Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Kangra Famous Temple: पांडवों ने बनवाया था माता बज्रेश्‍वरी का मंदिर, इस कारण उत्‍तर प्रदेश के श्रद्धालु पहुंचते हैं सबसे ज्‍यादा

Kangra Famous Temple कांगड़ा जिला में प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक नगरकोट धाम मां बज्रेश्वरी का मंदिर है जहां पर मक्खन चढ़ता है। मकर संक्रांति को यहां पर विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है। मकर संक्रांति को मक्खन का घृतमंडल बनाया जाता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Mon, 20 Jun 2022 07:42 AM (IST)
Hero Image
कांगड़ा जिला में प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक नगरकोट धाम, मां बज्रेश्वरी का मंदिर है

धर्मशाला, नीरज व्यास। Kangra Famous Temple, कांगड़ा जिला में प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक नगरकोट धाम, मां बज्रेश्वरी का मंदिर है जहां पर मक्खन चढ़ता है। मकर संक्रांति को यहां पर विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है। मकर संक्रांति को मक्खन का घृतमंडल बनाया जाता है। यहां बनने वाले मक्खन के घृतमंडल को लेकर किवदंती है कि युद्ध में महिषासुर को मारने के बाद, देवी को कुछ चोटें आई थीं। उन चोटों को दूर करने के लिए देवी ने नगरकोट में अपने शरीर पर मक्खन लगाया था। इस प्रकार इस दिन को चिह्नित करने के लिए, देवी की पिंडी को मक्खन से ढका जाता है और मंदिर में एक सप्ताह तक उत्सव मनाया जाता है। उसके बाद इस मक्खन को उतारा जाता है और भक्तों में मक्खन को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। यह मक्खन खाने के लिए नहीं बल्कि लगाने के लिए होता है और ऐसी मान्यता है कि यह प्रसाद के रूप में मिलने वाला मक्खन चर्म रोग दूर करता है। मां के दरबार पहुंचते ही श्रद्धालु की थकान दूर होती है। यहां पर मां पिंडी स्वरूप में विराजमान है। ऐसा माना गया है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा करवाया गया है। मंदिर में विभिन्न राज्यों के श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं।

उत्‍तर प्रदेश के लोगों की कुल देवी

बज्रेश्‍वरी माता उत्‍तर प्रदेश के लोगों की कुल देवी है। यहां सबसे ज्‍यादा उत्‍तर प्रदेश के श्रद्धालु ही पहुंचते हैं। उत्‍तर प्रदेश के लोग अपने बच्‍चों के मुंडन संस्‍कार भी इसी मंदिर में करवाते हैं। इसके अलावा विवाह के बंधन में बंधने के बाद नवविवाहित जोड़े भी मां का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।

ऐसे पहुंचे मां बज्रेश्वरी के मंदिर तक

कांगड़ा में यह मंदिर स्थापित है और यहां तक पहुंचना बिल्कुल आसान है। सड़क मार्ग से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके साथ कांगड़ा में ही रेलवे स्टेशन भी है। पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे लाइन से कांगड़ा रेलवे स्टेशन में उतरकर मंदिर आया जा सकता है। हवाई सेवा भी उपलब्ध है। गगल हवाई अड्डे में उतर कर भी श्रद्धालु टैक्सी लेकर यहां तक पहुंच सकते हैं। गगल से कांगड़ा मंदिर की दूरी करीब दस किलोमीटर है।

यह भी है एक पौराणिक कथा

मां बज्रेश्वरी के मंदिर से जुड़ी एक कथा यह भी है कि देवी सती के पिता राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया पर भगवान शिव को नहीं बुलाया। ऐसे में देवी ने इसे अपना व भगवान शिव का अपमान समझा और हवन कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगा रहे थे। उसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था और उनके अंग धरती पर जगह-जगह गिरे। जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां एक शक्तिपीठ बन गया। उसमें से सती की बायां वक्षस्थल इस स्थान पर गिरा था जिसे मां ब्रजेश्वरी व नगरकोट धाम के रूप में मंदिर स्थापित हुआ और यहां पूजन होता है।

1905 में ध्वस्त हो गया था पांडवों द्वारा बनाया मंदिर

महाभारतकाल में पांडवों को दुर्गा देवी ने स्वप्न दिया था कि नगरकोट गांव में खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो उन्हें यहां मंदिर बनाना होगा। अन्यथा नष्ट हो जाओगे। उसी रात पांडवों ने नगर कोट गांव में मां बज्रेश्वरी का शानदार मंदिर बनावाया। यह मंदिर 1905 में आए विनाशकारी भूकंप ने नष्ट कर दिया बाद में नए मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर के गुंबंद सभी धर्मों को अपने में समेटे हुए हैं।

मंदिर के भीतर हैं कई अन्य मंदिर

मां बज्रेश्वरी के मंदिर के भीतर कई अन्य मंदिर हैं। मंदिर की पीठ की तरफ मां दुर्गा की 18 भुजाओं वाली मूर्ति स्थापित है। सूर्य भगवान का मंदिर स्थापित है। यज्ञशाला है। उसके साथ ही शीतला माता मंदिर व क्षेत्रपाल देवता का मंदिर है। राम परिवार व हनुमान मंदिर के साथ साथ मां की पिंडी के बिल्कुल सामने चरण पादुका व ध्यानु भक्त का सिर स्थापित है। इसके अलावा लाल रंग के भैरव की मूर्ति स्थापित है। जब कोई अनिष्ठ होना हो तो भैरव की मूर्ति से आंसू निकलते हैं, ऐसी मान्यता है। अमूमन लाल रंग के भैरों की मूर्ति में भैरव हंसते हुए नजर आते हैं।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर