Himachal Statehood Day: प्रदेश का सवा लाख युवा सेना में सेवारत, चार से 83 फीसद हुई साक्षरता दर
Himachal Statehood Day वीरभूमि हिमाचल ने सैनिक वीरता में बुलंदी हासिल की है। देश के पहले परमवीर चक्र विजेता पालमपुर से मेजर सोमनाथ शर्मा रहे हैं। जिन्होंने सर्वोच्च सैन्य सम्मान पहला परमवीर चक्र भी हिमाचल के नाम हासिल किया।
By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Mon, 25 Jan 2021 09:38 AM (IST)
शिमला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश ने 50 साल के सफर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वीरभूमि हिमाचल ने सैनिक वीरता में बुलंदी हासिल की है। देश के पहले परमवीर चक्र विजेता पालमपुर से मेजर सोमनाथ शर्मा रहे हैं। जिन्होंने सर्वोच्च सैन्य सम्मान पहला परमवीर चक्र भी हिमाचल के नाम हासिल किया। वर्तमान में 1.15 लाख युवा व अन्य सेना में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। 1.20 लाख भूतपूर्व सैनिक हैं और 30 हजार के करीब सैनिक विधवाएं हैं।
हिमाचल के मेडल
- कारगिल शहीद, 52
- कुल वीरता पुरस्कार, 998
- परमवीर चक्र, 4
- अशोक चक्र, 2
- महावीर चक्र, 10
- कीर्ति चक्र, 21
- वीर चक्र, 55
- शौर्य चक्र, 92
- सेना, वायुसेना और नौसेना मेडल, 453
- बहादुरी पुरस्कार,164
- अन्य मेडल, 197
हिमाचल प्रदेश में 1951 में साक्षरता दर मात्र 4.8 फीसद थी। इसमें भी महिला साक्षरता दर दो फीसद, जबकि पुरुषों में 7.5 फीसद थी। 1971 के बाद साक्षरता में पचास फीसद की वृद्धि हुई है। किसी भी देश और समाज का विकास वहां के लोगों की साक्षरता पर ही निर्भर करता है।वर्ष,पुरुष,महिलाएं,कुल1951,7.5,2.0,4.81961,32.3,9.5,21.31971,43.19,20.23,31.961981,53.19,31.46,42.48
1991,75.36,52.13,63.862001,85.35,67.42,76.482011,90.83,76.60,83.78यह भी पढ़ें: Himachal Statehood Day: राज्यपाल ने ध्वजारोहण कर किया परेड का निरीक्षण, अटल बिहारी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि
1971 में थे 3768 स्कूल वर्ष 1971 में प्रदेश में प्राइमरी स्कूल महज 3768 थे। सरकार ने प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में स्कूल खोले। आज प्रदेश में इन स्कूलों की संख्या बढ़कर 10,716 हो गई है। माध्यमिक स्कूलों की संख्या 742 से बढ़कर 2020 तक 2038 हो गई है। जब हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला तो उस समय 435 उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल थे। आज 2797 स्कूल हैं। वर्ष 1971 में हिमाचल में 4954 शिक्षण संस्थान थे। आज प्रदेश में 15551 शिक्षण संस्थान हैं।
15 कॉलेज वर्ष 1971 में हिमाचल में डिग्री कॉलेज (स्नातक) महज 15 थे। सरकार ने विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा घर के पास देने के मकसद से जिलों में कॉलेजों की संख्या में बढ़ोतरी की। आज सरकारी क्षेत्र में ही 137 कॉलेज चल रहे हैं। जिला स्तर में कॉलेजों का दायरा बढ़ाकर इन्हें स्नातकोत्तर कॉलेज बनाया गया है। कॉलेजों में संकाय और विषयों की संख्या बढ़ाने के साथ वोकेशनल, टूरिज्म जैसे नए विषयों को भी शुरू किया।
