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Kangra Heavy Rain: 300 मीटर हवा में लटकी रेल लाइन, भारी बारिश से बह गई पटरी के नीचे की मिट्टी

हिमाचल के कांगरा जिले के नगरोटा सूरियां में पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेलमार्ग पर भारी बारिश के चलते मंगलवार को रेल लाइन के नीचे की मिट्टी बह गई जिसके चलते 300 मीटर की रेल लाइन हवा में लटक गई। बताया जा रहा है कि सुबह से हो रहा बारिश के चलते पहाड़ी के तरफ से बह कर आए पानी से रेल लाइन के नीचे की मिट्टी बह गई ।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Tue, 18 Jul 2023 06:38 PM (IST)
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300 मीटर रेल लाइन हवा में लटकी, भारी बारिश के कारण रेल लाइन के नीचे की मिट्टी बही

नगरोटा सूरियां, संवाद सूत्र। पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेलमार्ग पर ज्वालामुखी रोड रानीताल व कोपडलाहड़ के बीच भारी वर्षा के कारण मंगलवार को रेल लाइन के नीचे की मिट्टी बह जाने से करीब 300 मीटर रेल पटरी हवा में लटक गई है।

बताया जा रहा है कि सुबह से हो रही भारी बारिश के कारण रेल लाइन के एक ओर पहाड़ी की तरफ पानी निकासी के लिए बनी नाली में भारी मात्रा में तेज रफ्तार पानी आने से कोपडलाहड़ के पास बनी सुरंग से रानीताल की ओर 300 मीटर मिट्टी बह जाने से रेल लाइन हवा में लटक गई। जिस तरह रेल लाइन क्षतिग्रस्त हुई है।

अगले 6 महीने तक रेल लाइन की रहेगी समस्या

जिस तरह से यह लाइन के नीचे भूस्खलन हुआ है तो उससे लगता है कि अगले छह महीने तक रेल यातायात बहाल नहीं हो पाएगा। रेलवे चक्की पुल के क्षतिग्रस्त हाेने के बाद अब कोपडलाहड में रेलवे विभाग को यह एक बड़ा नुकसान पहुंचा है।

रेल लाइन के नीचे की मिट्टी बही  

पठानकोट - जोगिन्दरनगर रेलमार्ग पर चक्की खड्ड पर बने रेलवे पुल के गिर जाने के बाद फिलहाल दो रेलगाड़ियां नूरपुर रोड से बैजनाथ तक आवाजाही कर रहीं थी, लेकिन 8 जुलाई को भारी वर्षा से गुलेर व लुनसु के बीच पहाड़ी खिसकने से इस मार्ग इन दोनों रेल गाडियों की आवाजाही बंद की गई थी। हालांकि बरसात के बाद दोनों रेलगाड़ियां बहाल होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन अब कोपडलाहड़ सुरंग के पास रेल लाइन की के नीचे मिट्टी बह जाने से यह उम्मीद भी समाप्त हो गई है।

7 से 8 किमी पैदल चल कर जा रहे लोग 

इन रेलगाड़ीयों के बंद होने से लुनसु व त्रिप्पल रेलवे स्टेशनों से जुड़ी करीब एक दर्जन पंचायतों के ग्रामीण फिर छह से आठ किमी पैदल चल बस की सुविधा प्राप्त करने को मजबूर हो गए है। दिनेश, रघुवीर, अश्विनी गुलेरिया, केवल कुमार ने कहा कि लुनसु, धार, ठम्बा, टिल्ला, त्रिप्पल, बासा, मेहवा गांवों के लिए बस सुविधा नहीं होने के कारण एकमात्र रेल ही यातायात की सुविधा ही है।

बरसाती पानी निकासी के लिए किए जा रहे प्रबंध

उन्होंने आरोप लगाया कि रेलवे विभाग बरसात में रेल लाइन की क्षति के बहाने लाखों रुपये सरकारी खजाने से मुरम्मत के नाम पर लेता है, लेकिन हर बरसात में गुलेर और कोपडलाहड़ के बीच ही रेल लाइन क्षतिग्रस्त होती है। जबकि बरसात समाप्त होते ही रेल विभाग को गुलेर से कोपडलाहड़ के बीच बरसाती पानी की निकासी के लिए स्थाई प्रबंध किए जाने चाहिए।

बरसात का मौसम साफ होते ही क्षतिग्रस्त रेल लाइन की मरम्मत का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया जाएगा। और रेल यातायात को बहाल किया जाएगा।

डॉ. सीमा शर्मा, मंडल रेलवे प्रबंधक उत्तर रेलवे मंडल फिरोजपुर

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