नए साल में हिमाचल प्रदेश के सभी क्षेत्रों के विकास की उम्मीद
इस वर्ष धूप उन गहरी घाटियों तक भी पहुंचे जहां बीते वर्ष नहीं पहुंच पाई। चुनावी साल होगा 2022 इसलिए मैं सबसे यह आशा भी करूंगा कि सभी चुनें.. और सही चुनें। वर्ष 2022 के लिए सभी को शुभकामनाएं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 30 Dec 2021 11:14 AM (IST)
कांगड़ा, नवनीत शर्मा। लगभग रीत चुके, बीतने को आए दिसंबर की धूप ऐसी ही होती है। अपने हल्के ताप से स्मृतियों को पिघलाने वाली। पहाड़ की चोटी पर हाथ फेरती हुई, कल फिर से आने का आश्वासन देती हुई। मैं हिमाचल प्रदेश! वर्ष के अंत में हिसाब करने बैठा हूं कि मैंने क्या-क्या देखा। कुछ उपलब्धियां, कुछ नाकामियां और कई उम्मीदें, आप यह समङों कि जैसे किसी संघर्षरत गृहस्थ का वर्ष बीतता है, वैसा ही बीता मेरा यह वर्ष। असफलताएं ऐसी नहीं हैं कि स्थायी ही हों पर उपलब्धियां ऐसी अवश्य रहीं जिनका संदेश और भाव स्थायी था। और उम्मीदों का तो अंबार है। पहाड़ का सब कुछ पहाड़ की तरह होता है। चेतना, उत्साह, निराशा, दुख और सुख, सब पहाड़ जैसे। कई लोग बिछड़े, जिनका सान्निध्य मुझे मिलता रहता यदि महामारी न होती।
महामारी ने यदि मेरी गति को रोका था तो मैं उससे बाहर आकर और तेज चलने का प्रयास कर रहा था। महामारी के विरुद्ध डटे अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के कारण मुङो यह गौरव प्राप्त हुआ कि अपने सभी पात्र लोगों को पहली डोज लगाने वाला मैं पहला राज्य बना। प्रधानमंत्री ने पीठ क्या थपथपाई, मैंने दूसरी डोज के लिए शिखर पर पहुंचना तय किया। और मेरी उत्साही संतति ने वह भी कर दिखाया। पूर्ण राज्य के रूप में मेरा स्वर्ण जयंती वर्ष था यह। मेरे बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए रटते थे कि विजय हजारे ट्राफी क्रिकेट से जुड़ी है। मेरे बच्चे इस बार उसे भी जीत लाए। मेरा निषाद कुमार.. आठ वर्ष का था कि चारा काटने वाली मशीन में उसका हाथ कट गया था। वह इसी वर्ष टोक्यो पैरालंपिक से रजत पदक लाया। ओलिंपिक में हाकी के कांस्य पदक में मेरे चंबा के लाल वरुण का कमाल भी था। स्वर्ण जयंती वर्ष में इससे बेहतर उपहार क्या होता।
मैं अटल सुरंग रोहतांग के प्रकल्प साधकों छेरिंग दोरजे, तशी दावा, महाशय चमन लाल की स्मृति को बताता हूं कि देखिए.. प्रशासन के आंकड़े क्या कह रहे हैं। कह रहे हैं कि इस सुरंग से प्रतिदिन छह हजार से भी अधिक वाहन आरपार होते हैं। देखिए कि कैसे सुरंग के दोनों छोरों पर प्रकृति की हिमलेखनी अनवरत चलती हुई सबको विस्मित कर रही है। देखिए कि अब रोहतांग से डरने की आवश्यकता नहीं है।
मेरे कर्मचारी प्रसन्न हुए कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी जाएंगी। भारतीय जनता पार्टी सरकार को लगता है कि कर्मचारी उनके हैं। ऐसा कांग्रेस सरकार को भी लगता था। सच यह है कि कर्मचारी केवल सरकार के हैं, अफसरों पर बेशक इनके या उनके होने की मुहर लगी हो। भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2017 के बाद से स्वयं को अजेय मान कर चली थी। लोकसभा चुनाव में मिली जीत, धर्मशाला और पच्छाद उपचुनाव में मिली विजय से ऐसा प्रतीत भी हो रहा था, किंतु इस वर्ष के चार उपचुनाव हारने के बाद भाजपा की तंद्रा टूटी जब सामने उत्साह से भरी कांग्रेस खड़ी थी।
कांग्रेस को बेशक बिखरा हुआ कुनबा कहा जाता था, लेकिन यही बिखरा कुनबा एक कुटुंब के रूप में दिखाई दिया। यह वही कांग्रेस है जिसके पास अब वीरभद्र सिंह नहीं हैं। सोचना दोनों को है कि यह भारतीय जनता पार्टी की हार थी या कांग्रेस की जीत। सरकार और भाजपा का मनोबल टूटा हुआ था। प्रधानमंत्री के मंडी दौरे से मेरी छोटी काशी में हलचल हुई और मुख्यमंत्री एवं उनकी टीम को नई शक्ति मिली। हालांकि नए साल में कांग्रेस और भाजपा को अपना भाग्य स्वयं लिखना है, क्योंकि चंडीगढ़ के नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन रहस्य नहीं। और चंडीगढ़ हिमाचल प्रदेश से इतना दूर भी नहीं। इस साल में वर्षो से लंबित मेरी चार परियोजनाओं को भी प्रधानमंत्री ने रास्ता दिखाया है। रेणुका बांध से मैं दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड जैसे पड़ोसियों को बिजली दूंगा, देश के दिल दिल्ली को पानी भी दूंगा।
इसी वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन राव भागवत भी मेरे अतिथि रहे। हिंदुत्व पर उनकी परिभाषा संभवत: कई ज्ञानियों के चक्षु खोल गई होगी। डा. भागवत ने बताया कि मनुष्य का मनुष्य के साथ मनुष्यवत व्यवहार ही हिंदुत्व है। उनका तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के साथ मिलना भी मनुष्यत्व और मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण है। जातिवाद पर भी उनका पक्ष अत्यंत स्पष्ट था कि जो जातिवाद में विश्वास करे वह हिंदू हो ही नहीं सकता। यह सब तब है जब प्रदेश में सामान्य वर्ग आयोग के गठन का शोर रहा, दलित वर्ग के प्रदर्शन हुए।
वर्ष 2022 के लिए मेरी आस एम्स यानी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर पर टिकी है। मुङो भरोसा है कि ओमिक्रोन के साथ मेरे बच्चे भिड़ लेंगे। एम्स दिल्ली के निदेशक के रूप में पूरे देश को निराशा के गर्त से बाहर निकालने वाले डा. रणदीप गुलेरिया का प्रदेश हूं मैं। मुझसे नीति आयोग वाले डा. वीके पाल का भी नाता है। मुङो उम्मीद है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय भटकन और उधार के भवनों के शाप से मुक्त होगा। साथ ही मैं यह भी आशा करता हूं कि स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या बढ़ने के बजाय उनमें चिकित्सक आएंगे, एमआरआइ मशीनें आएंगी, सैकड़ों वेंटीलेटर को संचालित करने वाले दक्ष एवं निपुण हाथ उपलब्ध होंगे।[राज्य संपादक, हिमाचल प्रदेश]
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