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Manimahesh Yatra: राधाष्टमी न्हौण के साथ अधिकारिक तौर पर मणिमहेश यात्रा संपन्‍न, 65 हजार श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Manimahesh Yatra 2022 राधा अष्टमी स्नान के साथ रविवार को उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा अधिकारिक तौर पर संपन्न हो गई। मणिमहेश यात्रा के दौरान शनिवार दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर राधाष्टमी न्हौण शुरू हुआ था।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2022 01:16 PM (IST)
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राधाष्टमी स्नान के साथ रविवार को उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा अधिकारिक तौर पर संपन्न हो गई।

भरमौर, संवाद सहयोगी। Manimahesh Yatra 2022, राधाष्टमी स्नान के साथ रविवार को उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा अधिकारिक तौर पर संपन्न हो गई। मणिमहेश यात्रा के दौरान शनिवार दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर राधाष्टमी न्हौण शुरू हुआ था। शनिवार को शिव चेलों ने डल तोड़ने की रस्म अदा की थी। इसके बाद राधाष्टमी न्हौण के दौरान पवित्र मणिमहेश झील में करीब 20 हजार श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। राधाष्टमी का न्हौण रविवार सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक जारी रहा। अब प्रशासन की ओर से मिलने वाली सुविधाएं यात्रियों को नहीं मिलेंगी। यदि कोई श्रद्धालु मणिमहेश की ओर रवाना होता है तो उसे अपने जोखिम पर यात्रा करनी पड़ेगी।

इससे पूर्व शुक्रवार को सप्तमी न्हौण व शनिवार को राधाष्टमी न्हौण को लेकर हजारों श्रद्धालुओं ने मणिमहेश झील में स्नान किया। राधाष्टमी स्नान को ठंडे न्हौण के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि, आम दिनों की तुलना में राधाष्टमी न्हौण में ठंड बढ़ जाती है। भगवान शिव के वरदान के अनुसार मान्यता है कि माणिमहेश यात्रा की सफलता के लिए यात्रा से पूर्व शिव चेलों से अनुमति लेना आवश्यक है। अन्यथा किसी अनहोनी की संभावना बनी रहती है।

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सचुईं के शिव चेले अपने गांव स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना के बाद चौरासी मंदिर की परिक्रमा व पूजा अर्चना कर श्रद्धालुओं को परंपरा अनुसार यात्रा की अनुमति देते हैं। यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है, जिसका विधिवत पालन किया जाता है। बहरहाल, राधाष्टमी न्हौण के साथ ही मणिमहेश यात्रा आधिकारिक तौर पर संपन्न हो गई है।

एसडीएम भरमौर असीम सूद ने कहा मणिमहेश यात्रा राधाष्टमी स्नान के साथ ही रविवार को संपन्न हो गई है अब प्रशासन की ओर से यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाएं हटा ली जाएंगी। यात्रियों से आह्वान है कि वह जोखिम उठाकर मणिमहेश की ओर रवाना ना हों।

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