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श्रीनयना देवी में बनेगा देश का पहला म्‍यूजियम आफ महाशक्तिपीठ, प्राचीन मूर्तियों की मिलेगी जानकारी

Museum of Maha Shakti Peeth विश्व विख्यात शक्तिपीठ नयनादेवी में प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का एक बेहतरीन म्यूजियम बनेगा जिसे म्यूजियम आफ महाशक्तिपीठ के नाम से जाना जाएगा। इसके लिए कवायद भी शुरू कर दी गई है। \

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Thu, 22 Jul 2021 02:36 PM (IST)
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विश्व विख्यात शक्तिपीठ नयनादेवी में प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का एक बेहतरीन म्यूजियम बनेगा
बिलासपुर, संवाद सहयोगी। Museum of Maha Shakti Peeth, विश्व विख्यात शक्तिपीठ नयनादेवी में प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का एक बेहतरीन म्यूजियम बनेगा, जिसे म्यूजियम आफ महाशक्तिपीठ के नाम से जाना जाएगा। इसके लिए कवायद भी शुरू कर दी गई है। बुधवार को डायरेक्टर म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी चंडीगढ़ डाक्‍टर पीसी शर्मा ने नयनादेवी पहुंचकर क्षेत्र का निरीक्षण किया। उनके साथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष सुभाष गौतम भी मौजूद रहे। पीसी शर्मा ने माता के दर्शन कर आशीर्वाद भी लिया। इस दौरान सुभाष गौतम ने उन्हें माता की चुनरी व चित्र देकर सम्मानित किया।

इसके बाद पीसी शर्मा ने बताया कि नयनादेवी में शक्तिपीठ पर बनने वाला म्यूजियम प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे देश का पहला म्यूजियम होगा जिसे म्यूजिक आफ महाशक्ति पीठ के नाम से जाना जाएगा। इसके बनने से मंदिर के इतिहास तथा यहां की प्राचीन मूर्तियों के बारे में लोगों को पता चलेगा। इसके अलावा शोधकर्ता भी इस तरह के प्रोजेक्टर की आस लगाए बैठे हैं ताकि वह मंदिरों के बारे में और ज्यादा शोध कर सकें। उन्होंने कहा कि यह म्यूजियम जल्द बनकर तैयार होगा।

पीसी शर्मा ने कहा कि इस म्यूजियम प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए लोगों से भी सुझाव लिए जाएंगे। म्यूजियम में सात सेक्शन होंगे जिनमें मंदिर निर्माण, यहां की मूर्तियों, कारीगरों, लेखों तथा इतिहास आदि की समस्त अलग-अलग से जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी। इस मौके पर उनके साथ मंदिर न्यास के सहायक अभियंता प्रेम शर्मा, संस्कृत कालेज के प्रिंसिपल डा. नरोत्तम शर्मा और मंदिर न्यासी भी मौजूद रहे।

श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर में सात दिवसीय मिंजर मेला शुरू

कांगड़ा। शक्तिपीठ माता श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर में सात दिवसीय मिंजर मेला बुधवार को शुरू हुआ। मां बज्रेश्वरी देवी के पावन पिंडी के मुख्य छत्र पर मिंजर को बांधा गया है। सात दिन बाद मंगलवार को मिंजर पूरे रीति-रिवाज से साथ लगती बनेर खड्ड में प्रवाहित की जाएगी। मंदिर के वरिष्ठ पुजारी पंडित राम प्रसाद शर्मा के अनुसार मिंजर के साथ ही सावन मेलों की शुरुआत मंदिर में कर दी गई। कोरोना संकट के बीच पिछले वर्ष भी मिंजर का विसर्सन सादे समारोह के बीच हुआ था, लेकिन इस मर्तबा प्रशासन की ओर से मिंजर विसर्जन के लिए होने वाले समारोह के लिए कोई निर्देश अभी तक नहीं दिए हैं। प्रशासन के निर्णय से ही मिंजर विसर्जन का समारोह आयोजित होगा।

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