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Alzheimers Day: दिमाग का कम इस्तेमाल बढ़ा रहा अल्जाइमर, ये आठ लक्षण दिख रहे हैं तो हो जाएं सतर्क

World Alzheimers Day 2022 जीवन में लगातार दिमाग का इस्तेमाल करने वालों को बुढ़ापा में भूलने की बीमारी नहीं होती। यानी वह अल्जाइमर रोग की चपेट में नहीं आने देता। दिमाग का कम इस्तेमाल करने वालों को अल्जाइमर यानी डीमेंसिया रोग होता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Wed, 21 Sep 2022 10:28 AM (IST)
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दिमाग का कम इस्तेमाल करने वालों को अल्जाइमर यानी डीमेंसिया रोग होता है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। World Alzheimer's Day 2022, जीवन में लगातार दिमाग का इस्तेमाल करने वालों को बुढ़ापा में भूलने की बीमारी नहीं होती। यानी वह अल्जाइमर रोग की चपेट में नहीं आने देता। दिमाग का कम इस्तेमाल करने वालों को अल्जाइमर यानी डीमेंसिया रोग होता है। हालांकि यह वंशानुगत रोग भी है। सेवानिवृत्ति के बाद दिनचर्या को बदलने और मानसिक कार्य कम करने वाले इसका ज्यादा शिकार हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में 60 वर्ष से अधिक आयु के 65 प्रतिशत लोगों में अल्जाइमर रोग देखने को मिल रहा है। अल्जाइमर रोग के मामले में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है।

अल्जाइमर रोग भूलने का रोग है। इसका नाम अलोइस अल्जाइमर के नाम पर रखा गया है जिन्होंने सबसे पहले इसकी जानकारी दी। रोग के शुरूआती दौर में नियमित जांच और इलाज से इसे बढऩे से रोका जा सकता है। अभी तक इसका कोई स्थायी उपचार नहीं है। विशेषज्ञों की मानें तो जो कम पढ़े लिखे हैं या उम्र बढऩे के साथ दिमागी कसरत कम करते हैं उनमें ज्यादा देखा जा रहा है। प्रदेश के अस्पतालों में आने वाले रोगियों में 30 वर्ष की आयु वर्ग को भी इस रोग की चपेट में देखा जा रहा है। यह इस बात का संकेत है कि दिमाग की कोशिकाएं मर रही हैं। दिमाग में 100 अरब कोशिकाएं होती हैं।

हर कोशिका बहुत सारी अन्य कोशिकाओं से संवाद कर एक नेटवर्क बनाती हैं और इस नेटवर्क का काम विशेष होता है। कुछ सोचती हैं, सीखती हैं और याद रखती हैं। अन्य कोशिकाएं हमें देखने, सुनने, सूंघने आदि में मदद करती हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कोशिकाएं हमारी मांसपेशियों को चलने का निर्देश देती हैं। शरीर को चलते रहने के लिए समन्वय के साथ बड़ी मात्रा में आक्सीजन और ईंधन की जरूरत होती है। अल्जाइमर रोग यानी भूलने की बीमारी में कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं।

रोग के लक्षण

  • छोटी-छोटी बातें भी याद न रहना।
  • बोलने में दिक्कत, रक्तचाप, मधुमेह।
  • कई बार तो स्थिति यहां तक होती है कि व्यक्ति स्वयं को भी भूल जाता है।
  • सामान्य कामकाज करने में कठिनाई
  • साधारण शब्द या असामान्य समानार्थक शब्द भूलना।
  • समय और स्थान में असमन्वय होना। जैसे वह कहां है कैसे आया।
  • निर्णय लेने में कठिनाई या गलत निर्णय, गर्मी में बहुत से कपड़े या ठंड में काफी कम कपड़े पहनना
  • व्यक्तित्व में बदलाव, संदेह करने वाला, भयभीत या किसी पर अत्यधिक निर्भर
दिमाग का ज्‍यादा इस्‍तेमाल ही रोग से बचाव

विभागाध्यक्ष न्यूरोलाजी विभाग आइजीएमसी डा. सुधीर शर्मा ने कहा जो लोग दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं उन्हें भूलने का रोग नहीं होता है। बुजुर्गों की उपेक्षा, मानसिक तनाव, विटामिन बी की कमी अनुवांशिकता आदि इसके प्रमुख कारण हैं। दिमाग जब सिकुड़ जाता है तो यह स्थिति पैदा होती है। बेहतर खान-पान और व्यायाम सहित दिमाग के ज्यादा इस्तेमाल से इस रोग से बचा जा सकता है। सेवानिवृत्ति के बाद ऐसे ही बैठना भी इस रोग को बढ़ाता है। इसके समय पर उपचार से बढऩे से रोका जा सकता है। इसका कोई स्थायी उपचार नहीं है।

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