Himachal Election 2022: ...तब शांता और वीरभद्र ने दो-दो स्थानों से लड़ा था चुनाव, पढ़ें 1990 का रोचक किस्सा
Himachal Pradesh Assembly Election 2022 इसे हार जाने का डर कहें या अपनी लोकप्रियता पर भरोसा लेकिन हिमाचल प्रदेश की राजनीति के दो दिग्गजों वीरभद्र सिंह और शांता कुमार ने 1990 के चुनाव में अपने-अपने जिले के दो-दो हलकों से चुनाव लड़ा था।
By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar SharmaUpdated: Wed, 26 Oct 2022 10:40 AM (IST)
मंडी, हंसराज सैनी। Himachal Pradesh Assembly Election 2022, इसे हार जाने का डर कहें या अपनी लोकप्रियता पर भरोसा लेकिन हिमाचल प्रदेश की राजनीति के दो दिग्गजों वीरभद्र सिंह और शांता कुमार ने 1990 के चुनाव में अपने-अपने जिले के दो-दो हलकों से चुनाव लड़ा था। वीरभद्र सिंह उस समय मुख्यमंत्री थे, जबकि शांता कुमार मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। वीरभद्र सिंह ने शिमला जिले के रोहडू व जुब्बल कोटखाई से चुनाव लड़ा था। रोहडू में उनकी एकतरफा जीत हुई थी। यहां कांग्रेस से वीरभद्र सिंह, जनता दल से सत्यदेव बुशैहरी व निर्दलीय देवल राम नेगी मैदान में थे।
वीरभद्र सिंह को 89.06, सत्यदेव बुशैहरी को 9.60 व देवल राम नेगी को 1.34 प्रतिशत मत मिले थे। जुब्बल कोटखाई में वीरभद्र सिंह जनता दल उम्मीदवार एवं पूर्व मुख्यमंत्री रामलाल से हार गए थे। रामलाल को 51.87 व वीरभद्र सिंह को 47.11 प्रतिशत मत मिले थे।
दोनों सीटों से जीत गए थे शांता
शांता कुमार ने कांगड़ा जिले के सुलह व पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। वह दोनों सीटों से जीत गए थे। सुलह में कांग्रेस के मान चंद राणा को करीब 16 व पालमपुर में कांग्रेस के बृज बिहारी लाल को 19 प्रतिशत से अधिक मतों से हराया था। वीरभद्र सिंह 1983 में दिल्ली से प्रदेश की राजनीति में लौटे थे। 1985 के चुनाव में उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 58 सीटें जीती थी।नौ सीटों पर सिमट गई थी कांग्रेस
1990 के चुनाव में जनता ने कांग्रेस को नकार दिया था। भाजपा ने जनता दल के साथ हाथ मिलाकर कांग्रेस से सत्ता छीन ली थी। भाजपा व जनता दल गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा था। गठबंधन की लहर में कांग्रेस पार्टी मात्र नौ सीटों पर सिमट गई थी। भाजपा ने 51 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 17 सीटें सहयोगी जनता दल को दी थी। भाजपा को 46 व जनता दल को 11 सीटें मिली थी। कांग्रेस व जनसंघ के कई असंतुष्ट नेताओं ने जनता दल के चिह्न पर चुनाव लड़ा था। इसमें पूर्व मुख्य मंत्री रामलाल, चौधरी लज्जा राम, श्यामा शर्मा, कुंवर दुर्गा चंद, मोती राम व रंजीत सिंह जैसे प्रमुख नेता शामिल थे। 1977 के बाद प्रदेश में 13 साल बाद दूसरी बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी।सात राष्ट्रीय, एक क्षेत्रीय व तीन पंजीकृत दलों ने लड़ा था चुनाव
विधानसभा चुनाव में सात राष्ट्रीय, एक क्षेत्रीय व तीन पंजीकृत दलों ने चुनाव लड़ा था। राष्ट्रीय दलों में भाजपा, कांग्रेस, जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जनता पार्टी (जेपी) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) व भारतीय कांग्रेस (समाजवादी) शरत चंद्र सिन्हा शामिल थे। बहुजन समाजवादी पार्टी उस समय क्षेत्रीय दल था। दूरदर्शी पार्टी, अखिल भारतीय हिंदू महासभा व प्रोटिस्ट ब्लाक भारत पंजीकृत दल थे।
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