहुंचाते हैं। वह अधिकतर नगदी फसलों को लगाते हैं, जिसमें लहसुन, टमाटर, शिमला मिर्च व फ्रांसबीन शामिल हैं।

जिला सिरमौर में इन दिनों लहसुन का दाम 70 से लेकर 100 रुपये प्रतिकिलो तक चल रहा है। जबकि बीते वर्ष किसानों को 50 से लेकर 170 रुपये प्रति किलो लहसुन के दाम प्राप्त हुए थे। किसानों ने लहसुन को स्टॉक कर लिया है, किसान अभी देश की मंडियों में लहसुन के दाम के उतार चढ़ाव को देख रहे हैं। जब लहसुन का दाम 100 रुपये से ऊपर जाएगा, तो किसान फसल को देश की मंडियों में भेज देंगे।

भूपेंद्र ठाकुर ने बताया नगदी फसलों लहसुन, टमाटर व शिमला मिर्च में कीड़े मकोड़े कई बार फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके लिए समय समय पर कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव करना पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों से लहसुन का बीज भी महंगा मिल रहा है तथा कीटनाशक दवाइयां भी महंगाी हो गई हैं।  किसान दिन रात मेहनत कर फसल तैयार कर रहे हैं, मगर जब फसल के दाम कम होते हैं, तो किसानों को अपनी लागत भी पूरी नहीं मिलती है। वहीं कुछ समय तक फसल को स्टॉक रखकर बचाए रखना भी बड़ी चुनौती है, क्योंकि लहसुन के लिए हवादार बड़े हॉल की आवश्यकता होती है, ताकि लहसुन खराब न हो जाए।

इसे एक सीमित अवधि तक सुखाने के बाद इसकी ग्रेडिंग कर इसे मंडियों में भेजने के लिए कट्टों में पैक कर दिया जाता है। लहसुन की 4 वैरायटी साइज के अनुसार तैयार की जाती हैं। जिला से लहसुन तमिलनाडु व कर्नाटक भेजा जाता है। जिला सिरमौर के लहसुन की सबसे अधिक मांग चेन्नई में रहती है। यहां से लहसुन बाहरी देशों में भी सप्लाई किया जाता है, जबकि टमाटर, शिमला मिर्च व फ्रांसबीन को दिल्ली, गाजियाबाद व देहरादून मंडियों में भेजा जाता है।

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