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HP Election 2022: हिमाचल में रिवाज बदलने के लिए भाजपा को बहाना होगा पसीना, 37 साल का इतिहास देता है गवाही

HP Election 2022 प्रदेश में 1985 के बाद हर पांच साल बाद नई सरकार चुनने की परंपरा रही है। छह बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने सरकार रिपीट करने के लिए हर चुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगाया था।

By Jagran NewsEdited By: Virender KumarUpdated: Fri, 14 Oct 2022 09:25 PM (IST)
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HP Election 2022: हिमाचल में रिवाज बदलने के लिए भाजपा को बहाना होगा पसीना। जागरण आर्काइव

मंडी, हंसराज सैनी। HP Election 2022, भाजपा को हिमाचल में रिवाज बदलने यानी सरकार रिपीट करने के लिए खूब पसीना बहाना होगा। प्रदेश में 1985 के बाद हर पांच साल बाद नई सरकार चुनने की परंपरा रही है। छह बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने सरकार रिपीट करने के लिए हर चुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगाया था। प्रदेश की जनता के आगे उनकी एक नहीं चली थी। भाजपा ने पांच-पांच साल की परंपरा को समाप्त करने के लिए इस बार रिवाज बदलने का नारा दिया है।

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड ने बदली है परंपरा

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की जनता ने पांच-पांच साल की परंपरा को बदला है। दोनों राज्यों में रिवाज बदलने से हिमाचल भाजपा को भी उम्मीद की किरण नजर आ रही है। विधानसभा चुनाव में महंगाई, बेरोजगारी व पुरानी पेंशन योजना (ओपीसी) की बहाली मुख्य मुद्दे होंगे। भले ही यहां कांग्रेस कई गुटों में बंटी है लेकिन वह 10 माह पहले हुए तीन विधानसभा व मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव की तरह टक्कर दे सकती है। उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को चारों सीटों पर शिकस्त दी थी।

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छाएगा ओपीएस का मुद्दा

प्रदेश में एक लाख के करीब न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) कर्मचारी हैं, जो ओपीएस की बहाली के लिए संघर्षरत हैं। कांग्रेस ने सत्ता में आने के 10 दिन के भीतर ओपीएस बहाल करने की घोषणा की है। उपचुनाव में कांग्रेस ने महंगाई व बेरोजगारी को जनता के बीच भुनाया था। इस बार भी कांग्रेस उसी तैयारी में है। भाजपा की तरफ से शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल दो-दो बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। शांता कुमार दोनों बार कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए थे। 2002 व 2012 के चुनाव में प्रेम कुमार धूमल ने मिशन रिपीट का नारा दिया था, जिसे जनता ने नकार दिया था। 2017 के चुनाव में वनरक्षक होशियार सिंह की हत्या व कोटखाई की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या के मुद्दे हावी रहे थे। भाजपा को 43 सीटें मिली थीं और कांग्रेस 22 सीटों पर सिमट गई थी। एक सीट पर वामदल व दो पर निर्दलीय विजयी रहे थे।

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