Good News: हिमाचल के सभी जिलों में जाईका परियोजना लागू होने का लाभ किसानों को मिलेगा
Indian Farmers वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण कई लोगों की नौकरी चली गई तो कई लोगों को काम-धंधा नहीं मिल रहा था। इस कारण लोगों ने फिर खेतीबाड़ी शुरू कर दी। कई लोगों ने जैविक खेती भी अपनाई है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 18 Nov 2021 10:21 AM (IST)
शिमला, राज्य ब्यूरो। कृषि प्रधान राज्य हिमाचल प्रदेश में सिंचाई के सीमित साधन हैं। यहां पर अधिकांश कृषि बारिश पर निर्भर करती है। कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में कूहलों के माध्यम से सिंचाई होती है, लेकिन नदियों में कम पानी होने से यहां पर भी सिंचाई प्रभावित होती है। वर्षो पूर्व बनी कूहलें बरसात में टूट जाती हैं। अधिकतर स्थानों पर कूहलों का रखरखाव भी स्थानीय स्तर पर ही किया जाता है, लेकिन बजट के अभाव में इनका स्थायी हल नहीं हो पाता है।
हर साल इनकी मरम्मत के साथ निर्माण भी लोगों को स्वयं करना पड़ता है। कुछ वर्ष पहले जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) की परियोजना पांच जिलों में शुरू की गई थी। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए थे। मंगलवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने धर्मशाला में 1010 करोड़ की जाईका परियोजना लांच की। यह परियोजना अब सभी जिलों में लागू की जाएगी। इस परियोजना के तहत फसलों का विविधीकरण किया जाएगा। साथ ही किसानों को सिंचाई सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी। सिंचाई के अभाव और जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं के कारण राज्य के अधिकतर क्षेत्रों में लोगों ने खेतीबाड़ी से मुंह मोड़ लिया था।
कई किसान मजदूरी करने लगे थे तो कई लोग अन्य राज्यों में नौकरी की तलाश में चले गए थे। इस कारण जो खेत पहले हरे-भरे होते थे वे बंजर हो गए थे। खेतों में बिजाई न होने के कारण बारिश का पानी भी बर्बाद हो जाता था। इस परियोजना के लागू होने के बाद किसानों को सिंचाई व अन्य सुविधाएं मिलने से खेतीबाड़ी से उन्हें आशानुरूप आय होगी तो उनका झुकाव खेतीबाड़ी की ओर बढ़ेगा। वे कृषि में नए प्रयोग करने के लिए भी प्रेरित होंगे। इसके अच्छे दाम उन्हें मिलने लगे हैं। इससे किसान आत्मनिर्भर होंगे और खेतों में बिजाई होने से पानी भी जमीन के भीतर जाएगा इससे भूजल स्तर में भी सुधार हो सकेगा।
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