Himachal Election: चुनाव में उतरे असंतुष्टों पर भाजपा-कांग्रेस की नजर, इन 12 सीटों पर दिख रहे सीधी टक्कर में
Himachal Election 2022 हिमाचल प्रदेश में मतदान के बाद जमा गुणा का हिसाब चल रहा है। प्रदेश में पार्टी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे 12 प्रत्याशी सीधी टक्कर में हैं। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने इन पर नजरें गड़ा दी हैं।
By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar SharmaUpdated: Tue, 15 Nov 2022 09:06 AM (IST)
शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Election 2022, हिमाचल प्रदेश में मतदान की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। आठ दिसंबर को परिणाम आएगा। कांग्रेस व भाजपा दोनों ही सरकार बनाने का दावा कर रही हैं। मतदान के बाद जो समीकरण सामने आ रहे हैं, उनके अनुसार कई सीटों पर कांग्रेस व भाजपा से विद्रोह कर बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे प्रत्याशी सीधी टक्कर में दिख रहे हैं। चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों की नजर इन पर टिक गई है। हालांकि, इन्हें निष्कासित कर दिया गया है, लेकिन यदि जीत जाते हैं तो बहुमत के लिए जरूरत पड़ने पर फिर गले लगाएंगी। प्रदेश में करीब 12 सीटों पर निर्दलीय मजबूत स्थिति में हैं। दोनों पार्टियां यदि स्पष्ट बहुमत नहीं ले पातीं तो निर्दलीय निर्णायक भूमिका में आ जाएंगे। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस ने इनसे संपर्क करना शुरू कर दिया है।
हिमाचल में भारी मतदान
हिमाचल में इस बार भारी मतदान हुआ है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अब मतदान का ट्रेंड बदल गया है। अधिक मतदान सत्ता के पक्ष में होगा या विपक्ष में, यह कहना मुश्किल है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, कांग्रेस नेता राम लाल ठाकुर जैसे दिग्गज नेताओं के क्षेत्रों में भारी मतदान हुआ है। इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। इसी वजह से राजनीति के जानकारों का अंक गणित किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पा रहा।
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इन क्षेत्रों में थे असंतुष्ट
ठियोग, चौपाल, अर्की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के ही असंतुष्ट नेता मैदान में थे। तीनों की रैलियों में लोगों की भीड़ उमड़ी। इनके अलावा नालागढ़, आनी, हमीरपुर, सुलह, किन्नौर में भी दोनों दलों से विद्रोह कर नेता मैदान में उतरे थे। बड़सर, करसोग, सुंदरनगर, पच्छाद, मंडी, बिलासपुर, बंजार, चंबा, फतेहपुर, जसवां परागपुर में भी निर्दलीयों ने मुकाबले को रोचक बनाया हुआ है। आनी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के असंतुष्ट परसराम ने मुकाबले को रोचक बनाया है।
विद्रोहियों को वापस लेने की रही है परंपरा
हर चुनाव में पार्टी से टिकट न मिलने से नाराज होकर नेता निर्दलीय मैदान उतरते हैं। इन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता है। इनमें से अधिकतर पार्टी प्रत्याशी के समीकरण बिगाड़ने के लिए जद्दोजहद करते हैं, लेकिन कुछ जनाधार प्राप्त करने में सफल रहते हैं। प्रदेश में यह परंपरा रही है कि इन सबको बाद में पार्टी में वापस ले लिया जाता है।यह भी पढ़ें:
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