Himachal Drone Policy: ड्रोन से सरकारी सेवाओं की पहुंच होगी आसान, सीमाओं की निगरानी सहित ये काम हो सकेंगे
Himachal Drone Policy हिमाचल प्रदेश में ड्रोन सेवा सेक्टर के माध्यम से सरकारी सेवाओं की पहुंच यानी डिलीवरी और आसान हो जाएगी। पूरे देश में 2023-24 में इस सेक्टर से 30 हजार करोड़ का टर्नओवर होने का अनुमान है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Drone Policy, हिमाचल प्रदेश में ड्रोन सेवा सेक्टर के माध्यम से सरकारी सेवाओं की पहुंच यानी डिलीवरी और आसान हो जाएगी। पूरे देश में 2023-24 में इस सेक्टर से 30 हजार करोड़ का टर्नओवर होने का अनुमान है। ऐसा आकलन है कि वर्ष 2026 तक इस सेक्टर में 15 फीसद या इससे अधिक ग्रोथ होगी। प्रदेश में ड्रोन नीति को लागू कर दिया है। इस संबंध में सोमवार को प्रधान सचिव आइटी रजनीश की ओर से अधिसूचना जारी की गई है।
हाल ही में प्रदेश मंत्रिमंडल ने नीति को मंजूरी दी थी। अब हिमाचल की चीन से सटी सीमाओं की और बेहतर तरीके से निगरानी हो सकेगी। यही नहीं दूसरे राज्यों से लगती सीमाओं की गतिविधियों की भी ड्रोन से निगरानी हो सकेगी। सुरक्षा के अलावा कानून के क्रियान्वयन में भी सहयोगी बनेगा। भीड़ भड़ाके वाले क्षेत्रों की सर्विलांस संभव होगी। ट्रैफिक की रीयल टाइम निगरानी हो पाएगी।
आपदा में भी सहयोग
ड्रोन नीति आपदा के समय रीयल टाइम निगरानी तो करेगी ही साथ ही आपात सेवाएं भी प्रदान करेंगी। वनों में अवैध गतिविधियां, अवैध खनन गतिविधियों पर भी पैनी रखी जाएगी। नदियों के बेसिन पर भी नजर रहेगी।
ड्रोन उड़ाने के लिए लाइसेंस आवश्यक
व्यावसायिक तौर पर ड्रोन का प्रयोग करने के लिए इसका लाइसेंस लेना आवश्यक है। हालांकि अपने निजी प्रयोग के लिए नैनो यानी 250 ग्राम वजन से लेकर दो किलोग्राम भार से कम तक के ड्रोन के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती। इससे अधिक भार वाले दो से 150 किलोग्राम से ज्यादा भार वाले ड्रोन को उड़ाने के लिए डीजीसीए यानी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। पांच दिन का फ्लाइंग कोर्स करने के बाद उस प्रमाणपत्र के आधार पर डीजीसीए के समक्ष परीक्षा देकर लाइसेंस लिया जा सकेगा। ये युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए द्वार खोलेगा। इसके साथ ही विभिन्न विभागों में ड्रोन का इस्तेमाल होना है और इसका प्रशिक्षण हासिल करने वालों को इसका लाभ मिलेगा।