महज एक विश्वविद्यालय हिमाचल में वर्ष 1971 में विश्वविद्यालय (सरकारी व निजी) की संख्या महज एक थी। मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के अलावा कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, औद्यानिकी एवं बागवानी विश्वविद्यालय नौणी, तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर, केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के अलावा इग्नू का क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र है। निजी क्षेत्र में 17 विश्वविद्यालय प्रदेश में हैं।
इंजीनियरिंग कॉलेज हिमाचल में इंजीनियरिंग कॉलेज 1971 में एक भी नहीं था। मौजूदा समय में प्रदेश में 32 के करीब सरकारी और निजी क्षेत्र में इंजीनियरिंग और बहुतकनीकी संस्थान चल रहे हैं। इनमें कई राष्ट्रीय स्तर के संस्थान शामिल हैं। एनआइटी हमीरपुर, अटल बिहारी वाजपेयी इंजीनियरिंग एंड तकनीकी इंस्टीट्यूट प्रगतिनगर, यूआइआइटी, आइआइटी मंडी सहित कई अन्य संस्थान हैं। प्रदेश में निजी क्षेत्र में भी 15 के करीब इंजीनियरिंग कॉलेज चल रहे हैं।
तकनीकी संस्थान तकनीकी शिक्षा में रोजगार और स्वरोजगार की संभावना को देखते हुए प्रदेश में 50 साल में तकनीकी संस्थानों की संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 1971 में हिमाचल में तकनीकी संस्थान (सरकारी व निजी) 30 थे। मौजूदा समय में इनकी संख्या बढ़कर 360 हो गई है। तकनीकी विश्वविद्यालय नहीं था आज एक तकनीकी विश्वविद्यालय भी है।स्वास्थ्य क्षेत्र
हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व में आने और पर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए, जिसने हिमाचल को देश में बहुत ऊंचे स्थान पर पहुंचाया है। स्वास्थ्य क्षेत्र में हिमाचल देश में पांचवें स्थान पर रहा है। चंद अस्पतालों से शुरू हुई स्वास्थ्य सेवा आज हजारों अस्पतालों तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य निदेशालय की शुरुआत 1972 में कैनेडी हाउस से हुई। प्रदेश में आठ मेडिकल कालेज जिसमें से एक निजी क्षेत्र में है। इसके अलावा अब मेडिकल विश्वविद्यालय भी है।
वर्ष,सामान्य अस्पताल,पीएचसी,सीएचसी,स्वास्थ्य केंद्र1974,37,76,00,1731981,37,60,17,1861991,39,190,35,1972000,50,304,65,1552020,98,588,92,2104अस्पतालों में बिस्तरों की व्यवस्थावर्ष,बिस्तर1971,5702020,14527राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रममद,1971,2020जन्म दर,118,19
मृत्यु दर,15.6,6.9शिशु मृत्यु दर,37.3,15.7टीकाकरण कार्यक्रम,48743,100428कृषि क्षेत्रहिमाचल में 9.60 लाख किसान परिवार हैं और कृषि के क्षेत्र में लगातार इजाफा हो रहा है। प्रदेश की आर्थिकी में करीब छह फीसद का योगदान है।कृषि उत्पादन (हजार मीट्रिक टन में)खाद्य पदार्थ,1971,2020अनाज,934.4,1692.44सब्जियां,200,1860.669दालें,28.9,54.81खाद्य तेल बीज,1.44,6.44यूं बढ़े कदममद,1971,2020बीज गुणन फार्म,18,20आलू विकास केंद्र,11,12सब्जी विकास केंद्र,03,03अदरक विकास केंद्र,01,01बीज परिक्षण प्रयोगशालाएं,00,03मृदा परिक्षण प्रयोगशालाएं,00,11मोबाइल मृदा परिक्षण प्रयोगशालाएं,00,09खाद गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएं,00,03जैव उर्वरक उत्पादन प्रयोगशाला,00,01राज्य कीटनाशक परिक्षण प्रयोगशाला,00,01जैव नियंत्रण प्रयोगशाला,00,02मोबाइल एग्री क्लीनिकल प्रयोगशाला,00,06किसान प्रशिक्षण केंद्र,02,03कृषि प्रसार केंद्र (खंड स्तर पर),38,72कृषि प्रसार उप केंद्र,417,16सिंचित क्षेत्र,90 हजार हेक्टेयर,114 हजार हेक्टेयरसूक्षम सिंचाई (वर्ग मीटर),00,43000पॉली हाउस निर्माण,00,18704सुभाष