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Shiv Shakti Temple: एक स्‍तंभ पर घूमता था हिमाचल का यह मंदिर, प्रवेश द्वार पश्चिम की ओर, रोचक है इतिहास व मान्‍यता

Himachal Pradesh Chamba Famous Temple देव भूमि चंबा का एक ऐसा मंदिर जो कभी एक स्तंभ पर घूमता था। एक ऐसा मंदिर जिसका प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की ओर नहीं बल्कि पश्चिम दिशा में है। यहां बात हो रही है छतराड़ी में स्थित मां शिव शक्ति मंदिर की

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2022 07:52 AM (IST)
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छतराड़ी में स्थित मां शिव शक्ति मंदिर
चंबा, मिथुन ठाकुर। देव भूमि चंबा का एक ऐसा मंदिर जो कभी एक स्तंभ पर घूमता था। एक ऐसा मंदिर जिसका प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की ओर नहीं, बल्कि पश्चिम दिशा में है। यहां बात हो रही है शिव भूमि भरमौर के तहत आने वाले छतराड़ी में स्थित मां शिव शक्ति मंदिर की, जिसमें मां के दर्शनों के लिए न केवल प्रदेश, अपितु देशभर से श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं। इस मंदिर के निर्माण से संबंध‍ित कई तरह की कथाएं जुड़ी हुई हैं। इस ऐतिहासिक मंदिर की अपनी एक अलग पहचान है। मां शिव शक्ति व मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए सालभर यहां पर काफी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों को पहुंचते हैं। यहां पहुंचकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ वे इसके गौरवमयी इतिहास से भी रूबरू होते हैं।

780 ई. पूर्व हुआ था मंदिर का निर्माण

छतराड़ी में स्थित मां शिव शक्ति मंदिर का निर्माण गोगा मिस्‍त्री द्वारा करीब 780 ई. पूर्व में किया गया था। कहा जाता है कि गोगा मिस्त्री का एक ही हाथ था, जिसने मां के आशीर्वाद से भव्य मंदिर का निर्माण किया। एक कहानी यह भी प्रचलित है कि जब मिस्त्री ने मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किया तो उसे मोक्ष प्राप्ति की इच्छा हुई। इसी दौरान उसकी छत से गिरने के कारण मौत हो गई। मंदिर में मिस्त्री के प्रतीक के रूप में चिड़िया की आकृति मौजूद है। इस मंदिर के निर्माण में लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर में लकड़ी पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है, जो कि श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करती है।

मंदिर निर्माण के पीछे यह कहानी भी प्रचलित

गुग्गा मिस्त्री के संबंध में एक कहानी यह भी प्रचलित है कि छतराड़ी मंदिर निर्माण से पूर्व गुग्गा मिस्त्री ने एक अद्भुत व सुंदर महल बनाया था। दोबारा इतना अद्भुत महल न बन सके। इसको लेकर उसका एक हाथ काट दिया गया था। इससे दुखी होकर जब वह चंबा लौट रहा था, तो उसे छतराड़ी पहुंचते समय अंधेरा हो गया, जिस पर उसने वहीं पर रात्रि विश्राम करने का निर्णय लिया। इसी रात उसके सपने में मां शिव शक्ति आईं, जिन्होंने उसे मंदिर निर्माण का आदेश दिया। जिस पर मिस्त्री ने मां से कहा कि उसका एक ही हाथ है। इस पर मां ने उसे शक्ति प्रदान की, जिसके बाद उसने एक ऐसा मंदिर बनाया।

छतराड़ी नाम के पीछे यह है कहानी

एक कथा के अनुसार छतराड़ी में लोगों को पानी लाने के लिए काफी दूर जाना पड़ता था। इसी बीच एक बार एक महात्मा मंदिर में शिष्यों के साथ तपस्या के लिए पहुंचे। प्यास लगी तो महात्मा का एक शिष्य पानी लेने के लिए गया। लेकिन, काफी समय बीत जाने के बाद भी जब वह नहीं लौटा तो महात्मा स्वयं उसकी खोज में निकल पड़े। इस दौरान उन्होंने देखा कि भालू ने हमला कर उसके शिष्य के प्राण हर लिए हैं। इस पर महात्मा क्रोध से भड़क उठे तथा उन्होंने त्रिशूल उठाकर छत्तीस बार विभिन्न स्थानों पर दे मारा, जिससे 36 जगहों से पानी क धार फूट पड़ी। जिससे उक्त स्थान का नाम छतराड़ी पड़ गया। मां शिव शक्ति ने राक्षसों का नाश करने वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। आज भी राक्षसों के मुखौटे मंदिर में रखे हैं। राधाष्टमी के दूसरे दिन यहां मेला लगता है। यह मेला मुख्य रूप से मंदिर के प्रांगण में आयोजित होता है और प्रदेश के कलाकार अपनी प्रस्तुति देकर प्राचीन परंपरा को उजागर करते हैं।

मंदिर के प्रवेश द्वार को लेकर असमंजस में था गुग्गा

जनश्रुति के अनुसार गुग्गा मिस्त्री ने एक स्तंभ पर घूमने वालेे मंदिर का निर्माण करवाया। लेकिन, इस दौरान उसे मंदिर के द्वार को लेकर असमंजस था। इस पर माता ने उसे आदेश दिया कि मंदिर को घुमाया जाए, जिस स्थान पर मंदिर का दरवाजा रुक जाएगा, वहीं पर उसे स्थापित कर देना। इसी बीच जब मंदिर को घुमाया गया तो उसका दरवाजा पश्चिम दिशा की ओर बैठा, जिसे माता का आदेश समझकर उसी स्थान पर स्थापित कर दिया गया।

ऐसे पहुंचें मां शिव शक्ति मंदिर छतराड़ी

जिला मुख्यालय चंबा से छतराड़ी मंदिर की दूरी करीब 54 किलोमीटर है। यहां तक पहुंचने के लिए देश के विभिन्न राज्यों के लोगों को पहले पठानकोट पहुंचना पड़ता है। इसके बाद बस या टैक्सी के माध्यम से करीब 119 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय चंबा पहुंचा जा सकता है। यहां से फिर छतराड़ी के लिए बस या टैक्सी के माध्यम से करीब 54 किलोमीटर का और सफर करना पड़ता है।

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