कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज होगा आसान, IIT मंडी के शोधार्थियों का शोध, प्रभावित अंग तक इस तरह पहुंचेगी दवा
Colorectal Cancer Treatment कोलोरेक्टल कैंसर (बड़ी आंत) का उपचार अब आसान हो जाएगा। प्रभावित अंग तक नैनोपार्टिकल्स दवा पहुंचाने का काम करेंगे। इससे शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचेगा। हल्दी का घटक दवा वाहक का काम करेगा।
By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Wed, 31 Aug 2022 09:34 AM (IST)
मंडी, जागरण संवाददाता। Colorectal Cancer Treatment, कोलोरेक्टल कैंसर (बड़ी आंत) का उपचार अब आसान हो जाएगा। प्रभावित अंग तक नैनोपार्टिकल्स दवा पहुंचाने का काम करेंगे। इससे शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचेगा। हल्दी का घटक दवा वाहक का काम करेगा। अक्षय संसाधनों से विकसित बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल्स हाइड्रोफिलिक और हाइड्रोफोबिक दोनों दवाएं रिलीज करने में सक्षम हैं। इनमें विभिन्न कैंसर रोधी तंत्र होते हैं, जो पेट्रोलियम आधारित पालीमर पर निर्भरता कम करेंगे। सभी तरह के कैंसर से मृत्यु के मामलों में आठ प्रतिशत के लिए कोलोरेक्टल कैंसर जिम्मेदार है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधार्थियों ने कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए प्राकृतिक पालीमर आधारित स्मार्ट नैनोपार्टिकल्स विकसित किए हैं। ये नैनोपार्टिकल्स केवल कैंसर ग्रस्त हिस्से में दवा छोड़ेंगे।
यह शोध कार्बाेहाइड्रेट पालीमर नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध प्रमुख स्कूल आफ बेसिक साइंसेज की के सहायक प्रोफेसर डा. गरिमा अग्रवाल ने स्कालर डा. अंकुर सूद और आस्था गुप्ता के साथ यह अध्ययन किया है। शोधार्थियों ने डिजाइन किए सिस्टम की कैंसर कोशिका मारक क्षमता का परीक्षण 'इन विट्रोÓ शोध के माध्यम से चूहों पर किया और इसके सार्थक परिणाम आए हैं।
बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल्स के विकास को लेकर बढ़ी दिलचस्पी
डा. गरिमा अग्रवाल ने बताया कि मटीरियल साइंस और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विषयों के परस्पर संबंध पर कार्यरत लोगों में अक्षय संसाधनों से बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल्स के विकास को लेकर दिलचस्पी बहुत बढ़ गई है। ये नैनोपार्टिकल्स इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि कैंसर ग्रस्त हिस्से में होने वाली उत्तेजनाओं के प्रतिकार में दवा रिलीज करें। डिजाइन किया गया सिस्टम पानी में अलग-अलग घुलनशील दवाओं को सपोर्ट करने में सक्षम होना चाहिए। इसके लिए बायोडिग्रेडेबल नैनोपार्टिकल विकसित करने का सबसे सरल दृष्टिकोण अपनाते हुए चिटोसन का उपयोग किया जो कि डाइसल्फाइड रसायन के कंबिनेशन में प्राकृतिक रूप से प्राप्त पालीमर है।
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