पालेकर खेती के तहत प्रशिक्षित किसान,00,78792बंदरों व पशुओं से खेत संरक्षण हेक्टेयर में,00 3579.04फसल बीमा के तहत किसान,00,901868सौर ऊर्जा पंप,00,1186कृषि कार्य के लिए ट्रैक्टर,402,25126ग्रामीण विकासप्रदेश के पूर्ण राज्यत्व से अब तक त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली की स्थापना वर्ष 1995 में अपनाई गई। हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994 के लागू होने के बाद पंचायती राज संस्थाओं के पहले आम चुनाव विकास खंड लाहुल तथा पांगी को छोड़ दिसम्बर, 1995 में सम्पन्न हुए। पंचायतों ने 23 जनवरी, 1996 को कार्य प्रारम्भ किया। ग्रामीण विकास की विभिन्न आजीविका कार्यक्रमों में 2,30,982 लोगों को आजीविका प्रदान की गई और इस उद्देश्य के लिए 766.80 करोड रू0 (ऋण तथा अनुदान ) की धनराशि व्यय की गई । प्रदेश में 73वें संविधान संशोधन के उपरान्त नए अधिनियम 1994 के लागू होने के बाद 12 जिला परिषदों का गठन किया गया, 2015 में राज्य में 3226 ग्राम सभाएं, 79 पंचायत समितियां और 12 जिला परिषद गठित थी। 2020 में ग्राम पंचायतों के विभाजन व पुनर्गठन का कार्य किया गया जिसके बाद राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या 3226 से बढ़कर 3615 हो गई तथा पंचायत समिति 81 तथा 12 जिला परिषद गठित है।पंचायतों का विकासवर्ष ग्राम पंचायतों की संख्या1952,2802020,3615राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के प्रमुख प्रदर्शन व उपलब्धियांमद,2017-18,2018-19,2019-20,2020-21स्वयं सहायता समूह,3893 4727 3810 15191ग्राम संगठन,63 122 104 396स्वयं सहायता समूह,386 4392 3627 8469 सिंचाई प्रदेश को परंपरागत सिंचाई ढांचे के साथ-साथ सरकारों ने दीर्घकालीन सिंचाई योजनाओं को स्वरूप दिया। इसके तहत स्वां योजना, फिन्ना सिंह नजर और सैकड़ों छोटी-बड़ी सिंचाई योजनाओं को क्रियान्वित किया गया। इस समय पहाड़ी सीढ़ीदार खेतों के 2.81 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा है। सरकार ने अगले पांच साल के दौरान हर खेत को सिंचाई सुविधा से जोडऩे का लक्ष्य रखा है।आंगनबाड़ी केंद्रमहिलाओं को घरद्वार देखरेख करने के लिए आंगनबाड़ी का पूरा ढांचा बनकर उभरा है। 55 आंगनबाड़ी केंद्र से शुरू हुआ यह सफर आज 18925 तक पहुंच गयाा है। इन केंद्रों की मदद से महिलाओं की सेहत का ध्यान रखने के लिए नियमित कार्यक्रम चलते हैं। जच्चा-बच्चा के विकास के लिए पौष्टिक आहार वितरण व्यवस्था है।खुले में शौच मुक्त सुविधाओं के अभाव के कारण प्रदेश के लोगों को शौच मुक्त होने के लिए नालों, खेतों व वीरान जगह पर जाना पड़ता था। ये सिलसिला कई दशकों तक चलता रहा। पिछले दो दशकों में सोच बदली और 2015 में हिमाचल प्रदेश खुले में शौचमुक्त होने वाला सिक्किम के बाद दूसरा राज्य बना था। इस समय प्रदेश के 28 शहरों में सीवरेज की सुविधा है।रसोई गैसकभी आय के साधन नहीं होने से जंगल काटना मजबूरी थी। रसोई गैस की सुविधा होने से लोगों ने जंगल काटना बंद किया। केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना से तीन लाख परिवारों को मुफ्त रसोई गैस मिली। ऐसे में जंगलों पर निर्भरता खत्म हुई और ग्रामीण क्षेत्रों में जंगल बचाने की दिशा में कदम बढ़ाया।खाद्य आपूर्ति व उपभोक्ता मामले प्रदेश में 1971 में 7,59,337 राशनकार्ड धारक परिवार थे जो अब 19,08,688 हो गए हैं। पहले आटा, चावल, मिट्टी को तेल व कोयला उपदान पर मिलता था। अब आटा, चीनी, तीन दालें और दो लीटर तेल व नमक दिया जाता है। लोगों में बढ़ते अनिमिया को देखते हुए फोर्टीफाइड आटा, फोर्टीफाइड तेल व डब्बल फोर्टीफाइड नमक दिया जा रहा है।सामाजिक सुरक्षा पेंशन 25 रुपये प्रतिमाह शुरू हुई सामाजिक सुरक्षा पेंशन अब 1500 रुपये प्रतिमाह हो गई है। लाभार्थियों की संख्या 5.65 लाख है। पहले गरीबों को ही पेंशन की व्यवस्था थी अब 70 वर्ष से अधिक आयु के लोग भी इसके दायरे में हैं। साथ ही कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है उन्हें दो हजार रुपये प्रति माह सहायता राशि दी जा रही है। स्वच्छ पेयजल1948 में हिमाचल के गठन के समय केवल 300 गांव में ही नल से पीने का पानी सुलभ था। 1966 में यह सुविधा 1036 गांवों तक पहुंची। आज 55280 बस्तियों में से 31399 बस्तियों को पेयजल की सुविधा पहुंचाई गई है। इनमें से बीते तीन सालों में ही 1083 बस्तियों को पेयजल सुविधा दी गई। डेढ़ लाख से अधिक घरों तक नल से जल उपलब्ध करवाया गया है। अगले वर्ष तक प्रदेश के सभी ग्रामीण घरों को पेयजल का कनेक्शन उपलब्ध होगा। ऐसा जल जीवन मिशन से संभव हो सकेगा।अर्थव्यवस्थाराज्य की अर्थव्यवस्था 1,65,472 करोड रुपये की है। 1971 में 223 करोड़ सकल घरेलू उत्पाद से शुरू हुई अर्थव्यवस्था मुख्यता सेवा क्षेत्र पर निर्भर करती है। अब प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्राथमिक, विनिर्माण उद्योग व सेवा क्षेत्र पर निर्भर करती है। प्राथमिक क्षेत्र में कृषि संबंधित क्रियाकलाप शामिल है। इस क्षेत्र का योगदान जनसंख्या को देखते हुए सर्वाधिक है। बागवानी, पशुपालन इसी क्षेत्र का हिस्सा है, बागवानी क्षेत्र में प्रदेश ने बहुत प्रगति की है। प्रदेश में 10 हजार मेगावाट से अधिक विद्युत का उत्पादन हो रहा है। यदि पर्यटन क्षेत्र की बात की जाए तो राज्य की अर्थव्यवस्था में पर्यटन क्षेत्र की 9 फीसद की हिस्सेदारी है। राज्य में पर्यटन विकास सर्वाधिक तेजी से बढऩे वाला क्षेत्र है। जहां पर 10 से 15 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं।पंचवर्षीय योजनाराज्य के गठन के बाद पहली पंचवर्षीय योजना में 113.41 करोड़ रुपये की थी। आमतौर पर सरकार द्वारा योजना आकार को 10 क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। जिसमें विकास कार्यों के लिए बजट का आबंटन सुनिश्चित किया जाता है। पंचवर्षीय योजनाओं का प्रतिफल है कि वर्तमान में 7100 करोड़ रुपये की पंचवर्षीय योजना आकार है।वन संपदाहिमाचल में डेढ़ लाख करोड़ की वन संपदा है और तेजी से बढ़ती जा रही है। 1971 में 21378 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र था, जो बढ़कर अब 37033 वर्ग किलोमीटर हो गया है। ग्रामीणों की पौधे लगाने की आदत को शहरों में बसे लोगों ने भी अपनाया है। जिसका नतीजा है कि शहरी क्षेत्रों में भी वनीकरण तेजी से बढ़ा है। लोग बच्चों के साथ पौधारोपण कार्यक्रमों में शामिल हैं, ताकि बच्चे वनों का महत्व समझ सके।यह भी पढ़ें: Himachal Statehood Day: 651 रुपये से दो लाख प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचा हिमाचल, पर्यटन राज्य की ओर अग्रसरयह भी पढ़ें: Himachal Statehood Day: प्रदेश का सवा लाख युवा सेना में सेवारत, चार से 83 फीसद हुई साक्षरता दर
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